आज कई दम्पतियों के पास अनचाहे गर्भ को रोकने के ढ़ेरों विकल्प मौजूद हैं। इन विकल्पों में कॉपर टी को भी शामिल किया जाता है। आज लोगों के बीच अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले विकल्पों में कॉपर टी एक खासा प्रचलित तरीका बन चुका है। इसके प्रभावों के कारण ही महिलाएं इसको अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने लगीं हैं। लेकिन कॉपर टी को लेकर महिलाओं के मन में कई तरह आशंकाएं भी बनी रहती हैं। आप सभी की इन्हीं आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए आज आपको कॉपर टी के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।

इसमें कॉपर टी के प्रकार, क्या यह सुरक्षित होता है, यह कैसे काम करता है, कॉपर टी को लगाने की विधि, इसको निकालने का तरीका, कॉपर टी के फायदे, नुकसान और कॉपर टी के मूल्य के बारे में भी बताया जाएगा। 

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  1. कॉपर टी क्या है? - Copper t kya hai
  2. कॉपर टी की पहचान कैसे करें?
  3. कॉपर टी कितने प्रकार की होती है?
  4. क्या कॉपर टी को लगाना सुरक्षित है? - Kya copper t ko lagana surakshit hai
  5. कॉपर टी कैसे काम करती है? - Copper t kaise kaam karti hai
  6. कॉपर टी लगाने की विधि और तरीका - Copper t lagane ki vidhi aur tarika
  7. कॉपर टी निकालने का तरीका - Copper t nikalne ka tarika
  8. कॉपर टी लगाने के फायदे - Copper t lagane ke fayde
  9. कॉपर टी कितने साल तक चलती है?
  10. कॉपर टी डालने में कितना दर्द होता है?
  11. कॉपर टी लगवाने के बाद क्या होता है?
  12. क्या कॉपर टी लगाने से वजन बढ़ता है?
  13. कॉपर टी का धागा कैसे निकालें?
  14. कॉपर टी का धागा टूटने से क्या होता है?
  15. क्या कॉपर टी निकालने के बाद ब्लीडिंग होती है?
  16. भारत में कौन सा कॉपर टी सबसे अच्छा है?
  17. क्या कॉपर टी सेफ है?
  18. कॉपर टी से नुकसान - Cooper t ke nuksan
  19. कॉपर टी का प्राइस (मूल्य) - Copper t ka price
  20. सारांश

महिलाओं को अनचाहे गर्भ से मुक्ति देने के लिए कॉपर टी का इस्तेमाल किया जाता है। गर्भनिरोध के उपकणों में कॉपर टी को भी शामिल किया जाता है। गर्भनिरोधक के इस विकल्प को मुख्यतः पहले मां बन चुकी महिलाओं के लिए उपयोगी बताया जाता है। कॉपर टी एक छोटा सा उपकरण होता है जो कॉपर (तांबे) और प्लास्टिक से बना होता है। इस उपकरण को महिलाओं के गर्भाशय में लगाया जाता है। जिसकी मदद से महिलाएं गर्भाधारण नहीं कर पाती हैं। लेकिन जब भी महिलाओं को गर्भाधारण की जरूरत महसूस होती है, तो वह कॉपर टी को आसानी से निकाल गर्भाधरण कर सकती हैं।

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कॉपर टी कोई चोरी-छुपे लगाई जाने वाली चीज़ नहीं है । इसकी पहचान आसान है, और खुद भी आप कुछ बातें ध्यान में रखकर जान सकती हैं कि आपके अंदर कॉपर टी है या नहीं। जानिए कैसे ?

  • धागा (String) Touch Test: - कॉपर टी के नीचे एक पतला धागा होता है जो सर्विक्स से थोड़ा बाहर की तरफ आता है। आप पीरियड्स के बाद साफ हाथों से वेजाइना के अंदर उंगली डालकर धीरे से महसूस करें – अगर वो पतला धागा है, तो कॉपर टी अपनी जगह पर है।
  • अल्ट्रासाउंड: -अगर आपको शक हो कि कॉपर टी गिर गई है या अपनी जगह से हिल गई है, तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करवाकर उसकी पोजिशन देख सकती  हैं।

