महंगी दवाओं और अस्पतालों के बिल से निपटने के लिए हेल्थ इन्शुरन्स खरीदना हर किसी के लिए जरूरी हो गया है। यदि आपने किसी भी बीमा प्लान से कवरेज नहीं लिया है और आपको कोई भी मेडिकल इमरजेंसी हो जाती है, तो ऐसे में आपको सारा मेडिकल खर्च अपनी जेब से ही भुगतान करना पड़ेगा। मेडिकल खर्च आजकल बहुत ज्यादा बढ़ गया है, जो किसी भी व्यक्ति के लिए भारी पड़ सकता है। बड़े मेडिकल बिल से छुटकारा पाने के लिए आपको myUpchar बीमा प्लस का चुनाव करना चाहिए। इस बीमा प्लान में आपको अच्छी कवरेज के साथ ही प्री-पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन, क्रिटिकल इलनेस, प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन आदि पर कवरेज मिलता है। इसके अलावा प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन के लिए जहां अन्य इन्शुरन्स में आपको 48 महीने यानी चार साल का इंतजार करना पड़ता है, वहीं बीमा प्लस में यह वेटिंग पीरियड सिर्फ 24 महीने यानी दो साल का है। यही नहीं बीमा प्लस में आपको 24x7 टेली ओपीडी की भी सुविधा मिलती है। इस तरह आपका ओपीडी पर होने वाला खर्च भी बच जाता है। किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के समय इलाज पर होने वाले खर्च का अधिकतर हिस्सा बीमा कंपनी ही उठाएगी। ऐसे में आपको मेडिकल इमरजेंसी जैसी परेशान कर देने वाली घड़ी में पैसे की व्यवस्था करने की चिंता नहीं रहती।

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हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदने में रुचि रखने वाले अधिकतर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं जैसे कि मेडिकल इमरजेंसी होने पर बीमा कंपनी किस प्रकार भुगतान करती है उसके लिए क्या करना होता है और क्लेम सेटलमेंट प्रोसीजर क्या है। हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में क्लेम सेटलमेंट करने के लिए दो प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें रिइम्बर्समेंट और कैशलेस के नाम से जाना जाता है। कैशलेस सेटलमेंट में बीमाकर्ता कंपनी पॉलिसी धारक के अस्पताल से डिस्चार्ज के समय बिल का भुगतान कर देती है। इसके विपरीत रिइम्बर्समेंट में मेडिकल खर्च का भुगतान व्यक्ति को अपनी जेब से करना पड़ता है, जिसके बाद वह बिल दिखाकर बीमाकर्ता कंपनी में क्लेम कर सकता है। इस लेख में हम आपको रिइम्बर्समेंट के बारे में जानकारी देने की कोशिश करेंगे -

  1. हेल्थ इन्शुरन्स में रिइम्बर्समेंट क्या है - What is Reimbursement in health insurance in Hindi
  2. रिइम्बर्समेंट की स्थिति में क्लेम कब करें - When to claim in reimbursement in Hindi
  3. हेल्थ इन्शुरन्स में रिइम्बर्समेंट के लाभ व नुकसान क्या हैं - What are the advantages & disadvantages of reimbursement in health insurance in Hindi

रिइम्बर्समेंट को हिन्दी में प्रतिपूर्ति कहा जाता है, जिसका मतलब है बाद में भुगतान करना। हेल्थ इन्शुरन्स के संबंध में रिइम्बर्समेंट का मतलब है कि आपको अस्पताल के बिल का भुगतान खुद से करना होगा और बाद में बिल व अन्य दस्तावेज दिखाकर बीमा कंपनी से राशि प्राप्त कर सकते हैं। चलिए एक उदाहरण के रूप में रिइम्बर्समेंट के बारे में समझते हैं -

मानकर चलिए आप एक बीमाधारक हैं और आपकी कंपनी क्लेम सेटलमेंट रिइम्बर्समेंट के रूप में करती है। ऐसे में जब आपको कोई मेडिकल इमरजेंसी होती है, तो आपको अस्पताल व दवाओं का सारा खर्च अपनी जेब से देना पड़ेगा। इसके बाद जब आप अस्पताल से घर आ जाते हैं, तो बीमाकर्ता कंपनी को बिल व अन्य आवश्यक दस्तावेज दिखाकर क्लेम कर सकते हैं। कंपनी बिल व अन्य सभी कागजों को वेरिफाई करती है और आपको मेडिकल खर्च की राशि दे देती है।

