अमेरिका और सऊदी अरब के वैज्ञानिकों द्वारा किेए गए एक अध्ययन में टेस्टोस्टेरोन के कम लेवल और कोविड-19 के बीच संबंध होने का पता चला है। इन शोधकर्ताओं की मानें तो टेस्टिस (वीर्यकोष) में एसीई2 रिसेप्टर की मौजूदगी के चलते उनमें कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के होने का पता चला है। यह रिसेप्टर शरीर के कई अंगों की सतहों पर पाया जाता है। नए अध्ययन के मुताबिक, वीर्यकोष (टेस्टिस) से जुड़ी लेडिग कोशिकाओं में भी एसीई2 की मौजूदगी होती है। इन्हीं कोशिकाओं की जांच से पता चला है कि कोविड-19 महामारी की वजह बना कोरोना वायरस कम टेस्टोस्टेरोन वाले पुरुषों के लिए खतरनाक हो सकता सकता है।

अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि एंड्रोजन रिसेप्टर शरीर में मौजूद टीएमपीआरएसएस2 एंजाइम को टार्गेट करते हैं। इस एक्टिवेशन के कारण इन एंजाइम्स का लेवल कई ऊतकों में बढ़ जाता है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में टीएमपीआरएसएस2 की मात्रा काफी ज्यादा होती है। अध्ययन में बताया गया है कि टेस्टोस्टेरोन इम्यून रेस्पॉन्स को मॉड्यूलेट करने का काम करता है, इसलिए लो सिरम टेस्टोस्टेरोन से बायोलॉजिकल मार्कर्स नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। इसलिए जिन कोविड-19 के जिन मरीजों में टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम होता है, उनमें इस बीमारी के गंभीर रूप लेने की संभावना ज्यादा होती है। श्वसन संबंधी कोशिकाओं में एसीई2 रिसेप्टर की संख्या ज्यादा होने, लंग डैमेज का खतरा बढ़ने और रेस्पिरेटरी मसल कैटाबॉलिज्म के कारण उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है।

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महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन सात-आठ गुना ज्यादा होता है। यह अब कोई नई बात नहीं है कि उन्हें यह कोरोना संक्रमण ज्यादा बीमार करता है और उनकी मौत का कारण बनता है। आंकड़े बताते हैं कि पुरुषों में कोविड-19 की मृत्यु दर महिलाओं से दोगुना ज्यादा है। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि लोअर टेस्टोस्टेरोन लेवल होने से एसीई2 और टीएमपीआरएसएस2 होस्ट रिसेप्टर्स की संख्या बढ़ जाती है, इससे कोरोना वायरस को एलवियोलर सेल्स (फेफड़ों के बाहरी सतह पर मौजूद कोशिकाएं) में घुसने में आसानी हो जाती है, जिससे उन्हें सुरक्षा देने वाला पाथवे डीरेग्युलेट हो जाता है। इस पर अध्ययन रिपोर्ट कहती है, 'लोअर सिरम टेस्टोस्टेरोन लेवल कोविड-19 के मरीजों के लिए खराब संकेत है।'

अध्ययन कहता है कि कम टेस्टोस्टेरोन से कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से बीमार पुरुषों की एंडोथीलियल सेल्स का संचालन प्रभावित होता है और एक दोषपूर्ण इम्यून रेस्पॉन्स को बढ़ावा मिलता है, जो वायरस के लिए नहीं बल्कि मरीज के ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होता है। इस आधार पर अध्ययन के वैज्ञानिकों ने हाइपोथीसिज के तहत लो टेस्टोस्टेरोन लेवल को सीधे कोविड-19 के पुरुषों में गंभीर होने से जोड़ा है।

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लेकिन सिर्फ टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम होना ही कोविड-19 से ग्रस्त पुरुषों के लिए खतरे का संकेत नहीं है। अध्ययन कहता है कि इस हार्मोन का लेवल ज्यादा होना भी कोविड-19 के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि ऐसा होने पर वे थ्रोम्बोसिस का शिकार हो सकते हैं, जो इस बीमारी से जुड़ी एक और जानलेवा कंडीशन है। लिहाजा कोरोना वायरस के इलाज के संबंध में सिरम टेस्टोस्टेरोन लेवल का आंकलन करना बहुत ही जरूरी और महत्वपूर्ण बताया गया है। वैज्ञानिकों की मानें तो इससे ऐसे मरीजों के आईसीयू एडमिशन और लक्षित उपचार के लिए प्रभावी कदम उठाने में मदद मिलेगी।

अध्ययन में इन शोधकर्ताओं ने कहा है कि इसके लिए जरूरी है कि ट्रीटमेंट का तरीका और वैक्सीन डेवलेपमेंट से जुड़े प्रयास ऐसी दिशा में हों कि उनसे एसीई2 और टीएमपीआरएसएस2 की संख्या को लक्षित ढंग से रोका जा सके। टीएमपीआरएसएस2 का रेग्युलेशन डाउन होने से एस प्रोटीन की सक्रियता प्रभावित होगी, जिससे कोरोना वायरस एसीई2 से कम इंटरेक्ट करेगा और वायरल एंट्री को ब्लॉक करने में मदद मिलेगी।

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