चीन के वुहान शहर से शुरू हुई कोविड-19 महामारी अब पूरी दुनिया को अपना शिकार बना चुकी है। दुनिया भर में अब तक करीब 5 लाख लोग इस खतरनाक बीमारी के वायरस सार्स सीओवी-2 से संक्रमित हो चुके हैं। इटली इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश है, जहां अब तक करीब 7500 लोग काल के गाल में समा चुके हैं। यह आंकड़े 2002-03 में सामने आई सार्स महामारी से कहीं ज्यादा हैं। उस वक्त स्पेन और चीन दोनों को मिलकर 3000 से अधिक लोगों की मौतें हुई थी। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोविड-19 कितना खतरनाक है और पूरा विश्व किस भयावह आपदा से जूझ रहा है। कोविड-19 कोरोना वायरस का नया रूप है जिसे सूखी खांसी, सर्दी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ जैसे सामान्य लक्षणों से पहचाना जा सकता है।

चूंकि यह एक नए प्रकार का वायरस है, जिसके बारे में ज्यादा शोध नहीं हुआ है ऐसे में बचाव ही एकमात्र उपाय है। लिहाजा दुनिया के अधिकतर देशों ने लॉकडाउन, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू यात्राओं पर रोक जैसे उपायों को इससे बचने के​ लिए अपनाया है। इसके साथ ही सरकारों ने लोगों से अपील की है कि वह अधिक से अधिक समय अपने घरों में ही बिताएं, जिससे वायरस के संक्रमण पर नियंत्रण पाया जा सके।

इतिहास में यह पहली दफा नहीं कि किसी वायरल संक्रमण ने लोगों को इस कदर परेशान किया है। इससे पहले भी फैले कई संक्रमणों ने दुनिया की बड़ी आबादी को प्रभावित किया है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ संक्रमणों के बारे में बताएंगे जिनका दुनिया को घातक प्रकोप झेलना पड़ा है।

  1. इबोला वायरस का संक्रमण - Ebola virus ka sankraman in Hindi
  2. स्वाइन फ्लू वायरस - Swine flu virus in Hindi
  3. एचआइवी/एड्स - HIV/AIDS in Hindi
  4. एवियन फ्लू - Avian flu in Hindi
  5. सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) - Severe acute respiratory syndrome (SARS) in Hindi
  6. मारबर्ग वायरस - Marburg virus in Hindi
  7. हंता वायरस - Hanta virus in Hindi
  8. स्मॉल पॉक्स वायरस - Smallpox in Hindi
  9. पोलियो - Polio Virus in Hindi
  10. सामान्य फ्लू या इन्फ्लूएंजा - Influenza virus in Hindi
  11. डेंगू - Dengue in Hindi
घातक है कोविड-19 वायरस, जानिए अब तक कितने वायरस साबित हुए हैं जानलेवा? के डॉक्टर

साल 2013-14 में दुनिया के कई देशों को इबोला नामक वायरस ने अपनी चपेट में लिया था। करीब दो साल तक पश्चिमी अफ्रीका के कई देश इस वायरस के संक्रमण से जूझते रहे। लाइबेरिया, गिनी, सिएरा लियोन, नाइजीरिया, माली और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में इबोला ने खूब तबाही मचाई। इन देशों में वायरस ने 30 हजार से ज्यादा लोगों को संक्रमित किया, जबकि 11325 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। अन्य वायरसों की तुलना में इबोला कहीं ज्यादा खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इससे संक्रमित लगभग 50 फीसदी लोगों की मृत्यु हो जाती है।

सबसे पहले 1976 में कांगो में चमगादड़ों से फैलने वाले इस वायरस की पहचान हुई। इसने पूरी दुनिया में खूब आतंक मचाया। दुनियाभर में इबोला वायरस के पांच रूपों की पहचान की जा चुकी है। इनमें जैरे इबोला वायरस को सबसे खतरनाक माना जाता है। इस वायरस से संक्रमित 90 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है। इबोला वायरस संक्रमित व्यक्ति से स्पर्श और संभोग से फैलता है। मां से नवजात बच्चे में भी इसके फैलने के मामले सामने आए हैं।

