अपने शरीर को सुंदर बनाने की चाह हर किसी की होती है, इसके लिए हम कई सारे प्रयास करते हैं। शरीर को सुंदर बनाने की कोशिश और प्रयास सामान्य है, लेकिन सिर्फ इसी बारे में सोचते रहना विकारों का संकेत हो सकता है। बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर (बीडीडी) ऐसा ही एक मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकार है, जिसमें व्यक्ति अपनी शारीरिक बनावट में कथित दोष के बारे में अत्यधिक चिंता करना शुरू कर देता है। यह समस्या शरीर के किसी भी अंग को लेकर हो सकती है, लेकिन चेहरे और बालों के बारे में लोगों का अत्यधिक सोचना और परेशान रहना सबसे आम है।

बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर क्या है?

बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर की स्थिति में व्यक्ति का ध्यान हमेशा अपने शरीर में कथित दोष पर ही रहता है। बार-बार शीशे में देखकर वह खुद को सुधारने का प्रयास करता है। तमाम प्रयासों के बाद भी वह आश्वस्त नहीं हो पाता है। कुछ लोगों को लगता है कि उनके हंसने का तरीका सही नहीं है, कुछ को लगता है कि उनके होंठों की बनावट अजीब है जबकि कुछ लोगों को लगता है कि उनके चेहरे के मुहांसे ने उनकी रंगत खराब कर दी है। इस बारे में सोचते रहना और उसे चिंता का विषय बना लेना बीडीडी का संकेत हो सकता है।

एक अध्ययन से पता चलता है कि अमेरिका में करीब 4 फीसदी लोगों में इस तरह की समस्या देखने को मिलती है। 15-30 साल की आयु वाले लोग, विशेषकर महिलाएं इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। बीडीडी के शिकार लोगोंं को हर समय अपनी शारीरिक बनावट को लेकर चिंता रहती है जो उनके रिश्तों और जीवन पर भी बुरा प्रभाव डालती है। सामान्य रूप से इस प्रकार के विकारों की पहचान करना मुश्किल होता है। हालांकि, अगर इसका निदान हो जाए तो संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) जैसे कई चिकित्सकीय उपाय और थेरपी हैं जो इस समस्या को दूर करने में काफी प्रभावी हो सकते हैं।

इस लेख में हम बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानेंगे।

बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर के लक्षण - Body Dysmorphic Disorder symptoms in hindi

अपनी शारीरिक बनावट को लेकर बहुत अधिक चिंतित रहना, हर वक्त उसी के बारे में सोचते रहना, बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर का मुख्य लक्षण है। कुछ लोगों में इस समस्या का प्रभाव थोड़े दिनों तक रहता है जबकि कुछ में इसके लक्षण दीर्घकालिक हो सकते हैं। इसके अलावा कई लोगों में समय के साथ शरीर के एक से दूसरे अंग पर भी ध्यान स्थानांतरित होते देखा गया है।

सामान्य रूप से इन लक्षणों से बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर को पहचाना जा सकता है।

  • शारीरिक कुरूपता को लेकर धारणा बना लेना जो आम तौर पर दूसरों को नजर नहीं आता।
  • एक प्रकार का दृढ़ विश्वास बना लेना कि शरीर में कोई दोष है जो आपको विकृत बनाता है।
  • ऐसा सोचना कि आपकी बनावट को लेकर लोग नकारात्मक बातें करते हैं और हंसी उड़ाते हैं।
  • शरीर के कथित दोष को लोगों से छिपाने की कोशिश करते रहने, बार-बार शीशा देखना और हमेशा उसी दोष को ठीक करने में व्यस्त रहना।
  • लोगों से अपने लुक के बारे में बार-बार पूछते रहना।
  • अपनी लुक को लेकर हीन भावना रखना, सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने से बचना।
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बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर का कारण - Body Dysmorphic Disorder causes in hindi

बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर विकार की मुख्य वजह क्या है, इसे अब तक स्पष्ट समझा नहीं जा सका है। हालांकि, निम्नलिखित स्थितियां इस विकार को विकसित कर सकती हैं।

आनुवंशिक

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि यदि परिवार में किसी को बीडीडी की शिकायत रही हो तो यह दूसरे लोगों को भी हो सकती है। अध्ययन से पता चलता है कि बीडीडी से ग्रसित 8 प्रतिशत लोगों के परिवार वालों को भी इस तरह की समस्याएं देखने को मिली हैं।

