संयुक्त राष्ट्र की दो बड़ी और प्रमुख संस्थाओं यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने खसरे और पोलियो महामारी के खिलाफ चल रहे वैश्विक इम्यूनाइजेशन अभियान को जारी रखने के लिए एक महत्वपूर्ण अपील की है। इन संस्थानों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण इन दोनों बीमारियों की वैश्विक इम्यूनाइजेशन सेवाएं बाधित हुई हैं, जिससे लाखों बच्चों पर बचपन में होने वाली इन बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ ने पूरी दुनिया के नेताओं से अपील करते हुए कहा है कि वे इन बीमारियों के इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम को बहाल करने के लिए 655 मिलियन डॉलर (4,846 करोड़ रुपये) का आपातकालीन फंड को मुहैया कराएं ताकि बाधित होने के कारण पैदा हुए इम्यूनिटी गैप को कवर किया जा सके।
 
इस मुद्दे पर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयसस ने कहा है, 'पूरी दुनिया में स्वास्थ्य सेवाओं पर कोविड-19 संकट का बहुत बुरा असर पड़ा है। इम्यूनाइजेशन सेवाएं इससे विशेष रूप से प्रभावित हुई हैं। हालांकि कोविड-19 के विपरीत हमारे पास पोलियो और खसरे जैसी बीमारियों को रोकने की जानकारी और तरीके हैं। लेकिन हमें इनके खिलाफ एक्शन लेने के लिए संसाधनों और प्रतिबद्धता की जरूरत है। अगर हम ऐसा करेंगे तो बच्चों का जीवन सुरक्षित होगा।'

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वहीं, यूनिसेफ की एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर हेनरिटा फोर ने कहा, 'हम एक बीमारी के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए बाकी रोगों के खिलाफ शुरू किए गए मोर्चों से पीछे नहीं हट सकते। वैश्विक महामारी के रूप कोविड-19 पर ध्यान देना जरूरी है। लेकिन दुनिया के सबसे गरीब देशों में अन्य जानलेवा बीमारियों से लाखों बच्चों का जीवन खतरे में है। इसलिए आज हम दुनियाभर के नेताओं, दानकर्ताओं और साझेदारों से यह बहुत जरूरी अपील कर रहे हैं। हमें अतिरिक्त वित्तीय साधनों की जरूरत है, जिससे वैक्सीनेशन कैंपेनों को सुरक्षित तरीके से बहाल किया जा सके और इम्यूनाइजेशन से जुड़ी व्यवस्थाओं को प्राथमिकता दी जा सके, जो बच्चों को बचाने और कोविड-19 से अलग दूसरी महामारियों को टालने के लिए जरूरी है।'

डब्ल्यूएचओ ने इस मुद्दे पर शुक्रवार को प्रकाशित किए अपने लेख में बताया है कि हाल के सालों में दुनियाभर में आए स्वास्थ्य संकटों के साथ खसरे के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं, 2020 में कोविड-19 संकट की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं में आई बाधाओं के चलता इस बीमारी का वैक्सीनेशन गैप और ज्यादा बढ़ गया है। यह ऐसे समय में हुआ है, जब पिछले साल यानी 2019 में खसरे के संक्रमण से जुड़े मामले की संख्या बीते दो दशकों से भी ज्यादा समय में सबसे ज्यादा रही थी। 2019 में इस बीमारी की मृत्यु दर कितनी रही, इससे जुड़ी रिपोर्ट अगले हफ्ते रिलीज होने वाली है।

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दूसरी तरफ, पोलियो का खतरा भी बढ़ने के संकेत मिले हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अफ्रीका के कई अंडर-इम्यूनाइज्ड इलाकों में पोलियोवायरस के बढ़ने की आशंका जताई गई है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस बीमारी को खत्म नहीं करने की असफलता पूरी दुनिया में इसके फिर फैलने की वजह बन सकती है। इससे अगले दस सालों के अंदर पोलियो के दो लाख नए मामले प्रतिवर्ष देखने को मिल सकते हैं।

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