(और पढ़ें : इबोलो का इलाज भी मौजूद है, जानें कैसे होता है इलाज)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Long Time Capsule
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

स्वाइन फ्लू ने भी दुनिया के ​कई देशों को अपनी चपेट में लिया। साल 1918 में सबसे पहले इस वायरस की पहचान हुई। ​विशेषज्ञों के मुताबिक साल 1918 में इसकी पहचान हुई और पाया गया कि यह वायरस सुअर से फैलता है। एच1एन1 नाम के इस वायरस को 1918 के स्पैनिश फ्लू से जोड़कर देखा गया।

साल 2009 में स्वाइन फ्लू वायरस का प्रकोप मैक्सिको में उत्पन्न हुआ। डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इस वायरस के कारण 18,000 से अधिक मौतें हुईं। अनुमान लगाया गया कि उस समय 70 से 140 करोड़ लोग इस वायरस से संक्रमित हुए थे।

(और पढ़ें : यहां जानें स्वाइन फ्लू के लक्षण कैसे होते हैं)

कई लाइलाज बीमारियों में से एक एचआइवी वायरस से फैलने वाले बीमारी एड्स का पता 1980 के दशक के शुरुआत में चला। सबसे पहले इसे अफ्रीका में इस वायरस की पहचान हुई। विशेषज्ञों ने अध्ययन के बाद बताया कि यह वायरस बंदरों की एक प्रजाति से आया है। असुरक्षित यौन संबंधों, संक्रमित रक्त, दूषित सुइयों और संक्रमित मां से बच्चे में इसके फैलने की आशंका जताई गई। एक अनुमान के अनुसार साल 2018 तक दुनियाभर में इस बीमारी ने 3 करोड़, 20 लाख लोगों की जान ले ली थी। यही नहीं डब्ल्यूएचओ के अनुसार करीब 3 करोड़ 80 लाख लोग इस समय इस वायरस से संक्रमित हैं और इनमें भी सबसे ज्यादा संक्रमित अफ्रीका में हैं।

(और पढ़ें : एचआइवी के सभी कारणों के बारे में यहा जानें)

एवियन फ्लू, बर्ड फ्लू वायरस का एक हिस्सा है। बर्ड फ्लू के कई रूपों ने दुनिया भर में समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाया है। यह उसी वायरस का नया रूप है जो सबसे पहले साल 2013 में चीन में प्रकाश में आया। इसे एच7एन9 फ्लू के रूप में भी जाना जाता है।

मनुष्यों में इससे होने वाली मृत्यु दर 60 फीसदी से अधिक होती है। अन्य दूसरे फ्लू के विपरीत एवियन फ्लू के मानव संचरण के मामले ज्यादा नहीं दिखाई दिए। लोगों में इसका संक्रमण मुर्गे और मांस के माध्यम से फैला।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Bhringraj Hair Oil
₹599  ₹850  29% छूट
खरीदें

साल 2002 के आखिरी महीनों में सार्स नाम के इस वायरस ने लोगों में काफी डर पैदा किया। चमगादड़ों से फैलने वाला यह वायरस चीन के ग्वांगडोंग प्रांत में सबसे पहले सामने आया। बाद में इसे कोरोना वायरस के ही एक भाग के रूप में जाना गया। इसे सार्स-सीओवी नाम दिया गया।

महामारी के रूप में इस वायरस ने देखते ही देखते दुनिया के 26 देशों में अपना जाल फैला दिया। वायरस का प्रकोप इतना अधिक था कि इससे 8,000 से अधिक लोग संक्रमित हुए और 774 लोगों की मौत हो गई। यह वैज्ञानिकों द्वारा पहचाना जाने वाला कोरोना वायरस का सबसे पहला मामला था। हालांकि, इसका प्रकोप कुछ महीनों तक सीमित रहा और इसे नियंत्रण में कर लिया गया फिर भी इस वायरस से होने वाली मृत्यु दर 11 फीसदी थी।

