न्यूमोकोनियोसिस - Pneumoconiosis in Hindi

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October 03, 2020

October 03, 2020

न्यूमोकोनियोसिस
न्यूमोकोनियोसिस

न्यूमोकोनियोसिस क्या है?

न्यूमोकोनियोसिस एक फेफड़ों से संबंधित रोग है, जो आमतौर पर खान, निर्माण व धूल संबंधी कार्यों से जुड़े लोगों में देखा जाता है। ऐसे व्यवसायों से जुड़े लोगों में धीरे-धीरे समय बीतने पर उनके फेफड़ों में धूल जमा होने लग जाती है, जिससे फेफड़े पर्याप्त सांस नहीं ले पाते हैं। न्यूमोकोनियोसिस को “ब्लैक लंग डिजीज” या “पॉपकॉर्न लंग” के नाम से भी जाना जाता है।

(और पढ़ें - फेफड़ों के रोग का इलाज)

न्यूमोकोनियोसिस के लक्षण क्या हैं?

न्यूमोकोनियोसिस के लक्षण आमतौर पर हर व्यक्ति के अनुसार व रोग के प्रकार के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, नीचे कुछ लक्षणों के बारे में बताया गया है, जो अधिकतर मामलों में देखे जाते हैं -

इसके अलावा कई बार लक्षण उस पदार्थ पर भी निर्भर करते हैं, जिसके संपर्क में आप लंबे समय से रहे हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आप लंबे समय से एस्बेस्टोस युक्त धूल में सांस ले रहे हैं, तो प्लूरल स्पेस में द्रव जमा होने लगता है। फेफड़ों और छाती के बीच के हिस्से को प्लूरल स्पेस कहा जाता है।

न्यूमोकोनियोसिस के क्या कारण हैं?

जब कोई व्यक्ति कई सालों तक ऐसी जगह रहता है या काम करता है जहां पर धूल में विभिन्न प्रकार के केमिकल या खनिजों के कण पाए जाते हैं, जैसे सिलिका, कोल डस्ट या एस्बेस्टोस आदि तो उस व्यक्ति को न्यूमोकोनियोसिस होता है। जब ये धूल फेफड़ों में जमा होती रहती है और प्रति रक्षा प्रणाली इसका पता लगा लेती है, तो वह इसके प्रति प्रतिक्रिया देने लगती है। अपनी प्रतिक्रिया के रूप में प्रतिरक्षा प्रणाली फेफड़ों में जमा हुई धूल व अन्य खनिजों की बाहरी पदार्थ के रूप में पहचान कर लेती है और उनको नष्ट करने की कोशिश करने लगती है।

इस प्रतिक्रिया के दौरान जमी हुई धूल के आस-पास फेफड़ों के ऊतकों को भी क्षति पहुंचने लगती है और उनमें सूजन व लालिमा हो जाती है। इस कारण से फेफड़ों के ऊतकों में स्कार बन जाते हैं, जिस कारण से फेफड़े पूरी तरह फूलने व सिकुड़ने नहीं पाते है और पर्याप्त सांस नहीं मिलती।

न्यूमोकोनियोसिस का परीक्षण कैसे किया जाता है?

न्यूमोकोनियोसिस का परीक्षण आमतौर पर डॉक्टर के द्वारा आपके स्वास्थ्य संबंधी लक्षणों और उसकी जीवनशैली के बारे में पूछ कर ही किया जाता है। इसके बाद यदि डॉक्टरों को लगता है कि आपको यह रोग हो सकता है, तो वे पुष्टि करने के लिए फेफड़ों का एक्स रे और सीटी स्कैन जैसे इमेजिंग टेस्ट भी कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं -

न्यूमोकोनियोसिस का इलाज कैसे किया जाता है?

ब्लैक लंग डिजीज के लिए कोई सटीक इलाज नहीं हैं, क्योंकि अभी तक ऐसा कोई तरीका नहीं मिल पाया है, जिससे फेफड़ों से खनिज व केमिकल युक्त धूल को बाहर निकाला जा सके। हालांकि, वर्तमान में जो भी इलाज उपलब्ध हैं, उनसे सिर्फ लक्षणों को नियंत्रित और फेफड़ों को कार्यचालन स्थिति में रखा जा सकता है।

इसके इलाज के दौरान डॉक्टर आमतौर पर सांस के द्वारा ली जाने वाली दवाएं (इन्हेल्ड मेडिकेशन) देते हैं, जिनमें ब्रोंकोडायलेटर्स व कोर्टिकोस्टेरॉयड शामिल होती हैं। ये दवाएं निम्न कार्य करती हैं -

  • ब्रोंकोडायलेटर्स -
    ये दवाएं श्वसनमार्गों को शिथिल बनाकर उन्हें चौड़ा कर देती हैं, जिससे सांस लेने में हो रही दिक्कत को कम किया जा सके।
     
  • कोर्टिकोस्टेरॉयड -
    ये दवाएं श्वसन मार्गों में सूजन को कम करने का काम करती हैं। इन दवाओं से भी सूजन को कम करके श्वसन मार्गों को खोलने में मदद मिलती है।

यदि परीक्षण के दौरान मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की कमी भी पाई गई है, तो डॉक्टर इलाज में ऑक्सीजन थेरेपी को भी शामिल करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को मास्क या नाक में नली लगाकर (Prongs) उसके शरीर में ऑक्सीजन की कमी को पूरा किया जाता है।

(और पढ़ें - सूजन को कम करने के घरेलू उपाय)