अगर आपने कॉपर टी किसी सरकारी अस्पताल या क्लिनिक से लगवाई है, तो आपकी फाइल में इसका ज़िक्र होगा – मॉडल, डेट और कितने साल तक वैलिड है। अगर धागा नहीं दिख रहा या असामान्य ब्लीडिंग है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें । 

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कॉपर टी भी आजकल फैशन की तरह कई डिजाइन और मॉडल में आती है , लेकिन फर्क सिर्फ मॉडल का नहीं, सालों का होता है कि कौन कितने दिन साथ निभाएगा। चलिए समझते हैं कॉपर टी के प्रकार:

  • Copper T 380A - सबसे लोकप्रिय और भारत सरकार द्वारा सपोर्टेड मॉडल। 10 साल तक असरदार। इसमें 380mm² एरिया में तांबा लिपटा होता है, जिससे स्पर्म एक्टिव नहीं रह पाते।Safe, टिकाऊ, और सबसे भरोसेमंद।

कॉपर टी के लिए स्टडी 

ये स्टडी "Long-term safety, efficacy, and patient acceptability of the intrauterine Copper T-380A contraceptive device" है । इस अध्ययन का उद्देश्य कॉपर T-380A इंट्रायूटेरिन डिवाइस (IUD) के लंबे समय तक सुरक्षा, प्रभावशीलता और उपयोगकर्ता स्वीकार्यता का मूल्यांकन करना था।

इस अध्ययन में देखा गया कि कॉपर T-380A का विफलता दर पहले वर्ष में प्रति 100 महिलाओं में 1 से कम है, जो इसे अत्यधिक प्रभावी बनाता है। इसका नुकसान गर्भाशय में छेद (1–2 प्रति 1,000 इंसर्शन) और संक्रमण (पहले 20 दिनों में 9.68 प्रति 1,000 महिला-वर्ष) शामिल हैं, जो बहुत कम माने जाते हैं। 5 वर्षों के बाद, लगभग 50% महिलाएं इस IUD का उपयोग किया , जो इसकी उच्च स्वीकार्यता को दर्शाता है।

IUD हटाने के कारणों में देखा गया कि मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव और दर्द (डिसमेनोरिया) ,  ये दो प्रमुख कारण हैं, जिनके कारण महिलाएं IUD हटवाती हैं। इसके अलावा गर्भधारण की इच्छा, संक्रमण, या अन्य व्यक्तिगत कारण भी हो सकते हैं। 

इस अध्ययन का निष्कर्ष ये निकाल गया कि कॉपर T-380A IUD एक अत्यधिक प्रभावी, सुरक्षित और उपयोगकर्ता के लिए स्वीकार्य गर्भनिरोधक विधि है। इसके लंबे समय तक उपयोग से जुड़ी जटिलताएं दुर्लभ हैं, और अधिकांश महिलाएं इसे लंबे समय तक उपयोग में रखती हैं।

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  • Multiload Cu-375 - थोड़ा फ्लेक्सिबल और घुमावदार डिजाइन वाला, जिससे फिटिंग बेहतर होती है। 5 साल तक असरदार। शुरुआती इस्तेमाल वालों के लिए बढ़िया विकल्प।
  • Nova T -  T-शेप लेकिन एक तरफ से हल्का घुमावदार। 5 साल तक असरदार। यूरोप और प्राइवेट सेटअप में ज़्यादा इस्तेमाल होता है।
  • CuT 200 / CuT 220 - पुराने मॉडल्स जो अब बहुत कम इस्तेमाल होते हैं। 3 से 5 साल तक चलते हैं।

अंतर 

नाम

आकार

प्रभाव की अवधि

विशेषता

Copper T 380A

टी-आकार

10 साल

सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला

Cu-375

कर्वी

5 साल

आरामदायक फिटिंग

Nova T

हल्का मुड़ा हुआ

5 साल

यूरोपीय डिजाइन

कोई भी मॉडल लगवाने से पहले डॉक्टर से चर्चा जरूर करें , क्योंकि हर महिला की शारीरिक स्थिति और जरूरतें अलग होती हैं।