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यदि आप एक हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसीधारक हैं, तो हो सकता है कि आपकी कंपनी भी रिइम्बर्समेंट के रूप में क्लेम सेटल करने की शर्त रख दे। इसलिए, आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आप किस तरह की मेडिकल इमरजेंसी होने पर किस समय क्लेम कर सकते हैं। इस सवाल के जवाब की पुष्टि तो नहीं की जा सकती है, क्योंकि हर बीमाकर्ता कंपनी के अपने मानदंड हो सकते हैं, जिनमें रिइम्बर्समेंट क्लेम सेटल करने की अवधि भी अलग होती है।

वैसे अधिकतर बीमाकर्ता कंपनियां व्यक्ति के अस्पताल से डिस्चार्ज होने के 7 से 15 दिन बाद क्लेम रिकवेस्ट स्वीकार करती हैं। इसका मतलब यह है कि यदि आप आज अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं, तो एक हफ्ते बाद क्लेम रिकवेस्ट डाल सकते हैं। हालांकि, यह अवधि हर कंपनी के अनुसार अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए पॉलिसी खरीदने से पहले उसके दस्तावेजों को अच्छे से पढ़ लें या कंपनी के कर्मचारी से इस बारे में पूछ लें।

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ऊपर का लेख पढ़कर आप रिइम्बर्समेंट के बारे में जान चुके होंगे और अब आपके मन में यह सवाल होगा कि रिइम्बर्समेंट से क्या फायदा हो सकता है। चलिए इसके फायदों व नुकसान के बारे में बात करते हैं -

  • रिइम्बर्समेंट के क्या लाभ
    इस क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस का सबसे मुख्य लाभ है कि आपको तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है। यदि मरीज इमरजेंसी वार्ड में भर्ती है, तो जाहिर है बीमाधारक के पास बीमाकर्ता कंपनी से संपर्क करने और सभी दस्तावेज प्रस्तुत करने का समय नहीं होता है। रिइम्बर्समेंट प्रोसेस में आप पहले मेडिकल इमरजेंसी के इलाज व दवाओं से संबंधित कार्य कर सकते हैं और बाद में बीमाकर्ता कंपनी से संपर्क कर सकते हैं। इसके विपरीत कैशलेस क्लेम प्रोसेस में आपको उसी समय सभी दस्तावेजी कार्य करने पड़ते हैं, जो काफी परेशान कर देने वाली स्थिति हो सकती है।
     
  • रिइम्बर्समेंट के नुकसान
    यदि आपने उपरोक्त लेख पढ़ा है, तो आप काफी हद तक इसके नुकसान के बारे में समझ ही गए होंगे। लेकिन, फिर भी आपको बता देते हैं कि रिइम्बर्समेंट प्रोसेस का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि शुरुआत में आपको ही सारे मेडिकल खर्च का भुगतान करना पड़ता है। इसके अलावा यह काफी थका देने वाली प्रोसेस है, इसमें आपको अस्पताल में दवाओं व अन्य सभी मेडिकल खर्च के बिलों को संभाल कर रखना पड़ता है और फिर अस्पताल से आने के बाद इन्हें बीमाकर्ता कंपनी में सबमिट करना पड़ता है। जैसा कि यह एक बड़ी क्लेम प्रोसेस है, इसलिए बिल व अन्य दस्तावेजों को वेरिफाई होने में भी अधिक समय लगता है। रिइम्बर्समेंट क्लेम राशि प्राप्त करने के लिए आपको अस्पताल व बीमाकर्ता कंपनी के कई चक्कर काटने पड़ सकते हैं।

वैसे तो अधिकतर बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों को कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा प्रदान करती हैं। लेकिन फिर भी कई ऐसी स्थितियां हो सकती हैं, जिनमें कैशलेस सेटलमेंट की बजाय रिइम्बर्समेंट प्रोसीजर अपनाना पड़ता है। ऐसा आमतौर पर तब किया जाता है, जब आप बीमाकर्ता कंपनी के नेटवर्क से बाहर किसी अस्पताल से अपना इलाज करवाते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदने से पहले उसके बारे में सारी जानकारी निकाल लें और यह पता लगा लें कि मेडिकल इमरजेंसी होने पर आपको किन स्थितियों में रिइम्बर्समेंट के रूप में क्लेम राशि मिलती है। यदि आप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो myUpchar बीमा प्लस आपके लिए काफी लाभदायक हो सकता है। बीमा प्लस के कई फायदों के बारे में हम आपको ऊपर बता चुके हैं। इसमें आईसीयू चार्ज व अन्य सभी महत्वपूर्ण मेडिकल खर्चों पर कवरेज मिलती है।

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