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किसी भी महिला के लिए गर्भपात शारीरिक व मानसिक रूप से मुश्किल भरा होता है. वैसे तो ज्यादातर मामलों में महिलाएं गर्भपात के बाद एक सप्ताह में ही सामान्य दिनचर्या में लौट आती हैं. वहीं, कुछ महिलाओं को गर्भपात से विभिन्न तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इनमें सबसे आम समस्या ब्लीडिंग की होती है. आमतौर पर महिलाएं इस ब्लीडिंग को पीरियड की शुरुआत समझ लेती हैं, जबकि ऐसा नहीं है.

आज हम इस लेख में हम गर्भपात के बाद होने वाली ब्लीडिंग से जुड़ी बातों के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. ब्लीडिंग कब तक होती है?
  2. पीरियड व गर्भपात की ब्लीडिंग में अंतर
  3. कब मिलें डॉक्टर से?
  4. सारांश
गर्भपात के बाद ब्लीडिंग कब तक होती है? के डॉक्टर

गर्भपात दो प्रकार के होते हैं. जब महिला ऑपरेशन से अपना अबॉर्शन करवाती है, तो उसे सर्जिकल अबॉर्शन कहा जाता है. वहीं, जब महिला का अबॉर्शन खुद ही किसी कारण से हो जाता है, तो उसे मेडिकल अबॉर्शन कहा जाता है. आइए, विस्तार से जानते हैं कि अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग कब तक होती है -

  • किसी भी तरह के अबॉर्शन होने के बाद महिलाओं की ब्लीडिंग एक हफ्ते से लेकर 15 दिन तक हो सकती है, जो पीरियड से बिल्कुल अलग होती है
  • सर्जिकल अबॉर्शन की तुलना में मेडिकल अबॉर्शन में महिला को ज्यादा ब्लीडिंग होती है. मेडिकल अबॉर्शन में ब्लीडिंग के साथ-साथ ब्लड क्लॉट्स भी आते हैं, जो लगभग 4 घंटे तक चलते हैं. अगर महिला को हर 2 घंटे में 2 से ज्यादा पैड बदलने पड़ रहे हों और ब्लीडिंग कम न हो रही हो, तो उसे डॉक्टर से तुरंत बात करनी चाहिए.
  • अबॉर्शन के बाद महिला को बहुत कम या बिल्कुल ही ब्लीडिंग न होना भी सही नहीं होता. ऐसे में यूट्रस में संक्रमण होने की आशंका हो सकती है. आमतौर पर अबॉर्शन के बाद महिला को ब्लीडिंग एक से दो हफ्ते तक होना जरूरी है. इसके बाद ब्लीडिंग स्पोटिंग में बदल जाती है या बिल्कुल बंद हो जाती है.

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गर्भपात के बाद और पीरियड्स दोनों में ही ब्लीडिंग होती है, लेकिन गर्भपात के बाद ब्लीडिंग ज्यादा होती है. साथ ही इस प्रकार की ब्लीडिंग में ब्लड क्लोट्स भी ज्यादा होते हैं. आइए, पीरियड फ्लो और गर्भपात के बाद होने वाली ब्लीडिंग के बीच का फर्क जानते हैं -

  • अबॉर्शन के बाद होने वाली ब्लीडिंग 7 दिन से लेकर 15 दिन तक हो सकती है, जबकि पीरियड के दौरान होने वाली ब्लीडिंग 5-7 दिन तक मानी जाती है.
  • पीरियड में आमतौर पर दूसरे और तीसरे दिन ब्लीडिंग ज्यादा होती है, जो 5वें दिन तक कम हो जाती है, जबकि अबॉर्शन के बाद होने वाली ब्लीडिंग में ऐसा कुछ पैटर्न नहीं होता है.
  • पीरियड में होने वाली स्पोटिंग पीरियड आने से 1-2 दिन पहले से शुरू होती है और खत्म होने के 1-2 दिन बाद बंद हो जाती है. वहीं, अबॉर्शन के बाद महिला में ब्लीडिंग कम होने के बाद अगले पीरियड के आने तक स्पोटिंग चल सकती है.
  • अबॉर्शन के बाद होने वाली ब्लीडिंग के समय महिला को पेट के निचले हिस्सेकमर में दर्द होता है, जबकि पीरियड फ्लो के दौरान पेट में क्रेम्प्स ज्यादा होते हैं.

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गर्भपात के बाद निम्न प्रकार के लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए -

  • अगर गर्भपात के बाद 15 दिन या इससे अधिक भी ब्लीडिंग हो रही है.
  • सिर हल्का लग रहा है और चक्कर आ रहे हैं.
  • यदि महिला को रुक-रुक कर ब्लीडिंग या स्पोटिंग या ब्लड क्लोट्स आ रहे हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए, क्योंकि इसका अर्थ हो सकता है कि यूट्रस में अभी भी भ्रूण का कुछ भाग बचा हुआ है, जिससे इन्फेकशन का खतरा बढ़ जाता है.
  • अगर पेट और कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है, जो सूप पीने या हॉट वॉटर बॉटल से सिकाई करने पर भी कम न हो.
  • यदि महिला को ब्लीडिंग के साथ-साथ उल्टी, दस्त, हल्का बुखार, ठंड लगना, पसीना आने की शिकायत हो.
  • यदि महिला को पेल्विक क्षेत्र में अत्यधिक दर्द, हरा/पीले रंग का डिस्चार्ज, डिस्चार्ज में दुर्गंध आए.
  • गर्भपात के बाद 4-8 सप्ताह के भीतर पीरियड शुरू न हों.

(और पढ़ें - गर्भपात के कितने दिन बाद सेक्स करें?)

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गर्भपात के बाद होने वाली ब्लीडिंग की वजह से महिला के शरीर में कमजोरी और शक्ति की कमी हो जाती है. इसका असर पूरे स्वास्थ्य पर पड़ता है. इसलिए, महिला को यह जानना चाहिए कि अबॉर्शन के बाद एक हफ्ते से लेकर 15 दिन तक ब्लीडिंग होना आम बात है, लेकिन यदि उसके बाद भी ब्लीडिंग हो, तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए.

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