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कई महिलाओं के मन में यह सवाल आता है। कुछ महिलाएं इस सवाल का जवाब न मिलने पर गर्भनिरोधक का कोई अन्य विकल्प चुन लेती हैं, जबकि कुछ महिलाएं अपने डॉक्टर से इस बारे में पूछती हैं। कॉपर टी को इस्तेमाल करते समय महिलाओं के मन में आने वाले इस सवाल के जवाब में विशेषज्ञ कहते हैं कि गर्भ को टालने की यह तकनीक काफी प्रभावशाली है। इसका टी आकार गर्भाशय में आसानी से स्थित हो जाता है। इसके अलावा कॉपर टी आसानी से महिलाओं के गर्भाशय में बनने वाले अंडे को शुक्राणु से निषेचित नहीं करने देती है। जिस तरह से लगाने के बाद यह गर्भनिरोधक के रूप में काम करना शुरू कर देती हैं, ठीक उसी तरह इसको हटाने के बाद आप गर्भधारण करने में आसानी से सक्षम हो पाती हैं। कॉपर टी को 10 सालों तक गर्भ रोकने के लिए बनाया जाता है, लेकिन कई कॉपर टी 5 सालों तक ही कार्य कर पाती हैं। गर्भ को रोकने के कार्य की क्षमता कॉपर टी की गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है। इसके अलावा यदि आप जल्द प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, तो किसी भी समय इसको निकालकर गर्भधारण कर सकती हैं।

कॉपर टी में किसी भी तरह के हार्मोन मौजूद नहीं होते हैं, इसीलिए यह महिलाओं के मासिक धर्म चक्र को प्रभावित नहीं करती है। जबकि गर्भ नियंत्रण के कई अन्य तरह के हार्मोनल विकल्प मासिक धर्म को अनियमति कर देते हैं।  

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गर्भाशय में कॉपर टी सही तरीके से लग जाने पर अपना काम करना शुरू कर देती है। टी के आकार में बने इस उपकरण के चारों ओर लिपटा कॉपर गर्भाशय को प्रभावित करता है और जिससे आप गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। इस उपकरण का कॉपर गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय के अन्य तरल के साथ मिलकर उसमें कॉपर यानि तांबे की मात्रा को बढ़ा देता है। कॉपर की अधिक मात्रा के कारण यह द्रव शुक्राणुनाशक के रूप में काम करता है। जिससे गर्भाशय में पहुंचने वाले शुक्राणु इसके संपर्क में आने के बाद नष्ट हो जाते हैं। शुक्राणुओं के नष्ट होने से महिलाओं में ओवुलेशन के तहत बनने वाला अंडा निषेचित नहीं हो पाता है और इससे महिला प्रेग्नेंट नहीं हो पाती है।

कॉपर टी की प्रभावशीलता – कॉपर टी गर्भनिरोधक के तरीकों में काफी उपयोगी मानी जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह 99 प्रतिशत तक प्रभावी होती है।

प्रभाव की अवधि – कॉपर टी लगाने के बाद आप 5 से 10 सालों तक गर्भ धारण से मुक्ति पा लेंगी। इसकी समय अवधि कॉपर टी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। इसको निकालने के बाद आप आसानी से दोबार प्रेग्नेंट हो सकती हैं। मासिक धम्र के पहले 5 दिनों में कॉपर टी को लगाने से आप प्रेग्नेंट नहीं हो पाती हैं। कॉपर टी लगने के पहले सप्ताह के बाद से ही आपना कार्य करना शुरु कर देती है और यह कॉपर टी की अधिकतम समय सीमा तक प्रभावशाली रहती है। 

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कॉपर टी में टी के आकार के दोनों ऊपरी छोरों को नीचे की ओर झुकाकर उसको एक पतले पाइप में डाल दिया जाता है। इसके बाद इस पाइप को महिला की योनि से गर्भाशय में पहुंचाकर, कॉपर टी को वहां छोड़ दिया जाता है। पाइप से बाहर आते ही इस टी के दोनों छोर खुलकर अपने सही आकार में फिट हो जाता है। एक बार सही तरह से स्थित होने पर यह अपना काम करना शुरू कर देता है। इस तरह प्लास्टिक और कॉपर से बना यह छोटा सा उपकरण एक जन्म नियंत्रण उपकरण बन जाता है। कॉपर टी को डॉक्टर आपके गर्भाशय के आकार के अनुसार चुन सकते हैं। सही तरह से लगने पर कॉपर टी सालों तक बिना हिले अपना काम प्रभावी रूप से कर सकता है। इसको लगाने के लिए आपको किसी विशेषज्ञ या डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।

