ऑफर - Urjas Oil सिर्फ ₹ 1 में X
परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी (Percutaneous Nephrolithotomy, PCNL) मरीज की पीठ में बनाये गए एक ट्रैक के माध्यम से गुर्दे में डाले गए नेफ़्रोस्कोप (Nephroscope के माध्यम से रोगी के मूत्र पथ से मध्यम या बड़े आकार के गुर्दे के स्टोन या गुर्दे की पथरी को हटाने की एक प्रक्रिया है। PCNL को पहली बार 1973 में स्वीडन में एक कम चीरकर या काटकर की जाने वाली प्रक्रिया (Minimally Invasive Procedure) के रूप में किया था।
(और पढ़ें - गुर्दे की पथरी की दवा)
"परक्यूटेनियस" शब्द का अर्थ है कि प्रक्रिया त्वचा के माध्यम से की जाती है। नेफ्रोलिथोटॉमी एक यूनानी शब्द है जिसका मतलब है "गुर्दा" और "काटकर स्टोन को निकालना"।
इस प्रक्रिया का उपयोग गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए किया जा सकता है जो:
सर्जरी की तैयारी के लिए आपको निम्न कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और जैसा आपका डॉक्टर कहे उन सभी सलाहों का पालन करना होगा:
इन सभी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर जाएँ - सर्जरी से पहले की तैयारी
स्टैंडर्ड परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी को आमतौर पर पूरा करने में लगभग तीन से चार घंटे लगते हैं। रोगी को एनेस्थीसिया देने के बाद, सर्जन रोगी की पीठ पर प्रभावित गुर्दे के ऊपर एक छोटा चीरा काटता है, जो लम्बाई में लगभग 0.5 इंच (1.3 सेंटीमीटर) का होता है। उसके बाद सर्जन त्वचा से गुर्दे की ओर एक ट्रैक बनाता है और टेफ्लॉन डाइलेटर (Teflon Dilator) या किसी अन्य उपकरण की मदद से ट्रैक को बड़ा करते हैं। आखिरी डाइलेटर के साथ एक म्यान (Sheath) की मदद से ट्रैक को खुला रखा जाता है।
ट्रैक को बड़ा करने के बाद, सर्जन एक नेफ्रोस्कोप (Nephroscope) डालते हैं। नेफ्रोस्कोप एक उपकरण है जिसमें एक फाइबर ऑप्टिक लाइट का स्रोत होता है और दो अतिरिक्त चैनल्स होते हैं जिनसे गुर्दे के अंदर देखा और उसे इर्रिगेट (धोया; Irrigate) किया जाता है। सर्जन छोटे स्टोन या पथरी को निकालने के लिए एक ऐसे उपकरण का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जिसके एक छोर पर एक टोकरी या बास्केट लगी होती है जिससे पथरी को पकड़ा जा सके। बड़े स्टोन या पथरी को अल्ट्रासोनिक या विद्युत हाइड्रोलिक प्रोब (Ultrasonic or Electro Hydraulic Probe) , या हॉल्मियम लेज़र लिथोट्रिप्टर (Holmium Laser Lithotriptor) से ब्रेक (तोड़ा) जाता है। हॉल्मियम लेज़र का यह फायदा होता है कि इसे हर प्रकार की पथरी में प्रयोग किया जा सकता है।
मूत्राशय से मूत्र प्रणाली को खाली करने के लिए एक कैथेटर (Cathetar) लगाया जाता है और चीरे में एक नेफ्रोस्टोमी ट्यूब (Nephrostomy Tube) लगायी जाती है जिससे गुर्दे से द्रव को ड्रेनेज बैग में निकाला जा सके। कैथेटर को 24 घंटों में हटाया जा सकता है।
यह परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी की एक नयी प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया एक छोटे नेफ्रोस्कोप से की जाती है। यह प्रक्रिया 99% बार पथरी (जो आकर में 1-2.5 cm तक हों) हटाने में प्रभावशाली सिद्ध हुई है। हालांकि यह बड़े स्टोन्स और पथरी के लिए प्रयोग नहीं की जा सकती। इस प्रक्रिया में कम जटिलताएं होती हैं, सर्जरी का समय कम होता है (लगभग एक से डेढ़ घंटे) और रिकवरी में भी कम समय लगता है।
स्टैंडर्ड परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी के बाद पांच से छह दिनों के लिए अस्पताल में रहने की आवश्यकता होती है। प्रक्रिया के बाद भी कहीं कोई स्टोन या उसके टुकड़े रह तो नहीं गए इसकी जांच करने के लिए यूरोलॉजिस्ट अतिरिक्त इमेजिंग अध्ययन करने के लिए कह सकते हैं। इन्हें ज़रुरत पड़ने पर नेफ्रोस्कोप से हटाया जा सकता है। नेफ्रोस्टोमी ट्यूब को हटा दिया जाता है और चीरे को पट्टियों से ढक दिया जाता है। मरीज़ को घर में पट्टियां बदलने के लिए निर्देश दिए जाते हैं।
सर्जरी के बाद मरीज़ को एक या दो दिन तक इंट्रावेनस (Intravenous; नसों में) ट्यूब से द्रव दिए जाते हैं। उसके बाद मरीज़ को ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा में द्रव का सेवन करने के लिए कहा जाता है ताकि प्रतिदिन 2 qt (1.2 l) मूत्र त्याग किया जा सके। कुछ दिनों तक मूत्र में रक्त आना सामान्य है। जोखिमों और जटिलताओं का आंकलन करने के लिए रक्त और मूत्र के सैंपल लिए जाते हैं।
सर्जरी के बाद डॉक्टर द्वारा बताये गए सभी निर्देशों का पालन करें जिससे जल्द से जल्द रिकवरी हो सके।
इस प्रक्रिया का स्टोन हटाने में एक अच्छा सफलता दर है, 98% से ज़्यादा जब स्टोन गुर्दे में थे और 88% जब स्टोन मूत्रनली में चला गया हो। हालांकि फिर भी हर प्रक्रिया की तरह इससे भी जुड़े कुछ जोखिम और जटिलताएं होती हैं।