स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज क्या है?

स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज हमारे लिए बहुत फ़ायदेमंद होते हैं। हमें अपने एक्सरसाइज़ रूटीन में स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ को हमेशा शामिल करना चाहिए। स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ से हमारे शरीर में लचीलापन बना रहता है और शरीर के जोड़ो में गति भी बराबर बनी रहती है। अगर हमारे शरीर के दोंनो तरफ लचीलापन बराबर होता है तो चोट लगने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती है। स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करने से पहले हमेशा 5 से 10 मिनट तक वॉर्मअप करना चाहिए और इसे हमेशा वर्कआउट के बाद करना चाहिए।

इस एक्सरसाइज़ हफ्ते में 2 या तीन दिन करें। इस व्यायाम को ध्यानपूर्वक और बहुत धीरे-धीरे करें। अगर आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है या कोई चोंट लगी है, तो डॉक्टर से सलाह लें कि कौन सा स्ट्रेच आपके लिए अच्छा होगा।

  1. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज के फायदे - Stretching exercise benefits in Hindi
  2. स्ट्रेचिंग करने के ज़रूरी टिप्स - Important stretching tips in Hindi
  3. पिंडली स्ट्रेच करने का तरीका - How to do a calf stretch in Hindi
  4. हैम्स्ट्रिंग स्ट्रेच कैसे करें - Hamstring stretch exercises in Hindi
  5. क्वाड्रिसिपस स्ट्रेच को दिवार के सहारे करें - Quadriceps stretch with support of wall in Hindi
  6. हिप फ्लेक्सोर को स्ट्रेच करने का तरीका - How to do stretch hip flexor in Hindi
  7. आई टी बैंड को स्ट्रेच करने का तरीका - IT Band stretch in Hindi
  8. नी टू चेस्ट स्ट्रेच करें कूल्हों के लिए - Knee to chest stretch for hips in Hindi
  9. कंधे को स्ट्रेच करने का एक तरीका - Shoulder stretch in Hindi
  10. कंधे को स्ट्रेच करने का दूसरा तरीका - Shoulder stretch using towel in Hindi
  11. गर्दन को स्ट्रेच कैसे करें - Neck stretching exercise in Hindi

स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करने के फायदे इस प्रकार हैं -

  1. इन्हे कहीं पर और किसी समय किया जा सकता है। ठीक तरीके से की जाएँ तो इनको करने में कोई जोखिम नहीं होता।
  2. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करने से हमारे शरीर के जोड़ों के मुड़ने की क्षमता मे सुधार आताहै।
  3. स्ट्रेचिंग करने से हमारे शरीर की फुर्ती बढ़ती है।
  4. इन्हे करने से चोंट लगने की संभावनाएं बहुत कम हो जाती हैं।
  5. स्ट्रेचिंग मांसपेशियों को प्रभावी ढ़ंग से काम करने के लिए सक्षम बनाती है।
  6. स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियों की लंबाई बढ़ती है और शरीर के पोस्चर में सुधार आता है। 
  7. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करने से हमारे शरीर में लचीलापन बढ़ता है और साथ ही शरीर में फुर्ती भी बढ़ती है। जब हमारे शरीर का लचीलापन अच्छा होता है तो शरीरिक प्रदर्शन बेहतर होता है और चोंट लगने की संभावनाएं भी बहुत कम हो जाती है।
  8. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ से मसल्स ढ़ीली होती हैं, जिससे उनकी थकान कम होती है और रक्तस्राव का स्तर बढ़ता है। 
  9. कभी-कभी जब हम पूरे दिन काम में लगे रहते हैं, तब सुस्ती या थकान के कारण काम के दौरान झपकी आने लगती है। अगर आप ऐसा महसूस करते हैं तो अपने जगह से उठ कर बाहर जाएं और 2 से 3 स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करें। इससे आपका एनर्जी का स्तर बढ़ जाएगा।
  10. स्ट्रेचिंग से मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह बढ़ता है और इससे पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मलती है।
  11. वर्कआउट के बाद शरीर में होने वाले दर्द को कम करने और रिकवरी टाइम को भी कम में भी सहायक होती है स्ट्रेचिंग।
  12. स्ट्रेचिंग, वर्कआउट से पहले और वर्कआउट के बाद मसल्स को आराम करने का समय देता है। मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह और पोषक तत्व की आपूर्ति में वृद्धी होती है साथ ही व्यायाम के बाद मसल्स को दर्द से राहत मिलती है।
  13. स्वस्थ आहार और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। इस कारण से ये आपको ह्रदय रोग से बचाती है। 

