इयरफोन या एयरपॉड का अत्यधिक इस्तेमाल करने से कान के संक्रमण के मामले बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। कोविड-19 महामारी ने वर्क कल्चर को बदल दिया है। लोग इंटरनेट के जरिये घर से ऑफिस से कनेक्ट होकर काम कर रहे हैं। इससे अलग-अलग डिवाइस पर निर्भरता बढ़ गई है। इयरफोन या एयरपॉड भी इनमें शामिल हैं, जो अब लोगों में कान का संक्रमण पैदा कर रहे हैं। महाराष्ट्र में सामने आया एक मामला इस जोखिम की ओर खींचता है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, यहां एक 52 साल के व्यक्ति के कान में इयरफोन के कारण संक्रमण होने की पुष्टि की गई है। पीड़ित एक आईटी कंपनी में कार्यरत है। हाल में उसे अपनी इस समस्या का पता चला, जिससे उबरने में उसे लगभग 40 दिन का समय लग गया।

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खबर के मुताबिक, पीड़ित ने मार्च महीने में इयरपॉड्स का इस्तेमान करना शुरू किया था। वह रोजाना सुबह साढ़े 9 बजे से शाम 6 बजे तक इस डिवाइस का इस्तेमाल कर रहा था। इस दौरान वह केवल एक घंटे के ब्रेक में इयरपॉड्स को कान से निकालता था। इस डिवाइस का इतना ज्यादा इस्तेमाल करने के बाद सितंबर महीने की शुरुआत में उसे कान में समस्या शुरू हुई। उसके ईएनटी डॉक्टर ने 10 दिन के लिए एंटीबायोटिक कोर्स लेने का सुझाव दिया, जिसका काफी लाभ भी हुआ।

लेकिन दवा का कोर्स खत्म होने का बाद संक्रमण फिर से हो गया। इसके बाद व्यक्ति को दर्द के साथ कान बहने की भी समस्या होने लगी। इस बार उसने फिर डॉक्टर को दिखाया तो डिसचार्ज के विश्लेषण में कान में एक ड्रग-रेजिस्टेंस बैक्टीरियल स्ट्रेन होने का पता चला। ऐसे में रोगी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत थी। हालांकि कोविड-19 महामारी के चलते रोगी को घर से इलाज कराना पड़ा। डॉक्टरों ने उसे एंटीबायोटिक पिपटैज दी। उन्होंने मरीज को चेताया था कि इस समस्या के चलते उसकी सुनने की शक्ति 30 प्रतिशत तक कम हो सकती है। हालांकि अच्छी बात रही कि ऐसा कुछ नहीं हुआ और 40 दिन के ट्रीटमेंट से मरीज में सुधार हो गया।

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कान की नली में होने वाला संक्रमण आमतौर पर 10 में से नौ रोगियों के लिए गंभीर नहीं होता है। हालांकि इस मामले में डॉक्टरों को संकेत मिले हैं कि इयरपॉड्स का लगातार इस्तेमाल करने से संक्रमण और गंभीर हो सकता है। लिहाजा उनका कहना है कि एक दिन में लगातार दो घंटे से अधिक समय तक इन उपकरणों (इयरफोन) का उपयोग नहीं करना चाहिए।

टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) से बातचीत में मुंबई के जेजे अस्पताल के एक ईएनटी स्पेशलिस्ट ने बताया कि समुद्र किनारे बसे शहरों, जैसे कि मुंबई में रहने वाले लोगों को आर्द्रता के कारण बाहरी कान के संक्रमण से बीमार होने का अधिक जोखिम होता है। इयरफोन या इयरपॉड का उपयोग किया जाता है, तो इससे कान में हवा जाना बंद हो जाती है। इस वजह से बैक्टीरिया या फंगल का खतरा बढ़ जाता है। इस विशेषज्ञ के मुताबिक, इयरबड्स के जरिए कानों को साफ करने से इंफेक्शन और बढ़ सकता है, इसलिए कानों की सुरक्षा के लिहाज से थोड़ी सी वैक्स (कान के अंदर जमा मैल) होना जरूरी है। लेकिन कान साफ करने की कोशिश में लोग इस मैल को और अंदर या गहराई में धकेल देते हैं। बाकी बची सूखी वैक्स कान के संक्रमण का कारण बनती है। ऐसे में ओटाइटिस एक्सटर्ना से बचने का सबसे आसान तरीका यह है कि नहाने के बाद कानों को सुखाने के लिए हेयर ड्रायर का उपयोग किया जाए। वहीं, इयरफोन का इस्तेमाल करते समय उन्हें स्पिरिट या सैनिटाइजर की मदद से स्टरलाइज (कीटाणुरहित) करें।

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आमतौर पर बारिश के मौसम में कान में बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन के मामले देखने को मिलते हैं। लेकिन टीओआई की रिपोर्ट में डॉक्टरों ने बताया है कि इस साल इन मामलों में कुछ ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। उनका कहना है कि बैक्टीरिया या फंगस के कारण कान के बाहरी क्षेत्र में होने वाले संक्रमण से जुड़े रोगियों की संख्या बढ़ी है। रिपोर्ट में कान, नाक और गले (ईएनटी) के विशेषज्ञ डॉ. दिव्य प्रभात कहते हैं कि इस साल मार्च के बाद से कान के संक्रमण से जुड़े रोगियों का आंकड़ा बढ़ा है और यह संख्या पहले के मुकाबले चार गुना ज्यादा है। डॉ. दिव्य के मुताबिक, 'मेरे पास इस शिकायत के साथ हर दिन चार से पांच नए मरीज आ रहे हैं। उनके कान में दर्द के साथ खुजली है, जिसके कारण वे हमेशा परेशानी में रहते हैं।'

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