चुसनी (पेसिफायर), यह शब्द तो किसी के लिए भी नया नहीं है। अधिकतर देखा गया है की लोग रोते हुए बच्चों को शांत कराने के लिए चुसनी (पेसिफायर) का इस्तेमाल करते हैं। बच्चों को चुसनी देना बहुत ही सामान्य बात है। ऐसा माना जाता है की रोते हुए बच्चे को चुसनी दे दी जाती है तो वो शांत हो जाता है। अक्सर माताएं अपने बच्चे को चुसनी थमा कर अपना काम करने लगती हैं और बच्चा भी आराम से सो जाता है।

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हम इस लेख के जरिए बताएंगे कि बच्चों को चुसनी देने के फायदे और नुकसान क्या हैं?

  1. बच्चों को चुसनी (पेसिफायर) देने के फायदे - Bacho ko chusni dene ke fayde
  2. बच्चों को चुसनी (पेसिफायर) देने के नुकसान - Bacho ko chusni dene ke nuksaan
  3. बच्चे को चुसनी (पेसिफायर) देते समय इन बातों का रखें ध्यान - Baccho ko pecifier dete samay in baato ka rakhe dhyan

शिशुओं को चुसनी (पेसिफायर) देने के निम्नलिखित फायदे हैं:

  • चुसनी के इस्तेमाल से अचानक होने वाली शिशुओं की मृत्यु (एस आई डी एस) के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। (और पढ़ें - नवजात शिशु की देखभाल)
  • पेसिफायर शिशुओं को उनकी भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है और जिससे उन्हें आराम मिलता है और वे सहज महसूस करते हैं। (और पढ़ें - नवजात शिशु को पानी कब दें)
  • इसके इस्तेमाल से बच्चा शांत रहता है क्योंकि कुछ बच्चे हर समय कुछ चूसते रहना पसंद करते हैं।
  • चुसनी के इस्तेमाल से बच्चे को जल्दी सोने में मदद मिलती है। (और पढ़ें - नवजात शिशु को कितना सोना चाहिए)
  • बच्चे को हवाई यात्रा के दौरान भी चुसनी बहुत मदद कर सकती है क्योंकि हवाई यात्रा में हवा के दाब के कारण बच्चे को असुविधा हो सकती है।
  • चुसनी आसानी से बच्चे का ध्यान केंद्रित करने में सक्षम है। कई बार बच्चे रक्त परीक्षण, इंजेक्शन लगवाना और अन्य डॉक्टरी परीक्षण के दौरान रोने लगते हैं। ऐसे में पेसिफायर बच्चे को शांत सकता है।
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बच्चों को चुसनी देने के निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं:

  • बच्चे के लिए स्तनपान और चुसनी के इस्तेमाल में बहुत फर्क होता है। अगर शिशुओं चुसनी दी जाती है तो उसे इसकी आदत भी लग सकती और बच्चा स्तनपान करना बंद भी कर सकता है जो सामान्य तौर पर शिशुओं के लिए सुरक्षित नहीं होता। (और पढ़ें - स्तनपान से जुड़ी समस्याएं)
  • चुसनी के इस्तेमाल से बच्चे में दांतों और कानों संबंधी बीमारियां होने का खतरा ज्यादा रहता है। (और पढ़ें - दांतों में झनझनाहट के कारण)
  • आमतौर पर पेसिफायर लेटेक्स से बनते हैं जो बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है, इससे बच्चे को एलर्जी होने का खतरा रहता है।

बच्चे को चुसनी (पेसिफायर) देते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

  • स्तनपान कराने से पहले शिशु को चुसनी नहीं देनी चाहिए। (और पढ़ें - ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए क्या खाएं)
  • शिशु के लिए सिलिकॉन से बने पेसिफायर को चुनना चाहिए।
  • अगर सोते समय बच्चे के मुंह से चुसनी गिर जाती है या वो किसी कारण से चुसनी नहीं लेना चाहता है तो शिशु पर चुसनी के इस्तेमाल के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए।
  • पेसिफायर में चीनी का घोल या कोई अन्य मीठा तत्व नहीं लगाना चाहिए।
  • बच्चे को पेसिफायर देने से पहले उसे अच्छी तरह से साफ जरूर कर लेना चाहिए जिससे बच्चे को किसी तरह का कोई संक्रमण न हो। (और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण)

रोते हुए बच्चे को चुसनी पकड़ा देना बहुत ही सामान्य बात है लेकिन माता - पिता को यह बात जरूर ध्यान रखनी चाहिए कि कभी - कभी बच्चे को कोई समस्या भी हो सकती है। ऐसे में उसे चुसनी (पेसिफायर) की नहीं बल्कि डॉक्टर की जरूरत होगी। हर बार रोने पर शिशु को पेसिफायर थमा देने से आपको कभी भी बच्चे के रोने की सही वजह पता नहीं चलेगी इसलिए हमेशा इस विषय को लेकर भी सजग रहना चाहिए।

(और पढ़ें - नवजात शिशु की मालिश कैसे करें)

बच्चा रोये तो उसे डॉक्टर को दिखाएं हर बार उसे चुसनी न थमाएं। बच्चे को चुसनी की आदत नहीं डालनी चाहिए। चिकित्सक से परामर्श लेने के बाद ही बच्चे को पेसिफायर देना चाहिए।

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