खांसी की बीमारी से निजात दिलाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई दवा विकसित करने का दावा किया है। उनका कहना है कि 'जेफापिक्सेंट' नामक ड्रग (या दवा) से सालों पुरानी खांसी को भी ठीक किया जा सकता है। एक अंतरराष्ट्रीय मेडिकल वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट में वैज्ञानिकों के हवाले से कहा गया है कि 15 साल से ज्यादा पुरानी खांसी के इलाज में भी जेफापिक्सेंट कारगर साबित हो सकती है। पत्रिका की मानें तो वैज्ञानिकों ने अंतिम चरणों के तहत किए गए परीक्षणों के बाद यह दावा किया है।

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स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका 'द लांसेट रेस्पिरेट्री मेडिसिन' में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, दुनिया में चार से दस प्रतिशत लोग क्रॉनिक कफ या दीर्घकालिक खांसी की समस्या से परेशान हैं। वयस्कों में यह समस्या आठ हफ्तों से ज्यादा समय तक रहती है। वहीं, बच्चों को चार हफ्तों तक क्रॉनिक खांसी परेशान कर सकती है। मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे लोगों को इस समस्या से जल्दी छुटकारा दिलाने के लिए बेहतर दवा की खोज की जा रही है। इसी सिलसिले में जेफापिक्सेंट का नाम सामने आया है।

कैसे काम करती है दवा?
जेफापिक्सेंट ड्रग में शामिल पी2एक्स3 नामक पदार्थ (प्रोटीन) खांसी के लिए जिम्मेदार रिसेप्टर को रोकता है। बायॉलजी में रिसेप्टर का मतलब प्रोटीन मॉलिक्यूलों से बनी उन आकृतियों से है जो कोशिकाओं की झिल्लियों में पाई जाती हैं। खबर के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने बताया कि शोध की शुरुआत में मरीजों को दो हफ्तों तक दिन में दो बार दवा (600 मिलीग्राम) का सेवन करने का सुझाव दिया गया। इस दौरान उन्होंने पाया कि दवा की निश्चित मात्रा लेने से खांसी में कमी आई। वहीं, आगे की जांच में पता चला कि दवा की मात्रा 50 मिलीग्राम करने पर भी रोगी को फायदा हो सकता है।

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शोध के परिणाम
शोधकर्ताओं ने दवा के प्रभाव को जानने के लिए 12 हफ्तों का एक ट्रायल किया। इस दौरान इंग्लैंड और अमेरिका के 44 अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती रोगियों को जेफापिक्सेंट की तीन खुराक दी गई। ये 253 लोग 14-15 सालों से खांसी की समस्या से परेशान थे। शोध के दौरान इन्हें अलग-अलग समूह में जेफापिक्सेंट और प्लेसबो (एक अन्य प्रकार का ड्रग) की खुराक दिन में दो-दो बार दी गई। शोधकर्ताओं के मुताबिक, दोनों समूह के रोगियों में 24 घंटे में कुछ बदलाव देखने को मिले।

रिपोर्ट के मुताबिक, शोध के तहत किए गए इलाज से पहले खांसी से ग्रस्त ये लोग हर घंटे 24 से 29 बार खांसते थे। लेकिन 12 हफ्तों के इलाज के बाद प्लेसबो दवा वाले समूह के लोग प्रति घंटा 18 बार और जेफापिक्सेंट दवा वाले रोगी प्रति घंटा 11 बार खांसे।

क्या कहते हैं डॉक्टर?
myUpchar से जुड़ीं डॉक्टर शहनाज जफर की मानें तो वायरल के तौर पर सामान्य खांसी तीन से पांच दिन तक रह सकती है। हालांकि खांसी के अपनेआप ठीक होने की संभावना कम होती है, इसलिए कफ सिरप दिया जाता है ताकि खांसी आगे न बढ़े। लेकिन कुछ लोगों के लिए यह समस्या दीर्घकालिक हो जाती है। इसके चलते वे सालोंसाल विशेष अवधि में खांसते रहते हैं।

खांसी के प्रकार की बात करें तो यह कई तरह की हो सकती है, जैसे-

  • तेज खांसी- ये खांसी अचानक होती है और इसका प्रभाव तीन सप्ताह तक बना रहता है।
  • पुरानी खांसी-  इस खांसी का प्रभाव आठ सप्ताह तक बना रहता है।
  • बलगम खांसी- इस खांसी में थूक और बलगम निकलता है।
  • सूखी खांसी- इस खांसी में मुंह सूखा रहता है। इसमें थूक या बलगम नहीं आता है।
  • रात में होने वाली खांसी- यह खांसी केवल रात के समय ही होती है।

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क्रॉनिक खांसी के लक्षण
मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, क्रॉनिक खांसी के लक्षणों और संकेतों को सही तरीके से जांचना डॉक्टर के लिए मुश्किल हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि क्रॉनिक खांसी के कई कारणों के लक्षण व संकेत एक समान ही होते हैं। जानकार बताते हैं कि यदि खांसी वातावरण में मौजूद किसी उत्तेजक पदार्थ की वजह से हुई है, तो ये तब बढ़ सकती है जब आप आपत्तिजनक या खराब कारकों के संपर्क में आते हैं। यदि किसी व्यक्ति को वातावरण में किसी पदार्थ से एलर्जी है, तो एलर्जी वाली दवाइयां खाकर खांसी में सुधार किया जा सकता है। वहीं, यदि खांसी धूम्रपान की वजह से है, तो धूम्रपान को कम करके खांसी में सुधार लाया जा सकता है और यदि धूम्रपान अधिक करते हैं तो खांसी और भी बढ़ सकती है

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