केंद्रीय कैबिनेट ने सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल 2020 को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में सरोगेसी को लेकर ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिनके पास होने के बाद हर उस महिला को सरोगेट मदर बनने का अधिकार होगा, जो इसकी इच्छा रखती है। यानी यह शर्त हट जाएगी कि केवल करीबी रिश्तेदार या कोई जान-पहचान वाली महिला से सरोगेट मदद बनने का आग्रह किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि इन प्रावधानों से निसंतान दंपतियों को तो फायदा होगा ही, साथ ही उन महिलाओं को भी लाभ होगा जो किसी कारणवश (पति की मृत्यु या तलाक) अकेले होने के चलते मां नहीं बन पातीं। इसके अलावा सेरोगेट मदर के लिए बीमा कवर बढ़ाने के सुझाव को भी मान लिया गया है।

संसदीय समिति ने दिए थे कई सुझाव
इसी महीने संसद की एक चयन समिति ने सरोगेसी को लेकर कुछ सुझाव दिए थे। इनमें सबसे प्रमुख सुझाव यह था कि सरोगेट मदर बनने के लिए किसी करीबी जान-पहचान वाली महिला के चयन की शर्त को हटा लिया जाना चाहिए। समिति के सुझावों के मुताबिक, विशेष आयु अवधि में सरोगेट मदर बनने की इच्छा रखने वाली हर महिला को इसका अधिकार मिलना चाहिए। इन सुझावों को मानते हुए अब केंद्रीय कैबिनेट ने बिल में शामिल संशोधनों को मंजूरी दे दी है।

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35-45 साल के बीच की उम्र वाली महिलाओं को सेरोगेसी का अधिकार
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस फैसले की अहम जानकारी साझा की। उन्होंने बिल में शामिल अन्य सुझावों से जुड़े फायदों के बारे में बताया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब भारतीय मूल की 35 से 45 साल की उम्र की किसी भी महिला (सिंगल, विधवा या तलाकशुदा) को सरोगेसी का अधिकार होगा।

संसदीय समिति ने अपने प्रमुख 15 सुझावों में सरोगेट मदर के लिए बीमा कवर बढ़ाने की भी बात कही थी। इसमें कहा गया था कि बीमे की अवधि 16 महीने से बढ़ाकर 36 महीने की जानी चाहिए। इस सुझाव को भी केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकर करते हुए मंजूरी दे दी है।

करीबी रिश्तेदार की शर्त पर समिति का तर्क
इससे पहले निसंतान दंपती के करीबी रिश्तेदार को ही सेरोगेसी का अधिकार दिया गया था। इसको लेकर राज्यसभा की समिति ने तर्क दिया था कि सरोगेसी को 'करीबी रिश्तेदार' की शर्त के तहत सीमित रखने से सरोगेट मांओं की उपलब्धता प्रभावित होती है। यानी जो महिलाएं इस काम के लिए इच्छुक हैं, वे इससे वंचित रह जाती हैं। कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि एक इच्छुक महिला एक सरोगेट मां के रूप में बेहतर काम कर सकती है। खबरों के मुताबिक, समिति द्वारा चिह्नित इन बिंदुओं को कैबिनेट की बैठक में अहमियत दी गई।

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क्या है सरोगेसी?
सरोगेसी संतान प्राप्त करने का प्रबंध है। इसे आमतौर पर कानूनी समझौते के तहत अंजाम दिया जाता है। इसके तहत एक महिला किसी और व्यक्ति को संतान देने के लिए अपनी सहमति से अपनी कोख किराए पर देती है। वह उस व्यक्ति को बच्चा प्रदान करने के लिए गर्भधारण करती है। समझौते के तहत बच्चे पर सरोगेट महिला का किसी प्रकार का दावा नहीं हो सकता। बच्चे के जन्म के बाद सरोगेट मां को कानूनन उस दंपती को वह बच्चा सौंपना होता है, जो बाद में उसके मां-पिता बनते हैं।

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