(और पढ़ें - एक्सरसाइज के फायदे)

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स्ट्रेचिंग के अनेक फायदे हैं, लेकिन यह बहुत आवश्यक है कि इसे सुरक्षित तरीके से किया जाए। यहाँ कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं जिन्हे आप ध्यान में रखें स्ट्रेचिंग करते समय - 

  1. स्ट्रेचिंग को वॉर्मअप न समझें और अगर बिना वॉर्मअप के आप स्ट्रेच करते हैं तो आपके मसल्स को नुक़सान पहुंच सकता है। स्ट्रेच करने के पहले 5 से 10 मिनट तक धीरे-धीरे पैदल चलें। वर्कआउट के बाद स्ट्रेच करना सबसे लाभदायक होता है।
  2. हर इंसान में आनुवांशिक गुण और उसके शरीर का लचीलापन अलग होते हैं। अगर हम बात करें डांसर की, जिमनास्ट की तो वो लोग प्राकृतिक रूप से लचीले हैं। तो एक आम इंसान को चाहिए की उनकी तरह लचीला बनने की कोशिश न करें और इस बात पर ध्यान दें शरीर के बायं और दायं, दोंनो हिस्से में लचीलापन बराबर हो। ऐसा न होने से शरीर में चोंट लगने सी संभावना ज़यादा बढ़ा जाती है।
  3. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करते समय हमें पि़ड़ली, जांघ, कूल्हा, पीठ के निचले हिस्से, गर्दन और कंधे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि यह शरीर की सबसे बड़ी मसल्स होती हैं। इनके अलावा जिन मांसपेशिओं का इस्तेमाल आप ज़्यादा करते हैं, उन्हें अवश्य ही स्ट्रेच करें। 
  4. बहुत धीरे-धीरे एकदम स्मूथ तरीके से स्ट्रेच करें। अपने शरीर को झटके न दें। स्ट्रेच करते समय अगर आप झटके से कोई मूवमेंट करते हैं तो मांसपेशियों में चोंट लग सकती है और जकड़न भी आ सकती है।
  5. सामान्य रूप से सांस लें और हर स्ट्रेच को 30 सेकंड तक रोक कर रखें। अगर शरीर के किसी हिस्से में कोई दिक्कत है तो उधर की मांसपेशिओं को 60 सेकंड तक स्ट्रेच करना पड़ सकता है।
  6. स्ट्रेचिंग करते समय आपका उदेश्य होना चाहिए कि मांसपेशियों में हल्का खिचाव महसूस हो न कि दर्द। यदि आप स्ट्रेच करने के दौरान दर्द महसूस हो तो तुरंत उस स्ट्रेच से बाहर आ जाएँ और उस स्थिति पर वापस जाएं जिस स्थिति में आपको दर्द महसूस नहीं हो रहा था।
  7. अगर आप कोई खेल खेलते हैं या आपके दिनचर्या में आपको कुछ विशिष्ट मांसपेशियों का इस्तेमाल करना पड़ता है, तो अपने स्ट्रेचिंग रूटीन में उन मांसपेशियों को अवश्य स्ट्रेच करें। उदाहरण के तौर पर, फुटबाल खेलने में हैमस्ट्रिंग (घुटने के पीछे की नस) पर सबसे ज़्यादा तनाव पड़ता है। तो अगर आप फुटबाल खेलते हैं, तो आपके लिए हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करना बहुत ही ज़रूरी है
  8. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ में समय लग सकता है। लेकिन हफ्ते में 2 से 3 दिन स्ट्रेचिंग करना हमारे लिए बेहद लाभदायक होता है। अगर स्ट्रेचिंग करना आप छोड़ देते हैं, तो उससे हुए लाभ खो बैठेंगे। उदाहरण के तौर पर, यदि स्ट्रेचिंग करने से आपके जोड़ों में लचीलापन बढ़ा है, तो स्ट्रेचिंग एक्ससाइज़ न करने से फिर से लचीलापन कम हो सकता है।
  9. योग में आपको स्ट्रेचिंग के सम्पूर्ण लाभ मिलते है। योग की ख़ास बात यह है कि इसमें आप स्थिर नहीं रहते, बल्कि हलकी हलकी मूवमेंट रहती है। यदि आप योग न करना चाहें, और कोई अन्य तरह का स्ट्रेचिंग रूटीन करना चाहें तो उसमें यह ज़रूर सुनिश्चित कर लें की आपके शरीर कि हलकी हलकी मूवमेंट ज़रूर रहे।

