कोविड-19 महामारी की वजह बने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मास्क पहनने की हिदायत इस स्वास्थ्य संकटी की शुरुआत से दी जाती रही है। दुनियाभर में इस उपाय को नहीं मानने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई तक हुई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से लेकर दुनियाभर के स्वास्थ्य संगठनों ने बार-बार कहा है कि अगर कोविड-19 को और बढ़ने से रोकना है तो लोगों को मास्क पहनना ही होगा। यहां तक कि वैक्सीन बनने के बाद भी कुछ समय तक इस वायरस प्रिवेंशन रणनीति का पालन करने की बात कही गई है। लेकिन अगर कोई आपसे कहे कि एक ऐसा देश भी है, जहां लोग नहीं बल्कि सरकार कह रही है कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मास्क पहनने की जरूरत नहीं है, तो आपको कैसा लगेगा? बात अजीब है, लेकिन सच है।

दरअसल, कोविड-19 की नई लहर से बुरी तरह प्रभावित यूरोप के एक देश स्वीडन में लोगों को मास्क पहनने की हिदायत नहीं दी जा रही है। इसे लेकर वहां की सरकार की पहले ही काफी आलोचना हो चुकी है। लेकिन स्वीडन प्रशासन पर इसका कोई प्रभाव नहीं दिखता है। वह भी तब, जबकि कोरोना वायरस यहां 7,000 से ज्यादा लोगों की जिंदगी ले चुका है। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने स्वीडन के स्वास्थ्य विभाग के एक शीर्ष अधिकारी से बातचीत की है। उसका मानना है कि उनके देश को अभी भी फेस मास्क की आवश्यकता नहीं है। जबकि इसी हफ्ते डब्ल्यूएचओ ने आवश्यक रूप से मास्क पहनने का सुझाव दिया है।

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दरअसल, स्वीडन की 'नो-लॉकडाउन रणनीति' के चलते यहां की स्वास्थ्य एजेंसी ने मास्क पहनने की सिफारिशों को मानने से इनकार कर दिया है। इसके लिए उसने मास्क की खराब गुणवत्ता का हवाला दिया है। एजेंसी ने यह तर्क भी दिया है कि उसे डर है कि मास्क पहनने के नाम पर कोरोना संक्रमण के लक्षणों का अनुभव करने वाला व्यक्ति भी (असिम्प्टोमैटिक होने पर) आइसोलेशन में जाने से बचने के लिए मुंह पर मास्क लगाकर घूम सकता है। एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि इसलिए उन्होंने मास्क पहनने को अनिवार्य करने से इनकार किया है। 

स्वीडन के प्रमुख महामारी विज्ञान विशेषज्ञ एंडर्स टेगनेल ने गुरुवार को एक समाचार सम्मेलन में कहा, 'कुछ परिस्थितियों में फेस मास्क की जरूरत हो सकती है। लेकिन स्वीडन में हेल्थकेयर से जुड़े विशेषज्ञों के साथ हमारी बातचीत हुई है, जिसमें हमने पाया है कि अभी देश में वैसी परिस्थितियां पैदा नहीं हुई हैं कि मास्क का इस्तेमाल करना पड़े।' टेगनेल और अन्य स्वीडिश अधिकारियों का मानना है कि कोरोना वायरस की रोकथाम के संबंध में मास्क पहनने के सकारात्मक परिणाम नहीं मिले है। टेगनेल ने कहा कि अब तक के सभी अध्ययन बताते हैं कि फेस मास्क लगाने की तुलना में सामाजिक दूरी बनाए रखना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।

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शायद यही वजह है कि स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन ने गुरुवार को घोषणा की कि हाई स्कूलों में इस साल के बाकी दिन अब डिस्टेंस लर्निंग (घर से ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई) के आधार पर ही पढ़ाई होगी ताकि कोरोना वायरस की दूसरी लहर को रोका जा सके। गौरतलब है कि स्वीडन में अब तक कोविड-19 संक्रमण से जुड़े दो लाख 78 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 7,067 मामलों में मरीजों की मौत हो चुकी है। गुरुवार को इस यूरोपीय देश में कोरोना संक्रमण के 6,485 नए मामलों की पुष्टि हुई है और 20 नई मौतें दर्ज की गई हैं।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: 7,000 मौतों के बाद भी स्वीडन की सरकार मास्क पहनना अनिवार्य करने को तैयार नहीं, जानें क्यों है

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