(और पढ़ें : जानें कोरोना वायरस के एक अन्य प्रकार सार्स का कारण)

मारबर्ग एक बहुत ही खतरनाक वायरस है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में मौत का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।  मारबर्ग वायरस एक रक्तस्रावी बुखार वायरस है जो मुख्य रूप से चमगादड़ों द्वारा दूषित किए गए फलों का सेवन करने से इंसानों में होता है।

1960 के दशक में इसका सबसे पहला मामला जर्मनी के मारबर्ग शहर से सामने आया, जिसके आधार पर ही इसका नाम रखा गया। कांगो में 1998 और 2000 के बीच केवल एक बार बड़े पैमाने पर इसका प्रकोप देखने को मिला। इसके चलते 154 संक्रमितों में से 128 की मृत्यु हो गई। इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर 90 फीसदी के करीब है।

जब पूरी दुनिया कोविड-19 से बचने के प्रयास में लगी हुई है, इसी बीच हाल ही में एक खबर ने लोगों के डर को और बढ़ा दिया। खबर के मुताबिक चीन में हंता वायरस ने दस्तक दी है, जिससे एक व्यक्ति की मौत भी हुई। हंता वायरस मुख्यरूप से चूहों के माध्यम से फैलता है, लेकिन इसके एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने के कोई संकेत नहीं मिले हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक अगर कोई इंसान चूहों के मल-मूत्र या लार को छूने के बाद अपने चेहरे पर हाथ लगाता है तो हंता संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है। संक्रमण का पता लगने में एक से आठ हफ्तों का वक़्त लग सकता है। 1950 के दशक में कोरियाई युद्ध के दौरान सैनिकों में हंता वायरस का पहला मामला सामने आया था। इस वायरस के चलते रक्तस्रावी बुखार और हंतावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम जैसे दो मुख्य रोग हो सकते हैं।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Energy & Power Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को शारीरिक व यौन कमजोरी और थकान जैसी समस्या के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Power Capsule For Men
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें

सूची में मौजूद सभी बीमारियों में से केवल स्मॉल पॉक्स ही ऐसी बीमारी है, जिसका पूर्ण रूप से इलाज कर बीमारी को खत्म कर देने का दावा किया जा रहा है। अर्थात अब इस बीमारी के मामले सामने नहीं आ रहे हैं।

चेचक वायरस के ​कारण फैलने वाले इस संक्रमण में प्रभावित व्यक्ति के मुंह में छाले और पूरे शरीर पर द्रव से भरे हुए दाने निकल आते हैं। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने और दूषित सतहों और वस्तुओं को छूने से यह वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। माना जाता है कि पिछली सदी यानी 1900 से 2000 के बीच चेचक से करीब 30 करोड़ लोगों की मृत्यु हुई थी। इस बीमारी से संक्रमित हर तीन में से एक व्यक्ति की मौत हो जाती थी।

चिकन पॉक्स से संक्रमित व्यक्ति में करीब एक हफ्ते तक काफी तीव्र असर रहता है। इस दौरान रोगी को आइसोलेट किया जाता है। विशेषज्ञों ने इसका टीका विकसित किया और इसका टीकाकरण बच्चों में होता है, लेकिन कभी-कभी उसके बाद भी यह रोग होने की आशंका रहती है।

पोलियोमाइलाइटिस जिसे आमतौर पर पोलियो के रूप में जाना जाता है, यह पोलियो वायरस के कारण होता है। इस वायरस ने 20 वीं शताब्दी में दुनिया भर में अपना व्यापक प्रकोप फैलाया।1980 के दशक में हर वर्ष औसतन 3.5 लाख लोग इस वायरस का शिकार होते थे। हालांकि, टीका विकसित होने के बाद सरकारों ने बड़े तेजी से इसे जड़ से खत्म करने का प्रयास शुरू किया।