पिंडलियों की मांसपेशियां हमारे घुटनों के नीचे पैर के पीछे के हिस्से में होते हैं। इंन्हें फैलाने के लिए स्ट्रेचिंग सएक्सरसाइज़ करें।

दीवार या व्यायाम वाले किसी उपकरण से अपने हाथ की लंबाई की बराबर दूर पर खडें हो जाएं। अपने बायें पैर के पीछे दायं पैर को ले जाएं। बायं पैर को सामने की ओर मोडें और दायं पैर के घुटने को सीधे रखें साथ ही एड़ी को सतह पर टिकाए रखें। अपनी पीठ को सीधे रखें और कूल्हों को आगे की दिशा में। पंजे को आगे पीछे न सरकाएं और 30 सेकंड तक इस स्थिति को बना कर रखें। अब इस प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ दोहराएं।

हैम्स्ट्रिंग (घुटने के पीछे की नस) मसल्स हमारे पैर के घुटने के ऊपर के पीछे के हिस्से में होते हैं। किसी दीवार या दरवाज़े के बाहरी कोने के पास लेट जाएं। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। अपने बायं पैर को उठाएं और एंड़ी को दिवार के विपरीत सटा कर छोड़ दें और बायं पैरे के घुटने को थोड़ा मोड़ें। इस स्थिति में तब तक बने रहें, जब तक की आपके बायं पैर के जांघ के पीछे वाले हिस्से में तवान महसूस न हो। 30 सेकंड तक इस स्थिति को बना कर रखें। अब इस प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ दोहराएं।

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क्वाड्रिसिपस मांसपेशियां जांघ के सामने वाले हिस्से में होते हैं। किसी दीवार या व्यायाप उपकरण के इतने पास खड़े हों की उसका सहारा लिया जा सके। अपने बायं पैर के टखने को कसकर पकड़ें और उसी पैर के एड़ी को पीछे की ओर खीचें जब तक की जाघं के सामने वाले हिस्से में तनाव महसूस न हो। 30 सेकंड तक इस स्थिति को बना कर रखें। अब इस प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ दोहराएं। इस स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ को करने से पेट की मसल्स टाइट होती हैं और दोंनो पैरों के घुटने पास आते हैं।

