दुनियाभर के वैज्ञानिक ओजोन लेयर (परत) में हुए जिस छेद या होल को लेकर चिंता में थे, वह बंद हो गया है। आर्कटिक ध्रुवीय क्षेत्र के वायुमंडल में स्थित ओजोन लेयर में बने कथित रूप से इस सबसे बड़े छेद पर नजर बनाए हुए वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि ओजोन लेयर ने अपनेआप को खुद ही ठीक कर लिया है। उधर, कुछ लोगों का कहना है कि ऐसा कोविड-19 संकट के चलते वैश्विक रूप से लागू लॉकडाउन की वजह से हुआ है। हालांकि वैज्ञानिकों ने इस बात को खारिज किया है। 

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट्स (ईसीएमडब्ल्यूएफ) के तहत कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) और कोपरनिकस ऐटमोस्फियर मॉनिटरिंग सर्विस (कैम्स) ने ओजोन लेयर में हुए इस महत्वपूर्ण बदलाव की पुष्टि की है। ईसीएमडब्ल्यूएफ ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह जानकारी देते हुए कहा, 'ओजोन परत के उत्तरी क्षेत्र में हुआ अभूतपूर्व होल बंद हो गया है।'

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बता दें कि ओजोन लेयर धरती के वायुमंडल का एक ऐसा क्षेत्र है, जो सूरज की पराबैंगनी किरणों को सोख कर इसके घातक प्रभाव से पृथ्वी और इस पर रहने वाले जीवों की रक्षा करता है। जानकार बताते हैं कि अगर यह परत न हो तो सूरज की घातक किरणों से हमें स्किन कैंसर हो सकता है। 1970 में वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया था कि इन्सानी गतिविधियों के चलते इस लेयर को नुकसान हो रहा है, जिससे धरती पर जीवन खतरे में पड़ सकता है।

इस साल मार्च में वैज्ञानिकों ने उत्तरी धुव के वायुमंडल में देखा कि ओजोन लेयर में एक बहुत बड़ा छेद हो गया है। उस समय उन्हें लगा कि अगर यह होल दक्षिण दिशा की ओर बढ़ता है तो इसके काफी घातक परिणाम हो सकते हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने कहा है कि दस लाख वर्ग किलोमीटर का यह छेद अब बंद हो गया है। साथ ही, उन्होंने साफ किया है कि ऐसा कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते घटे प्रदूषण की वजह से नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि इसके लिए ध्रुवीय धाराएं जिम्मेदार हो सकती हैं, जिनसे इस क्षेत्र में ठंडी हवा रहती है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें वैज्ञानिकों ने ओजोन लेयर में हुए सबसे बड़े होल के ठीक होने की पुष्टि की, लेकिन इसकी वजह लॉकडाउन नहीं है है

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