मस्तिष्क की संरचना

कुछ अध्ययन बताते हैं कि मस्तिष्क की कुछ असामान्यताओं के कारण भी लोगों में बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर का विकास हो सकता है।

वातावरणीय कारक

जिन लोगों के परिवार में शारीरिक बनावट आदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है, उन लोगों में भी बीडीडी का जोखिम हो सकता है। बचपन में शोषण और शारीरिक बनावट को लेकर बार-बार टोकने के ​चलते भी इस तरह की समस्याएं विकसित हो सकती हैं।

न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन के स्तर में कमी

वैज्ञानिकों ने बीडीडी वाले कुछ लोगों में सेरोटोनिन नामक एक रसायन के स्तर में कमी दर्ज की। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि सेरोटोनिन वास्तव में इस समस्या में कोई भूमिका निभाता है, या नहीं। बीडीडी के इलाज में भी सेरोटोनिन से लक्षणों को कम होते भी देखा गया है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि बीडीडी और सेरोटोनिन का आपसी लिंक होना जटिल है।

बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर का निदान - Diagnosis of Body Dysmorphic Disorder in hindi

बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर की समस्या के निदान के लिए आपको किसी मानसिक रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

बीडीडी का निदान मुख्य रूप से निम्न बिंदुओं पर निर्भर करता है।

  • जोखिम कारकों, व्यक्ति की भावनाओं और सोच आदि के बारे में जानने के लिए उसका मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाता है।
  • व्यक्तिगत, सामाजिक और पारिवारिक माहौल के साथ रोगी की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानने की कोशिश की जाती है।
  • लक्षणों के आधार पर जानने की कोशिश की जाती है कि आखिर कौन सी परिस्थितियां बीडीडी की समस्या को ट्रिगर कर रही हैं?

बीडीडी के निदान में कॉस्मेटिक सर्जनों की भूमिका

डायग्नोस्टिक एंड सैटिस्टिकल मैनुअल (डीएसएम -5) द्वारा 2015 में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक अमेरिका में प्लास्टिक सर्जरी कराने वाले 7 से 8 प्रतिशत लोगों में बीडीडी की शिकायत देखने को मिली। इस संबंध में कई शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जनों से बीडीडी के संकेतों के बारे में जागरुक रहने की अपील भी की है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यदि बीडीडी प्रभावित कोई व्यक्ति सर्जरी कराता है और उसे फिर भी संतुष्टि नहीं होती है, तो ऐसी स्थिति में बीडीडी का प्रभाव और नकारात्मक हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसी कॉस्मेटोलॉजिस्ट के पास कोई व्यक्ति आए, जिसमें बीडीडी के लक्षण हों तो उसे मनोरोग विशेषज्ञ के पास भेज देना चाहिए।

बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर का इलाज -Treatment of Body Dysmorphic Disorder in hindi

बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर के इलाज के मुख्य रूप से दो माध्यम हैं। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) और दवाइयां।

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) से उपचार

सीबीटी के माध्यम से व्यक्ति की स्वयं के प्रति भावना और सोच को बदलने का प्रयास किया जाता है। व्यक्ति के नकारात्मक विचारों को बदलने में सीबीटी थेरपी काफी महत्वपूर्ण हो सकती है। इस थरेपी को काफी फायदेमंद माना जाता है। व्यक्ति के साथ उसके परिवार के लोगों से भी बात करके स्थिति को सुधारने का प्रयास किया जाता है। कई सारे शहरों में अब सीबीटी थेरपी ऑनलाइन भी उपलब्ध है।

दवाइयां

विशेषज्ञों का मानना है कि कई प्रकार की अवसादरोधी दवाएं बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर के लक्षणों को नियंत्रित करने में फायदेमंद हो सकती हैं। नकारात्मक विचारों और बार-बार आने वाले विचारों को दूर करने में यह दवाएं फायदेमंद होती हैं। ध्यान दें, बिना ​डॉक्टरी सलाह के दवाओं का सेवन करने के दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

कॉस्मेटिक सर्जरी करानी चाहिए?

विशेषज्ञों का मानना है कि बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर से ग्रसित लोगों को कॉस्मेटिक सर्जरी नहीं करानी चाहिए। इससे लक्षणों के और खराब होने का खतरा रहता है।

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