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कॉपर टी को निकालने का एक साधारण तरीका होता है। इसको आप अपने डॉक्टर की मदद से निकाल सकती हैं। कॉपर टी को निकालने के एक माह के अंदर ही आपका शरीर 30 प्रतिशत गर्भाधारण करने लायक हो जाता है। कॉपर टी के निचले छोर पर एक धागा होता है, जिसको बाहर की ओर खिंचने से कॉपर टी आसानी से बाहर निकल आता है। डॉक्टर फोरसेप (Forcep/ छोटा सा चिमटा) से इसको बाहर निकाल देते हैं। कई महिलाओं को कॉपर टी निकालते समय दर्द होता है। इस स्थिति में रक्त स्त्राव भी हो सकता है। लेकिन यह रक्त स्त्राव मासिक धर्म की तरह नहीं होता है। कॉपर टी को निकालने के तुरंत बाद इस तरह का रक्त स्त्राव होना आम बात है। कई मामलों में यह रक्त स्त्राव अपने आप ठीक हो जाता है। यदि कॉपर टी को लगाने की अधिकतम अवधि पूरी हो चुकी है, तो आप इसको निकाल कर उसी समय दूसरी कॉपर टी भी लगवा सकती हैं।

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कॉपर टी लगाने से कई तरह के फायदे होते हैं। जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • कॉपर टी में किसी भी तरह का हार्मोन मौजूद नहीं होता है। इसके साथ ही यह किसी भी दवा के साथ कोई भी प्रतिक्रिया नहीं करती है।
  • इसके इस्तेमाल के बाद अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए महिलाओं को अनावश्यक तनाव नहीं लेना पड़ता है। 
  • यदि कोई महिला प्रेग्नेंट होना चाहती हैं तो वह कॉपर टी को आसानी से हटा सकती है। इसके हटते ही आपका शरीर दोबारा से गर्भधारण करने के लिए तैयार हो जाता है। 
  • कॉपर टी को 10 सालों तक इस्तेमाल करने के लिए बनाया जाता है। 
  • लंबे समय तक प्रयोग में लाए जाने के कारण कॉपर टी गर्भनिरोधक के अन्य विकल्पों की अपेक्षा सस्ता विकल्प माना जाता है। 
  • जन्म नियंत्रण करने वाले प्रभावी तरीकों में कॉपरी टी का इस्तेताल किया जाता है। 

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Copper T 380A, जो सबसे ज़्यादा लगाया जाता है, वो पूरे 10 साल तक आपका साथ निभा सकता है।  कुछ और मॉडल्स जैसे Nova T या Multiload होते हैं जो 5 से 7 साल तक चलते हैं। यानी एक बार लगवा दिया, फिर कई सालों तक “क्या मैं प्रेग्नेंट तो नहीं?” वाली चिंता नहीं होती है। और अगर आपको पहले निकलवाने की जरूरत हो , तो डॉक्टर से मिलकर आराम से हटवाया जा सकता है।

अब ये सवाल हर दूसरी महिला पूछती है और डॉक्टरों का जवाब होता है – “थोड़ा असहज जरूर लगता है, लेकिन सहने लायक दर्द होता है। कॉपर टी डालते समय गर्भाशय के मुंह को थोड़ा खोलना पड़ता है, जिससे 1-2 मिनट के लिए मरोड़ जैसा दर्द हो सकता है। ये दर्द वैसा ही होता है जैसा पीरियड के पहले दिन का – कभी हल्का, कभी ज़्यादा, हर महिला के शरीर पर निर्भर करता है। अगर आप पहले से एक बच्चा कर चुकी है तो दर्द और भी कम होता है क्यूँ कि गर्भाशय पहले से थोड़ा ढीला होता है। डॉक्टर चाहें तो प्रक्रिया से पहले पेन किलर या लोकल एनेस्थीसिया भी दे सकते हैं। मतलब, दर्द तो है – पर कोई डरने वाली बात नहीं है। 

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कॉपर टी लगने के बाद शरीर थोड़ा समय लेता है उसे अपनाने में ,  शुरुआती 1-3 महीने तक पीरियड्स ज़्यादा भारी या दर्दनाक हो सकते हैं, कुछ महिलाओं को पेट दर्द, कमर दर्द, या स्पॉटिंग भी होती है। लेकिन धीरे-धीरे शरीर एडजस्ट हो जाता है और फिर सब नॉर्मल चलने लगता है।  कुछ महिलाओं को धागे (string) की वजह से असहजता हो सकती है, लेकिन ये धागा जरूरी है ताकि निकालते वक्त डॉक्टर उसे पकड़ सके। अगर इसे लगवाने के बाद तेज बुखार, तेज दर्द या असामान्य ब्लीडिंग हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें – वरना 90% महिलाएं इसे बिना दिक्कत के झेल लेती हैं।

