कोविड-19 महामारी के चलते अन्य स्वास्थ्य सेवाएं काफी ज्यादा प्रभावित हुई हैं। इससे अन्य प्रकार की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। यही वजह है कि राज्य सरकारें अब ऐसी गंभीर बीमारियों की जांच में जुट गई हैं, जो बाद में एक बड़े प्रकोप का कारण बन सकती हैं। इसी के तहत महाराष्ट्र सरकार ने ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) और कुष्ठ रोग से जुड़े मामलों का पता लगाने के लिए नया अभियान शुरू किया है, जिसमें सरकार के लोग डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग कर इन बीमारी के मामलों का पता लगाएंगे। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग की मानें तो महीने भर चलने वाले इस अभियान के तहत प्रदेश के साढ़े आठ करोड़ से अधिक (8.66 करोड़) लोगों की स्क्रीनिंग करने की योजना है। इस अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 6.82 करोड़ और शहरी नगर निगम सीमा में रहने वाले 1.84 करोड़ लोगों को शामिल किया जाएगा।

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महाराष्ट्र में तपेदिक और कुष्ठ रोग से जुड़े मामलों के संयुक्त निदेशक डॉ. आर एस अदकेकर के मुताबिक, 'इस साल टीबी और कुष्ठ रोग से जुड़े कम मामले दर्ज किए गए हैं। हमें आशंका है कि वास्तव में लोगों के बीच बहुत से नए मामले अनियंत्रित हो गए हैं और हो सकता है कि वे इन्फेक्शन को दूसरों तक फैलाने का काम करें। लिहाजा संक्रमण के प्रसार को कंट्रोल करने के लिए और संक्रमित लोगों को उचित उपचार देने के लिए यह राज्यव्यापी अभियान सहायक होगा।'

क्या होगी अभियान की रूपरेखा?
मीडिया रिपोर्टों की मानें तो इस अभियान के तहत दो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की एक टीम (जैसे आशा या आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं) साथ मिलकर हर दिन 20 ग्रामीण घरों और 25 शहरी परिवारों के यहां जाएंगे। इस दौरान हर व्यक्ति से पूछताछ की जाएगी कि उसे पिछले दो सप्ताह से खांसी, बुखार और वजन कम होने से जुड़ी कोई समस्या तो नहीं आई है। इन सवालों के आधार पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा संदिग्ध लोगों से दो सैंपल इकट्ठे किए जाएंगे जो कि उनके लार या बलगम से संबंधित होंगे। यहां डॉ. अदकेकर ने जानकारी देते हुए बताया, 'टेस्टिंग के बाद जिन मामलों में संक्रमण की पुष्टि होगी उनका एक्स-रे किया जाएगा जिसके बाद उनका इलाज शुरू होगा।'

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कैसे होगी संदिग्ध मरीज की पहचान?
अभियान के तहत कुष्ठ रोग के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता संबंधित व्यक्ति की त्वचा पर सफेद और सुन्न पैच की जांच करेंगे। आगे की प्रक्रिया के लिए संदिग्ध लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा जाएगा। इस मुहिम के बारे में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य सचिव डॉ. प्रदीप व्यास ने बताया, 'पोलियो अभियान के आधार पर ही डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग के जरिए टीबी और कुष्ठरोग का संयुक्त अभियान शुरू किया गया है। जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त सीधे तौर पर इस अभियान को मॉनिटर करेंगे। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों को विश्वास है कि इस तरह एक बड़ी संख्या में टीबी और कुष्ठरोग से जुड़े लुप्त मामलों का पता चल सकता है। ये वो लोग होंगे, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के चलते अस्पताल जाने से दूरी बनाई रखी।

उल्लेखनीय है कि कोविड महामारी और उसके चलते लगाए गए लॉकडाउन की वजह से इन बीमारियों से जुड़े नए मामलों में 40-50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। ऐसे में इस सरकारी अभियान को लेकर महाराष्ट्र के स्वास्थ्य राज्यमंत्री राजेंद्र पाटिल-याद्रवकर ने लोगों से अपील की है कि वे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ सहयोग करें और किसी भी तरह के लक्षण की जानकारी साझा करें।

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