कोविड-19 की रोकथाम के लिए सबसे आगे की पंक्ति में काम कर रहे डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा बेहद अहम है। लेकिन मौजूदा स्वास्थ्य संकट के बीच कई डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्वपमेंट यानी पीपीई की कमी से जूझना पड़ा है। ऐसे में सरकार बड़ी संख्या में पीपीई आयात कर रही है और बनवा भी रही है। इसी के तहत अब एक नया पीपीई सामने आया है। खबर है कि देश की नौसेना ने इस पीपीई को तैयार किया है।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ के तहत आने वाली टेस्टिंग एजेंसी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंसेज (आईएनएमएएस) ने इस पीपीई का परीक्षण कर इसे प्रमाणित भी कर दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया है कि आईएनएमएएस ने नौसेना द्वारा निर्मित इस पीपीई का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की अनुमति दे दी है।

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एजेंसी के मुताबिक, इस संबंध में नौसेना ने एक प्रेस रिलीज जारी की है। इसमें उसने बताया है कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के मद्देनजर उसने इस पीपीई को बनाने की चुनौती ली। इसके बाद नेवी के इनोवेशन सेल, मुंबई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ नेवल मेडिसिन और नेवर डॉकयार्ड की टीम ने पीपीई का डिजाइन तैयार कर इसे बनाया। प्रेस रिलीज में कहा गया, 'आईएनएमएएस दिल्ली द्वारा पीपीई का परीक्षण कर लिया गया है। इसने सभी तरह के टेस्ट पास कर लिए हैं।' नौसेना ने बताया कि इस पीपीई का साधारण, किफायती और इनोवेटिव डिजाइन ही इसकी खासियत है।

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प्रेस रिलीज की मानें तो गाउन को तैयार करने के लिए सामान्य निर्माण सुविधाओं की जरूरत है। पीपीई को लेकर इसमें कहा गया है, 'पीपीई को बनाने में जो फैब्रिक इस्तेमाल हुआ है, वह इसे गौर करने लायक बनाता है। इसी के चलते पीपीई में सांस लेना सहज है और यह किसी भी तरह के बाहरी प्रभाव (वायरस या संक्रमण) को रोकने में सक्षम है। बाजार में जो पीपीई मिलते हैं, उनसे इसकी कीमत भी काफी कम है।' खबर के मुताबिक, डीआरडीओ की टेस्टिंग एजेंसी के परीक्षण में पास होने के बाद अब इस पीपीई का परीक्षण भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानकों के तहत होगा।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए नौसेना ने बनाया पीपीई, डीआरडीओ की टेस्टिंग एजेंसी ने किया पास है

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