नहीं, बिलकुल नहीं। कॉपर टी लगवाना वजन बढ़ाने वाला कोई टोना-टोटका नहीं है।  ये एक नॉन-हॉर्मोनल डिवाइस है, मतलब इसमें कोई एस्ट्रोजन या प्रोजेस्टेरोन नहीं होता। जबकि वजन बढ़ाने वाले ज़्यादातर गर्भनिरोधक जैसे पिल्स या इंजेक्शन हॉर्मोनल होते हैं। तो अगर आपका वजन बढ़ रहा है, तो इसके कारण कुछ और हो सकते हैं लेकिन ये नहीं।  

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कॉपर टी के निचले हिस्से में एक छोटा-सा धागा (string) होता है जो सर्विक्स से बाहर लटकता है – यही धागा डॉक्टर इस्तेमाल करते हैं इसे निकालने के लिए। लेकिन आप खुद से इसे बिलकुल न छेड़ें – वरना चोट लग सकती है या डिवाइस गर्भाशय में अंदर घुस सकता है। इसका  सही तरीका है – जब हटवाना हो, तो डॉक्टर के पास जाएं। वो एक छोटा सा उपकरण (forceps) लेकर उस धागे को पकड़ते हैं और बड़े आराम से खींच लेते हैं।  पूरा प्रोसेस 1 मिनट से भी कम का होता है। ना चीरा, ना टांका – बस आराम से निकल जाता है।

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अगर धागा टूट गया या दिखना बंद हो गया, तो इसका मतलब ये नहीं कि कॉपर टी गायब हो गई है – वो हो सकता है अंदर ही सुरक्षित हो। लेकिन ये भी संभव है कि डिवाइस अपनी जगह से सरक गया हो, या गर्भाशय की दीवार में थोड़ा घुस गया हो। इसलिए ऐसे केस में तुरंत डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड करके देखेंगे कि डिवाइस कहां है, और अगर जरूरत हो तो स्पेशल टूल्स से निकालेंगे।

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ज़्यादातर महिलाओं को बहुत हल्की स्पॉटिंग या मामूली ब्लीडिंग होती है, जो 1-2 दिन में ठीक हो जाती है।  कुछ को बिल्कुल भी नहीं होती। अगर आपको ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है या लंबे समय तक जारी है, तो हो सकता है कॉपर टी निकालते वक्त गर्भाशय थोड़ा इरिटेट हो गया हो – लेकिन चिंता की बात नहीं है, बस डॉक्टर को दिखा लें।

भारत में सबसे ज़्यादा भरोसेमंद और इस्तेमाल किया जाने वाला मॉडल है – Copper T 380A। यह 10 साल तक चलने वाला, बिना हॉर्मोन वाला और सस्ता है। इसके अलावा कुछ और मॉडल्स भी हैं जैसे Multiload Cu-375, Nova T आदि, जो थोड़े छोटे या कम समय तक चलने वाले होते हैं। Copper T 380A को WHO और भारत सरकार दोनों ने मान्यता दी है – यानी इसका ट्रैक रिकॉर्ड शानदार है। डॉक्टर भी अक्सर इसी की सलाह देते हैं।

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जी हां, कॉपर टी एक बहुत ही सुरक्षित, लंबे समय तक चलने वाला, और भरोसेमंद गर्भनिरोधक है – खासकर उन महिलाओं के लिए जो हॉर्मोनल गोलियों से परेशान हो गई हों या भूलने की बीमारी हो । इसके साइड इफेक्ट्स सीमित हैं और ज़्यादातर महिलाएं इसे बिना किसी बड़ी दिक्कत के झेल लेती हैं। हाँ, थोड़े-बहुत शुरुआती बदलाव (जैसे पीरियड्स का पैटर्न) हो सकते हैं, लेकिन लंबी अवधि में शरीर इसे अपना लेता है।