"हिप फ्लेक्सर" मासपेशियां धुटनों को उठाने और कमर को मुड़ने में मदद करती हैं। ये हमारे जांघ के ऊपरी हिस्से और कूल्हे की हड्डियों के नीचे होते हैं। अपने दाहिनें घुटने को ज़मीन पर टिकाएं, घुटने के ठीक नीचे तौलिये को तकिया की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। अब अपने बायं पैर को अपने सामने रखें और घुटने को मोड़ें। बायं हाथ को बायं पैर के ऊपर रखें, इससे शरीर का संतुलन बना रहेगा। दायं हाथ को दायं हिप में रखे, जिससे कमर न मुंडे। अपने पीठ और पीछे के हिस्से को सीधा रखें और पेट की मसल्स को भी टाइट रखें। 30 सेकंड तक इस स्थिति को बना कर रखें। अब इस प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ दोहराएं।

इलियोटिबिल बैंड ऊतकों का एक समूह होता है जो कूल्हे के बाहरी हिस्से और जांघ और घुटनों के आस-पास पाए जाते हैं। किसी दीवार या व्यायाम उपकरण के पास खड़े हो जाए, जिससे की उसका सहारा लिया जा सके। अपने बायं पैर को दायं पैर के ऊपर से पार करें जैसा की चित्र में दिखाया गया है। अब अपने बायं हाथ को सिर के ऊपर से लाते हुए दायं ओर छूने की कोशिश करें। ऐसा करने से आप अपने बायं कूल्हे पर खिंचाव महसूस करेंगे। 30 सेकंड तक इस स्थिति को बना कर रखें। अब इस प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ दोहराएं।

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नी टू चेस्ट स्ट्रेच मुख्य रूप से शरीर के निचले भाग के पीछे की मांसपेशियों के लिए होता है। अगर हड़्डियों से संबंधित कोई भी समस्या हो तो इसे न करें, नहीं तो इससे आपकी परेशानी और बढ़ सकती है। किसी ठोस सतह पर इस तरह से लेटें की आपकी एड़ी और सतह एक दूसरे के विपरीत में हो अब अपने घुटने को चेस्ट तक ले जाएं, जब तक की आप शरीर के निचले भाग के पीछे के हिस्से में दर्द महसूस न करें। अपने घुटने को चेस्ट के करीब ले जाएं जितना हो सके। और दूसरे पैर को आरामपूर्वक छोड़ दें। 30 सेकंड तक इस स्थिति को बना कर रखें। अब इस प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ दोहराएं।

अगर आपके कंधे का पीछे वाला भाग टाइट है, तो आप रोटेटर कफ (कंधे के आप-पास मांसपेशियों के समूह का सख्त हो जाना) की समस्या हो सकती है। ख़ास तौर जब आप टेनिस या बेसबॉल के खिलाड़ी हैं तो इसकी संभावना और भी बढ़ जाती है। अपने बायं हाथ को शरीर को पार करते हुए दायं तरफ ले जाएं और दायं हाथ के कोहनी से इसे दबाएं। जैसा की चित्र में दिखाया गया है। 30 सेकंड तक इस स्थिति को बना कर रखें। अब इस प्रक्रिया को दूसरे तरफ से करें

कंधे का इस्तेमाल, हम सिर के ऊपर से होने वाली कई गतिविधियों जैसे खेल, टेनिस, सिर के बराबर की ऊंचाई से कुछ फेंकने में करते हैं। कंधा मांसपेशियों का समूह होता है। इसे हमें स्ट्रेच करना चाहिए। जैसा चित्र में दिखाया गया है, दोंनो हाथों से तैलिए को रोल करके कस के पकड़ लें और जितना हो सके ऊपर या छत की ओर खीचें। इससे आप कंधे के दूसरे बांह पर तनाव महसूस करेंगे। 30 सेकंड तक इस स्थिति को बना कर रखें

अपने सिर को सामने की ओर ले जाएं और दाहिने हाथ के सहारे दायं तरफ झुकाएं। जैसा की चित्र में दिखाया गया है। अब सिर को नीचे की ओर खीचें। इससे आप गर्दन में आराम महसूस करेंगे। 30 सेकंड तक इस स्थिति को बना कर रखें। अब इस प्रक्रिया को दूसरे तरफ से करें।

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