भारत में कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 की जांच के संबंध में दो महत्वपूर्ण अपडेट सामने आई हैं। पहली महत्वपूर्ण खबर महाराष्ट्र से है, जहां राज्य सरकार ने निजी लैबोरेटरीज के संदिग्ध मरीजों के ब्लड सैंपल लेने पर रोक लगाने का आदेश दिया है। खबर के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की दस निजी लैबों को नोटिस जारी कर आदेश दिया है कि वे कोविड-19 से जुड़े ब्लड सैंपल इकट्ठा करना बंद कर दें। बताया गया है कि इन लैबों में कोविड-19 की जांच के लिए जरूरी टेस्टिंग किट की कमी है, जिससे बीमारी की जांच और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की प्रक्रिया में देरी हो सकती है।

मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक, बॉम्बे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन यानी बीएमसी के अतिरिक्त निगम आयुक्त सुरेश ककानी ने यह भी बताया कि कुछ लैब टेस्टिंग किट के पर्याप्त स्टॉक बिना ही ब्लड सैंपल ले रही थीं। एक अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा, 'हमने प्राइवेट लैबों से कहा है कि वे उपलब्ध स्टॉक को ध्यान में रख कर ही सैंपल इकट्ठा करें। कोविड-19 के टेस्टिंग प्रोग्राम की शुरुआत में निजी लैबों ने इस बारे में प्रतिबद्धता जताई थी कि वे पर्याप्त टेस्टिंग किट के साथ तैयार रहेंगी। लेकिन ताजा मामले में इसका उल्लंघन हुआ है, लिहाजा लैबों को जल्दी से जल्दी से सुधार करने को कहा गया है।'

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बता दें कि आईसीएमआर ने अब तक 49 प्राइवेट लैबों को कोविड-19 की जांच करने की अनुमति दी है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इन लैबों के पास सैंपल इकट्ठा करने के लिए बड़ी संख्या में कलेक्शन सेंटर हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि कई सेंटरों को टेस्टिंग किट प्राप्त करने में समस्या आ रही है।

नई टेस्टिंग किट्स आने में लग सकता है 'दो महीनों' तक का समय
महाराष्ट्र में प्राइवेट लैबों में टेस्टिंग किट की कमी की जानकारी ऐसे समय में सामने आई है, जब जानकार पहले से कह रहे हैं कि देश में टेस्टिंग किट की कमी है और जिसके चलते भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने नई किट्स तैयार करने के लिए पिछले हफ्ते ही भारतीय कंपनियों को बोली लगाने के लिए आमंत्रित किया था।

इसी संबंध में दूसरी महत्वपूर्ण खबर यह है, कि सेरोलॉजिकल टेस्ट के लिए जिन दस लाख किट को तैयार किए जाने की बात कही जा रही है, उनकी आपूर्ति होने में एक से दो महीने तक का समय लग सकता है। आईसीएमआर ने मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात कही। इसमें आईसीएमआर का प्रतिनिधित्व कर रहे डॉक्टर गंगाखेडकर ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि अगले एक से दो महीनों में भारत में कम से कम सेरोलॉजिकल डायग्नॉस्टिक किट्स तैयार कर ली जाएंगी।'

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प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर खेडकर ने एक और बात कही। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर प्राइवेट लैबों को टेस्टिंग की मंजूरी देने में देरी नहीं कर रहा है, लेकिन अप्रूवल के बाद टेस्टिंग किट प्राप्त करना उन्हीं के ऊपर है। आईसीएमआर के प्रतिनिधि ने कहा, 'जो भी (लैब) हमारे मानकों पर खरा उतर रहा है, हम उसे टेस्टिंग करने की अनुमति दे रहे हैं। अब किट की प्राप्ति उन्हें स्वयं करनी होगी। अगर इसमें उन्हें कोई दिक्कत आती है, तो इसे उन्हें दूर करना होगा। हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते।'

हालांकि, आईसीएमआर ने यह बात फिर दोहराई कि उसके पास टेस्टिंग के लिए जरूरी 'रीएजेंट्स' (रासायनिक विश्लेषण में इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य रासायनिक पदार्थ) का पर्याप्त स्टॉक है। उसने कहा, 'सरकारी लैबों में इस्तेमाल होने वाली किट्स की प्राप्ति कर उन्हें स्टॉक में रखा जा रहा है। हमें इसमें कोई समस्या नहीं आ रही है।' लेकिन इसके साथ डॉक्टर खेडकर ने यह भी कहा कि निजी लैबों के लिए इन किट्स को प्राप्ति करने में आ रही दिक्कत आगे भी जारी रह सकती है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 की जांच के लिए जरूरी टेस्टिंग किट की आपूर्ति में लग सकता है दो महीने तक का समय, महाराष्ट्र में कुछ निजी लैबों पर हुई यह कार्रवाई है

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