झारखंड के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (एमजीएम) में अब मरीजों को पाइपलाइन के जरिये लिक्विड ऑक्सीजन मुहैया कराई जाएगी। इस नई सुविधा के आने से इलाज के लिए मरीजों और डॉक्टरों दोनों को ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, मरीजों को 24 घंटे ऑक्सीजन की यह सुविधा मिलेगी। झारखंड सरकार ने योजना के तहत करोड़ों रुपये की लागत से अस्पताल परिसर में एक ऑक्सीजन प्लांट लगाया है। बता दें कि एमजीएम झारखंड का दूसरा अस्पताल है जहां इस तरह की सुविधा की शुरुआत होने जा रही है।
(और पढ़ें- सांस लेने में दिक्कत के लक्षण और कारण)
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जमशेदपुर जिले में स्थित एमजीएम अस्पताल में मरीजों के लिए 560 बैडों की व्यवस्था है। पहले ऑक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता में कमी के चलते अक्सर मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। अब उन्हें इस समस्या से निजात मिलने की उम्मीद है। वहीं, इस सुविधा की शुरुआत के बाद एमजीएम झारखंड का दूसरा ऐसा अस्पताल बन जाएगा, जहां पाइनलाइन के जरिये मरीजों को ऑक्सीजन की सुविधा दी जाएगी। अभी तक यह सुविधा केवल रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस अस्पताल में उपलब्ध थी।
प्लांट में एक लाख लिक्विड ऑक्सीजन की क्षमता
एमजीएम अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण 'प्रैक्सेयर' नामक कंपनी ने किया है। इस प्लांट में एक लाख लीटर लिक्विड ऑक्सीजन देने की क्षमता है। अस्पताल से जुड़े अधिकारियों की मानें तो निर्माण का कार्य पूरा कर लिया गया है और इसके तहत अस्पताल के सभी विभागों में पाइपलाइन बिछा दी गई है। इसका मतलब है कि जल्दी ही मरीजों को सीधे बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा मिल सकेगी। हालांकि, अधिकारी योजना को पूरी तरह लागू करने के लिए वे 'पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन' (पीआईएसओ) की स्वीकृति का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुरक्षा कारणों के चलते पीआईएसओ की मंजूरी महत्वूर्ण है। इसके बाद प्लांट को शुरू कर दिया जाएगा। वहीं, नई सुविधा के बारे में जानकारी देते हुए अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि जल्दी ही अस्पताल के सभी वॉर्डों में लिक्विड ऑक्सीजन की सुविधा होगी। बता दें कि लिक्विड फॉर्म (द्रव्यमान) के जरिये कम खर्च में मरीजों को ऑक्सीजन दी जा सकती है।
(और पढ़ें- दम घुटने के लक्षण, कारण और उपचार)
डॉक्टर और मरीज दोनों के लिए फायदेमंद
MyUpchar से जुड़ीं डॉक्टर जैसमीन कौर के मुताबिक, ऑक्सीजन सिलेंडर में कभी भी ऑक्सीजन खत्म होने का डर रहता है। इस स्थिति में मरीज की जान को खतरा हो सकता है, लेकिन पाइप लाइन के जरिये ऑक्सीजन की सप्लाई देने से इसकी आशंका कम होगी। यह सुविधा केवल मरीज के लिए नहीं, बल्कि डॉक्टरों के लिए भी फायदेमंद है। इससे वे बेहतर और सहज उपचार कर सकते हैं।
इस बारे में उदाहरण देते हुए डॉक्टर जैसमीन बताती हैं कि अगर कोई मरीज ज्यादा बीमार है और उसे ऑक्सीजन की अधिक जरूरत है और ऐसी स्थिति में अगर ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो जाए तो यह मरीज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। लेकिन पाइपलाइन होने पर मरीज को बेहतर फ्लो (प्रवाह) के साथ ठीक प्रकार से ऑक्सीजन मिलेगी। पाइपलाइन के जरिये दी जाने वाली ऑक्सीजन के खत्म होने का डर नहीं होगा। इससे डॉक्टर बाकी मरीजों को देख पाएगा।
(और पढ़ें- गहरी सांस लेने के क्या होते हैं फायदे?)
पाइप लाइन ऑक्सीजन के क्या हैं नुकसान ?
पाइन लाइन ऑक्सीजन के ज्यादा फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। डॉक्टर जैसमीन कौर के मुताबिक, अगर पाइप में कहीं से भी ऑक्सीजन लीक हो रही है तो पहले तो उसका पता करना मुश्किल होगा और बाद में उसको रिपेयर करना। इससे बड़ी मुश्किल यह होगी कि मरीज को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलेगी। इस स्थिति में मरीज की हालत बिगड़ सकती है।