दरअसल, रोजीग्लिटाजोन बनाने वाली फार्मास्युटिकल कंपनी 'ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन' (जीएसके) ने ही इस दवा से टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों के हृदय पर होने वाले प्रभाव को जानने की इच्छा जाहिर की थी। इसी के चलते पत्रिका में प्रकाशित शोध की शुरुआत हुई। कंपनी ने दवा के विश्लेषण के लिए शोधकर्ताओं की टीम को आईपीडी (इंडिविजुअल पेशेंट लेवल डेटा) उपलब्ध कराया।
इनसे मिली जानकारी के आधार पर शोधकर्ताओं ने 130 से ज्यादा क्लीनिकल परीक्षणों कर उनके नतीजों का विश्लेषण किया। इनमें 33 परीक्षण ऐसे थे, जिनमें आईपीडी के आंकड़ों के आधार पर 21,156 मरीजों को शामिल किया गया था। बाकी 97 ट्रायल में केवल सामान्य तरीके से किए गए, क्योंकि उनके लिए डेटा उपलब्ध नहीं था। वहीं, सभी परीक्षणों के लिए 48,000 से ज्यादा वयस्क रोगियों को शामिल किया गया था। अध्ययनकर्ताओं ने कम से कम 24 हफ्तों तक रोजीग्लिटाजोन और रोगियों पर उसके प्रभाव की तुलना की।
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कंपनी द्वारा दिए गए आईपीडी ट्रायल का अध्ययन करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि रोजीग्लिटाजोन दवा के सेवन से शुगर कंट्रोल होने की तुलना में हृदय रोग का जोखिम 33 प्रतिशत तक बढ़ गया था। इससे हार्ट अटैक और हार्ट फेल के साथ मृत्यु का जोखिम ज्यादा बढ़ गया।
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अध्ययन को लेकर शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके निष्कर्ष अलग-अलग डेटा स्रोतों के आधार पर निकाले गए हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि दवा से होने वाले अच्छे प्रभाव के सटीक आंकलन निकालने के लिए अभी और ट्रायल किए जाने की जरूरत है।