स्वास्थ्य संबंधी कई ऐसी स्थितियां होती हैं, जिनमें रोगी को खून चढ़ाना पड़ सकता है। यह खून आमतौर पर ब्लड बैंक से प्राप्त होता है। ब्लड बैंक लोगों के द्वारा दान किए गए खून पर निर्भर करते हैं। दुनियाभर के ब्लड बैंक रक्त के तीन प्रकार के दान पर निर्भर करते हैं :
- स्वैच्छिक दान
- रक्त के बदले में किया जाने वाला दान (उदाहरण के लिए यदि अस्पताल में भर्ती किसी परिचित को रक्त की आवश्यकता है तो आप उसे रक्त दे सकते हैं)।
- रक्त के बदले मिलने वाला भुगतान
दुनिया के तमाम हिस्सों में फैली कोविड-19 महामारी के चलते पिछले कुछ महीनों में रक्तदान में कमी देखने को मिली है। कोविड-19 महामारी के चलते पहले लॉकडाउन और फिर लोगों के मन में बैठे तमाम प्रकार के डर के चलते ब्लड बैंकों में खून की कमी की समस्या भी देखने को मिल रही है। देश के कई हिस्सों से ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं जिसमें पता चलता है कि जरूरत के वक्त रोगियों को खून नहीं मिल पा रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से भी एक ऐसा ही मामला देखने को मिला, जिसमें थैलेसीमिया के मरीज को चढ़ाने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त उपलब्ध नहीं था। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अस्पताओं को रक्त चढ़ाने और रक्तदान अभियान को जारी रखने के लिए दिए गए आदेश और आश्वासन के बावजूद ब्लड बैंकों को समस्याओं का सामना करना पड़ा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, यदि किसी देश की आबादी के 1 से 3 फीसदी लोग रक्तदान करते हैं, तो यह देश की जरूरतों के लिए पर्याप्त हो सकता है। हालांकि, साल 2018 में भारत के आंकड़े चिंताजनक रहे हैं। इस वर्ष भारत एक फीसदी की सीमा को भी पार न कर सका और इस साल 1.9 मिलियन यूनिट रक्त की कमी देखने को मिली।
कोविड-19 महामारी के प्रभाव को देखते हुए 'राष्ट्रीय रक्ताधान परिषद' ने थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित रोगियों के लिए रक्ताधान को लेकर दिशानिर्देश जारी किए। आइए जानते हैं महामारी के दौरान ब्लड ट्रांसफ्यूजन को लेकर क्या नियम कायदे प्रयोग में लाए जा रहे हैं।