बढ़ता प्रदूषण आज एक गंभीर समस्या है। पिछले कुछ सालों की तुलना में देश और दुनिया में प्रदूषण का स्तर काफी हद तक बढ़ा है। हमारे देश में राजधानी दिल्ली इसमें सबसे ऊपर है, जहां इंसानी गलतियों के चलते यह शहर अब गैस चैंबर बनने को मजबूर है। बीमारियों का जोखिम बढ़ा है, लोग परेशान हैं। आंखों में जलन से लेकर सीने में चुभन महसूस हो रही है।

लिहाजा यह एक चिंता का विषय है। वो भी तब, जब प्रदूषण शहर तक सीमित ना रहकर आपके घर के भीतर तक पहुंच चुका हो। जी हां, एक ताजा रिसर्च में यह बात सामने आई है कि प्रदूषण के बढ़ते लेवल के चलते अब लोग अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं। चलिए आपको बताते हैं कि कैसे प्रदूषण अब आपके घर पर कब्जा कर आपको बीमार बना रहा है।

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क्या कहती है रिपोर्ट?
ब्रिटिश प्रौद्योगिकी कंपनी डायसन ने हाल ही में दिल्ली-एनसीआर में एक रिसर्च की है। इस दौरान अध्ययनकर्ताओं ने इस क्षेत्र में घरों में इनडोर प्रदूषण के स्तर की जांच की। शोध में पाया कि इस प्रदूषण में कैंसर पैदा करने वाले घटक या कारक थे, जिन्हें कार्सिनोजेन्स (सिगरेट के धुएं में पाए जाना वाला रसायन होता है, जिससे लंग कैंसर का जोखिम बढ़ता है) के रूप में भी जाना जाता है।

डायसन कंपनी में डिजाइन इंजीनियर और स्टडी टीम की सदस्य आबी स्ट्रिंजर ने बताया कि घर के अंदर वायु प्रदूषण आज दुनिया में हर जगह एक चिंता का विषय है और दिल्ली-गुड़गांव जैसे क्षेत्रों में भी ऐसे प्रदूषण को एक बड़ी समस्या के रूप में देखा जा सकता है।

कैसे की गई रिसर्च?
इनडोर पॉल्यूशन की जांच के लिए शोधकर्ताओं ने 3 से 5 महीने की अवधि तक दिल्ली और गुड़गांव के कुल 12 घरों का अध्ययन किया। इस दौरान रिसर्च टीम ने पाया कि दिल्ली-एनसीआर के जिन घरों में उन्होंने जांच की थी, उन घरों में 91 प्रतिशत तक फॉर्मल्डेहाइड (एक प्रकार का जहरीला रसायन) था। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह (फॉर्मल्डेहाइड) कैंसर पैदा करने वाले रसायन का अल्पकालिक (शॉर्ट टर्म) और दीर्घकालिक (लॉन्ग टर्म) प्रभाव होता है।

नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक शॉर्ट टर्म के अंदर इससे आंख व नाक में जलन और गले में खराश होती है। इसके अलावा खांसी, घरघराहट, जी मिचलाना और त्वचा संबंधी समस्याएं भी होती हैं। वहीं, जब आप फॉर्मल्डेहाइड के साथ कुछ समय तक संपर्क में रहते हैं, तो यह कैंसर का कारण बनता है।

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फॉर्मल्डेहाइड घर में कैसे आता है?
स्टडी टीम की सदस्य आबी स्ट्रिंजर बताती हैं कि इनडोर प्रदूषण के स्रोत अक्सर घर की सामग्री या फर्नीचर कुछ हद तक प्रदूषण को बढ़ाते हैं। जैसे- इंजीयर्ड वुड (लकड़ी के बुरादे से बने पैनल), एंटीसेप्टिक्स और सफाई की चीजें, कार्पेट, रिंकल फ्री कपड़े, सिगरेट, कॉस्मेटिक का सामान, पेंट और वार्निश की कुछ चीजें हैं जो फॉर्मल्डेहाइड को हवा में फैलाती हैं।

वहीं, धुएं के अलावा कुछ तरह के इनडोर प्रदूषण (जिसमें फॉर्मल्डेहाइड भी शामिल है) को न तो देखा जा सकता है और न ही आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।

रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं को पता चला कि आमतौर पर घरों में पाए जाने वाले अन्य प्रदूषक धूल के कण और बैक्टीरिया थे। वहीं आबी जो कि इस रिसर्च का हिस्सा थीं। उन्होंने बताया कि धूल में मौजूद सूक्ष्म कण और जीव मृत त्वचा कोशिकाओं (डेड स्कीन सेल्स) के अंदर तक चले जाते हैं इनमें एलर्जी पैदा करने वाला प्रोटीन होता है, सांस के साथ अंदर जाने पर यह अस्थमा और अन्य तरह की एलर्जी कर सकते हैं।

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घर के प्रदूषण से कैसे करें बचाव
आबी स्ट्रिंजर बताती हैं कि यह बहुत जरूर है कि बाहर के प्रदूषण से पहले घर के अंदर के प्रदूषण को कम किया जाए और इसके लिए एयर प्यूरीफायर को घर में रखा जा सकता है जो हवा को शुद्ध करता है।

डॉक्टर की राय
myUpchar से जुड़ी डॉक्टर जैसमीन कौर के मुताबिक उपयुक्त कारकों से घर में प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है, लेकिन घर में एयर प्यूरीफायर लगाने से इससे बचा जा सकता है। इसके अलावा कुछ पौधे हैं, जिन्हें घर के अंदर रखकर हवा को शुद्ध किया जा सकता हैं। जैसे- स्नैक प्लांट और व्हाइट लीली प्लांट घर की हवा को शुद्ध करने में सहायक हैं।

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कुल मिलाकर प्रदूषण आज घर के बाहर ही नहीं, घर के अंदर भी हमारे लिए दमघोंटू का काम कर रहा है। लिहाजा बेहतर विकल्प आपको गंभीर बीमारी से बचा सकते हैं। इसलिए अपने घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें या कई प्रकार के पौधो को घर में रखकर भी आप शुद्ध व ताजी हवा में सांस ले सकते हैं।

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