गुरुवार को देश में कोविड-19 से ज्यादा चर्चा में रही दो एक जैसी घटनाओं ने 1984 के भोपाल गैस कांड की यादें ताजा कर दीं। खबरों के मुताबिक, पहले आंध्र प्रदेश के एक केमिकल प्लांट में जहरीली गैस के लीक होने से आठ से 11 लोगों के मारे जाने की जानकारी मिली। इसके बाद छत्तीसगढ़ में भी ऐसी ही एक घटना सामने आई है। यहां के रायगढ़ जिले में एक पेपर मिल में जहरीली गैस लीक होने की खबर है। घटना के बाद सात लोगों को पहले स्थानीय अस्पताल में भर्ती किया गया। वहां तीन की हालत गंभीर बताई गई, जिसके बाद उन्हें राजधानी रायपुर भेज दिया गया है।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, मिल में जहरीली गैस का रिसाव एक रात पहले ही शुरू हो गया था। उस समय मिल के कर्मचारी वहां सफाई का काम कर रहे थे। बताया गया है कि कोरोना वायरस संकट के चलते लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से मिल को बंद कर दिया गया था। अब लॉकडाउन में दी गई राहतों के चलते इसके फिर से खुलने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन उससे पहले ही हादसा हो गया।

विशाखापट्टनम हादसे के मृतकों की संख्या बढ़ी
इससे पहले गुरुवार को ही सुबह आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक बड़े केमिकल प्लांट से जहरीली गैस का रिसाव होने की खबर आई थी। शुरुआती मीडिया रिपोर्टों में इस घटना में मारे गए लोगों की संख्या पांच बताई गई थी, जो अब बढ़ कर 11 बताई जा रही है। वहीं, सैकड़ों के बीमार होने की खबर है। इनमें से कम से कम 25 की हालत नाजुक बनी हुई है।

हादसा जिले के गोपालपटनम इलाके में हुआ। प्लांट से गैस लीक होने की खबर मिलने के बाद प्रशासन ने इस इलाके और इसके आसपास के कुछ गावों को खाली करा दिया गया है। स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, मृतकों में से आठ की मौत मौके पर ही हो गई। बाकी तीन अस्पताल ले जाते समय मारे गए। विशाखापट्टनम के कलेक्टर वी विनय चंद ने बताया कि जहरीली गैस की चपेट में आने के चलते कई जंगली और पालतू पशुओं के अलावा पक्षी भी मारे गए हैं।

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कैसे हुई गैस लीक?
इस बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है। हालांकि अटकलें लगाई जा रही हैं कि कोविड-19 संकट के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन की वजह से प्लांट में बने टैंकों को किसी ने अटैंड नहीं किया, जिसके कारण उनमें लीकेज की समस्या आ गई। उधर, आंध्र प्रदेश के उद्यम मंत्री एम गौतम रेड्डी ने कहा है कि इस बारे में पूरी जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। वहीं, राज्य के डीजीपी दामोदर गौतम सावंग ने कहा है कि अब हालात नियंत्रण में हैं, लिहाजा लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। डीजीपी के मुताबिक, इस प्लांट की नियंत्रक कंपनी एलजी पॉलीमर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान केवल 15 लोग प्लांट की देखरेख कर रहे थे। बाकी के कुछ कर्मचारी आज ही दोबारा काम शुरू करने के लिए प्लांट पहुंचे थे।

एक ही दिन में हुए इन दोनों हादसों ने करीब 36 साल पहले हुई भोपाल गैस त्रासदी की याद ताजा कर दी। दिसंबर 1984 में हुई उस घटना में हजारों लोग जहरीली गैस की चपेट में आकर मारे गए थे। यह हादसा भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के पेस्टीसाइट प्लांट में हुआ था। बताया जाता है कि प्लांट से गैस के रिसाव से 3,700 से ज्यादा लोग मारे गए थे। लेकिन यह केवल औपचारिक आंकड़ा है। जानकार बताते हैं कि मृतकों की संख्या इससे कहीं ज्यादा थी।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें अब छत्तीसगढ़ में पेपर मिल में जहरीली गैस का रिसाव, सात पीड़ितों में से तीन की हालत नाजुक, आंध्र प्रदेश में मृतकों की संख्या 11 हुई है

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