अब दुनिया के ज्यादातर देश इस बीमारी से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। भारत में अब इस बीमारी के नए मामले सामने नहीं आ रहे हैं। आखिरी बार 2011 में इसका एक मामला सामने आया था।

(और पढ़ें : हमारा देश पोलियो मुक्त है, जानें इसका कारण)

इन्फ्लूएंजा को फ्लू के नाम से भी जाना जाता है। यह एक तरह की बीमारी है, जो आरएनए वायरस की वजह से होती है। ये वायरस जानवरों, पक्षियों व इंसानों की श्वसन नली को संक्रमित करते हैं। आमतौर पर लोगो में इस वायरस के संक्रमण से बुखार, खांसी, सिर दर्द और थकान जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों में मतली, उल्टी, दस्त और गले में खराश जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं। अधिकांश व्यक्तियों में फ्लू के लक्षण लगभग एक से दो सप्ताह तक रहते हैं। उसके बाद रोगी स्वस्थ हो जाता है। अन्य वायरल श्वसन संक्रमण (जैसे- जुकाम) की तुलना में फ्लू संक्रमण में व्यक्ति ज्यादा गंभीर रूप से बीमार होता है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्तियों की मृत्यु दर का आंकड़ा लगभग 0.1 प्रतिशत है।

कोविड-19, इन्फ्लूएंजा का एक नया रूप है। 1918 में फैले स्पेनिश फ्लू ने केवल दो वर्षों में वैश्विक आबादी के एक तिहाई हिस्से को अपना शिकार बना लिया था। स्वाइन फ्लू और एशियाई फ्लू के हालिया प्रकोपों ने भी वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

(और पढ़ें : जानें क्या है इनफ्लूएंजा यानी फ्लू का इलाज)

डेंगू मच्छरों के काटने से होने वाली यह बीमारी अब आम हो चली है। दुनिया के करीब 120 देशों में यह खास मौसम में फैलता है। एशिया और दक्षिण अमेरिका में डेंगू बुखार के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं।

यह एक मौसमी बीमारी है जो हर साल लगभग 4 लाख लोगों को संक्रमित करती है और इससे हर साल 40 हजार लोगों की मौत हो जाती है। इस बीमार से बचने के लिए इलाज उपलब्ध है, बावजूद इसके इलाज न हो पाने की स्थिति में बीमारी से होने वाली मृत्यु दर 20 फीसदी के करीब की है।

(और पढ़ें : जानें मच्छरों से फैलने वाली बीमारी डेंगू के लक्षण कैसे होते हैं)

Dr Rahul Gam

Dr Rahul Gam

संक्रामक रोग
8 वर्षों का अनुभव

Dr. Arun R

Dr. Arun R

संक्रामक रोग
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Neha Gupta

Dr. Neha Gupta

संक्रामक रोग
16 वर्षों का अनुभव

Dr. Anupama Kumar

Dr. Anupama Kumar

संक्रामक रोग


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें घातक है कोविड-19 वायरस, जानिए अब तक कितने वायरस साबित हुए हैं जानलेवा? है

संदर्भ

  1. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; 2014-2016 Ebola Outbreak in West Africa
  2. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; 2009 H1N1 Pandemic (H1N1pdm09 virus)
  3. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; HIV Surveillance Report: Statistics Overview
  4. World Health Organization [Internet]. Geneva (SUI): World Health Organization; SARS (Severe Acute Respiratory Syndrome)
  5. World Health Organization [Internet]. Geneva (SUI): World Health Organization; Dengue and Severe Dengue
  6. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Marburg hemorrhagic fever (Marburg HF)
  7. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Tracking a Mystery Disease: The Detailed Story of Hantavirus Pulmonary Syndrome (HPS)
  8. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Smallpox
  9. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Global Health: Polio
  10. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; 1918 Pandemic (H1N1 virus)
ऐप पर पढ़ें