भारतीय दवा कंपनी सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निमोनिया के इलाज के लिए विकसित की गई पहली स्वदेशी वैक्सीन अगले हफ्ते लॉन्च होने के लिए तैयार है। देश के दवा नियामक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इस साल जुलाई में इस वैक्सीन को इस्तेमाल किए जाने की अनुमति दी थी। अब केंद्र सरकार के सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन अगले हफ्ते इस वैक्सीन को लॉन्च कर सकते हैं। वहीं, कंपनी के सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि पहली स्वदेशी निमोनिया वैक्सीन इस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाले अन्य टीकों से कहीं ज्यादा सस्ती होगी, जिन्हें इस समय केवल दो विदेशी कंपनियों द्वारा मैन्युफैक्चर किया जाता है।

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एसआईआई ने पिछले साल यह जानकारी दी थी कि उसने अंतरराष्ट्रीय गैरलाभकारी स्वास्थ्य संगठन पाथ (पीएटीएच) के साथ मिलकर निमोनिया के इलाज के लिए एक नई और सस्ती वैक्सीन विकसित की है। कंपनी ने बताया था कि स्वास्थ्य से जुड़े विषयों और बीमारियों के इलाज के लिए अंतरराष्ट्रीय रूप से आर्थिक मदद करने वाली बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने इस वैक्सीन के निर्माण के लिए भी आर्थिक सहायता दी थी ताकि दुनियाभर में निमोनिया से बच्चों की मौतों को रोका जा सके, विशेषकर भारत और अफ्रीका में।

उधर, भारतीय ड्रग रेग्युलेटर ने इस साल जुलाई महीने में नियोमोकोक्कल पोलीसाकराइड कोन्जुगेट नाम की इस वैक्सीन को मार्कट में लाने के लिए अप्रूवल दे दिया था। इसके लिए वैक्सीन के पहले, दूसरे और तीसरे चरण क्लिनिकल ट्रायलों के डेटा की समीक्षा की गई थी, जो एसआईआई द्वारा डीसीजीआई को मुहैया कराए गए थे। बाद में एसआईआई की वैक्सीन की क्षमता को स्वीकारते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले भी कहा था कि पीपीसी वैक्सीन निमोनिया के तीव्र होने पर शरीर में इम्यूनाइजेशन एक्टिव करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। नवजात बच्चों में निमोनिया की वजह बनने वाला 'स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया' होने पर भी पीपीसी वैक्सीन उपयोग की जाती है।

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सिरम इंस्टीट्यूट ने निमोनिया के खिलाफ इस टीके की क्षमता की जांच करने के लिए भारत और अफ्रीकी देश गांबिया में सभी चरणों के तहत इसके ट्रायल किए थे। इनमें वैक्सीन ने बीमारी के खिलाफ सकारात्मक परिणाम दिए हैं। इस पर एक सूत्र ने पीटीआई से कहा है, 'निमोनिया के (इलाज के) क्षेत्र में यह पहली स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन है।' वहीं, अन्य सूत्रों ने बताया, 'यह टीका मौजूदा वैक्सीन से ज्यादा सस्ता होगा, जिन्हें फाइजर और ग्लैक्सोस्मिथकेलाइन द्वारा उत्पादित किया जाता है।' जानकारों का कहना है कि एसआईआई का टीका आने के बाद निमोनिया के इलाज के लिए वैक्सीन की जरूरत पूरी करने में इन विदेशी कंपनियों की निर्भरता में कमी आएगी।

वहीं, सरकार इसे कोविड-19 संकट के दौर से भी जोड़ कर देख रही है। सरकार के सूत्रों ने कहा है कि निमोनिया एक रेस्पिरेटरी डिजीज है, लिहाजा नियोमोकोक्कल कोन्जुगेट वैक्सीन से बच्चों का टीकाकरण करना मौजूदा महामारी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि निमोनिया कोविड-19 के सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक है।

निमोनिया क्या है?
यह एक संक्रमण है जो फेफड़े के एक या दोनों थैलों को लिक्विड या मवाद से भर कर सुजा देता है। इसके चलते पीड़ित व्यक्ति को बलगम, बुखार, ठंड लगना और सांस में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं। निमोनिया होने से मरीज की जान को खतरा हो सकता है। यह शिशुओं, छोटे बच्चों, बुजुर्गों (65 वर्ष से ऊपर), पहले से किसी बीमारी से पीड़ित लोगों और कमजोर इम्यून सिस्टम वालों के लिए ज्यादा हानिकारक या जानलेवा हो सकता है। ज्यादातर निमोनिया संक्रामक प्रकृति के होते हैं और वायरल तथा बैक्टीरियल दोनों प्रकार के हो सकते हैं। निमोनिया छींकने या खांसने से अन्य लोगों में भी फैल सकता है। हालांकि जानकारों के मुताबिक, कवक निमोनिया इस तरह नहीं फैलता।

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