क्या आपके जोड़ों ने मौसम की भविष्यवाणी की है? सामान्य तौर पर यह बरसात और ठंड के दिनों में होता हैं। कई लोगों के साथ जो किसी भी तरह की परेशानी के बिना काम कर रहे होंगे, एक दिन बिना कुछ खास कारणों से जोड़ो में दर्द और परेशानी शुरू हो जाती हैं। आमतौर पर, यह मौसम के पैटर्न में बदलाव के साथ जुड़ा होता हैं। हालाँकि, कई लोगों का मानना ​​है कि मौसम जोड़ों को प्रभावित कर सकता हैं, किन्तु साइंस में अभी भी इसको लेकर पूरी तरह आत्मविश्वास नहीं हैं कि क्या मौसम सचमुच जोड़ो के दर्द को प्रभावित करता है?

  1. जोड़ो का दर्द क्या मौसम से प्रभावित होता है - Is Joint Pain Affected by Weather in Hindi
  2. जोड़ो के दर्द को कम करने के तरीके - Methods of Reducing Joint Pain in Hindi
  3. जोड़ो के दर्द को कम करने के लिए करे व्यायाम - Warm to reduce joint pain in Hindi
  4. जोड़ो के दर्द में क्या खाएं - What to eat in joint pain in Hindi
  5. जोड़ो के दर्द में क्या न खाएं - What not to eat in joint pain in Hindi
  6. जोड़ो के दर्द का निवारण - Prevention of Joint Pain in Hindi

कई सिद्धांत बताते हैं कि क्यों मौसम जोड़ों के दर्द को प्रभावित कर सकता है, लेकिन कोई सिद्ध सिद्धांत नहीं है। एक सिद्धांत यह है कि जोड़ों में मौसम के कारण दबाव बढ़ता है, जिससे श्लेष (सीनोविअल) द्रव का सबकोंडरल हड्डी (जोड़ो के कार्टिलेज के निचे पायी जाने वाली हड्डी जिसमे अस्थिमज्जा भरा होता हैं) में स्थानांतरण हो सकता है। असल में, यह आपके जोड़ो के अंदर एक प्रेशर कुकर बनाता है जो तंत्रिका के अंत को हिट करता है।
एक रासायनिक सिद्धांत यह है कि चूंकि मौसमी परिवर्तनों के कारण दबाव बढ़ सकता है, अस्थि ऊतक सूजन के प्रसिद्ध कारकों जैसे TNF-अल्फा और IL 6 जैसे पदार्थों का उत्पादन करके सूजन पैदा करते हैं। अंत में, कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि एक मनोवैज्ञानिक तंत्र हैं, जहां लोगों का मानना ​​है कि उनके जोड़ो के दर्द पर मौसम का प्रभाव पड़ता हैं, इसलिए उनके लिए ऐसा होता हैं।

Joint Pain Oil
₹494  ₹549  10% छूट
खरीदें

यदि आपको मौसम में उतार-चढ़ाव के साथ जोड़ों में दर्द का अनुभव है, तो यह संभवतः विशिष्ट जोड़ों में होता है और हो सकता है कि उस जोड़ में गठिया की समस्या की कुछ निश्चित मात्रा हैं। इससे निपटने के लिए आप निम्न लिखित कुछ तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

विशेष रूप से प्रभावित जोड़ों के लिए, आप वार्म अप को दुगुना करें। यदि आप अपने जोड़ों की स्तिथि ख़राब महसूस करते हैं, तो आप वार्म अप को दोहराएं। यदि आप अभी भी दर्द या कठोरता महसूस करते हैं, तो कसरत की तीव्रता में 50% की कटौती करें या बस अपने बाकि के प्रशिक्षण समय को जोड़ो की गतिशीलता के साथ व्यतीत करें। प्रशिक्षण में लम्बा समय प्रशिक्षण के एक दिन से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।

सूजन वाले जोड़ों के लिए कठोर प्रशिक्षण एक उचित उपाय नहीं हैं, इसलिए यदि आप मौसम में बदलावों से प्रभावित हैं, तो स्मार्ट तरीके से किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही प्रशिक्षण करें। नियमित रूप से स्ट्रेचिंग व्यायाम और दैनिक शारीरिक गतिविधि ऐसी परेशानी से आपको दूर रखेंगे। दिन में दो बार स्ट्रेचिंग करने की सिफारिश की जाती है।

इन कुछ व्यायाम का सुबह अभ्यास करने का प्रयास करें जैसे यदि आप लंबे समय के लिए बैठे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि कुछ समय आप खड़े रहें और हर आधे घंटे में थोड़ा चलें। वातानुकूलित वातावरण में बैठने से दर्द बढ़ता है। इसलिए, उठकर हर 40 मिनट में कुछ कदम चलें। आप कुछ योग या स्ट्रेचिंग की भी कोशिश कर सकते हैं। (और पढ़े - योग को अपनाएं, जोड़ों में दर्द से राहत पायें)

Joint Capsule
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

वसा-घुलनशील विटामिन A, D, E, K का सेवन करें। उपयुक्त पोषण लेना किसी भी बीमारी में मदद करता है और वसा-घुलनशील विटामिन लेने पर अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए। एक अध्ययन में पाया गया कि विटामिन D की कमी गठिया के रोगियों में अधिक आम है। अन्य परीक्षणों ने विटामिन E के साथ सकारात्मक प्रभाव दिखाया है। स्वास्थ्य के लिए, आपको इन सभी विटामिन की जरूरत है, बहुत से लोग भूल जाते हैं कि उन्हें अवशोषित करने के लिए वसा की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, सूजन स्तर सामान्य रखने में पॉलीअनसेचुरेटेड, संतृप्त, और मोनोअनसैचुरेटेड वसा का संतुलन महत्वपूर्ण है। प्रत्येक भोजन में, एक वसा के स्रोत का उपभोग करने का प्रयास करें। नारियल तेल, मछली और मरहम-पट्टी के लिए जैतून का तेल का प्रयोग कर सकते हैं।

आपके पेट को प्रभावित करने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन पर अतिरिक्त ध्यान दें, क्योंकि कई बार हम चरम सीमाओं को देखने से सीखते हैं। क्रोहन’स और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी स्थितियों को देखते हुए, यह पाया गया हैं कि पाचन क्रिया और गठिया जैसी अन्य शारीरिक स्थितियों के बीच एक सम्बन्ध हैं। वास्तव में, एक शोध का अनुमान है कि इन दोनों स्थितियों में से एक से प्रभावित 16 और 30 प्रतिशत लोगों को गठिया हैं। भले ही आपको आंत्र में सूजन रोग न हो, आप को अपने पेट का पूरा ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि आपका बाकि शरीर कैसे काम करेगा यह इसी पर निर्भर हैं। उन खाद्य पदार्थों का सेवन न करें जिनसे आपको परेशानी हो सकती हैं। यदि आपको किसी खाद्य से एलर्जी या उसके प्रति इन्टॉलरेंस है तो सावधान रहें।

रुमेटीयड गठिया और पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस रोगियों के मामले में, डॉक्टर से परामर्श करें यदि आपका दर्द बढ़ता है। आपकी वर्तमान दवा में संशोधन की आवश्यकता हो सकती हैं। जरूरत पड़ने पर कुछ संशोधित दवाएं आपके चिकित्सक द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं। परेशानी या दर्द को नजरअंदाज नहीं करें। लगभग 22 डिग्री सेल्सियस का इष्टतम तापमान बनाए रखना असुविधा से राहत देने में मदद कर सकता है।

ऐप पर पढ़ें