कॉपर टी लगाने के वैसे तो कई तरह के फायदे होते हैं, पंरतु इसको लगाने से आपको कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ सकता है। तो आइये, इससे होने वाले नुकसान के बारे में जानें -

बार-बार खून आना  – कई महिलाओं को कॉपर टी लगाने के बाद बार-बार रक्त स्त्राव होने की समस्या का सामना करना पड़ता है। सामान्यतः यह समस्या महिलाओं में कॉपर टी लगाने के शुरूआती दौर में सामने आती है। इसके अलावा कुछ महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेट के निचले हिस्से में ऐंठन होने की समस्या हो जाती है। मासिक धर्म में होने वाली सामान्य ऐंठन से यह परेशानी अलग होती है। इस दर्द में आप दर्द निवारक दवाओं का सेवन कर सकती हैं।

संक्रमण होना  – जिन महिलाओं को तांबे से एलर्जी होती है, उनको कॉपर टी लगाने से रैशेज व योनि में खुजली की समस्या हो सकती है। लेकिन, ऐसा बेहद कम महिलाओं को होता है। इस तरह के संक्रमण को दूर करने के लिए आपके पास कॉपर टी निकालने का ही विकल्प बचता है। कॉपर टी से संक्रमण होने पर आप गर्भनिरोधक के किसी अन्य विकल्प को चुन सकती हैं।

कॉपर टी का अपने आप बाहर आना – कई महिलाओं में कॉपर टी खुद-ब-खुद बाहर आ जाती है। कॉपर टी लगाने के शुरूआती दौर में ही ऐसी समस्या सामने आती है। बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद या पहले कभी प्रेग्नेंट न होने वाली महिलाओं में इस तरह की परेशानी देखने को मिलती है।

गर्भाशय में समस्या होना  – कई बार कॉपर टी को लगाने के दौरान महिलाओं के गर्भाशय में खरोंच लग जाती है। इसके अलावा कुछ मामलों में महिलाओं के गर्भाशय में गंभीर चोट भी आ जाती है। जिसके कारण गर्भाशय की परत क्षतिग्रस्त हो जाती है या उसमें से खून आने लगता है। इस स्थिति में यदि कॉपर टी को तुरंत नहीं निकाला जाए तो यह गर्भाशय में गंभीर संक्रमण का कारण बन सकती है।

यौन संक्रमण से बचाव नहीं होता  – कॉपर टी को लगाने के बाद भी महिलाएं यौन संक्रमण का शिकार हो सकती हैं। इसलिए कॉपर टी लगाने के बाद भी यौन संक्रमणों से बचाव करना बेहद जरूरी होता है।

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कॉपर टी के नुकसान के लिए स्टडी 

"कॉपर IUD के साइड इफेक्ट्स: क्या वे समय के साथ कम होते हैं?" इस अध्ययन का उद्देश्य यह मूल्यांकन करना था कि क्या कॉपर IUD (इंट्रायूटेरिन डिवाइस) के उपयोग से होने वाले साइड इफेक्ट्स, जैसे मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव और दर्द, समय के साथ कम होते हैं या नहीं।

इसमें 1,947 ऐसी महिलाओं को लिया गया जिन्होंने पहली बार कॉपर IUD उपयोग किया था । 1 वर्ष तक ये अध्ययन किया गया। इस समय में मासिक धर्म के दौरान अधिकांश महिलाओं ने समय के साथ रक्तस्राव और दर्द में कमी की सूचना दी। मासिक धर्म के बीच की अवधि में स्पॉटिंग और दर्द की शिकायतों की कुल संख्या में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं देखा गया, लेकिन इन समस्याओं के दिनों की संख्या में वृद्धि हुई।

पहले 9 हफ्तों में 9% महिलाओं ने गंभीर दर्द की सूचना दी। 9 से 19 हफ्तों के बीच यह संख्या 4% हो गई , और 19 से 39 हफ्तों के बीच 7% और 39 हफ्तों के बाद 5% महिलाओं ने दर्द की शिकायत की। इस अध्ययन का ये निष्कर्ष निकाल गया कि कॉपर IUD के उपयोग से संबंधित कुछ साइड इफेक्ट्स, जैसे मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव और दर्द, समय के साथ कम हो सकते हैं। हालांकि, मासिक धर्म के बीच की अवधि में स्पॉटिंग और दर्द की समस्याएं वैसी ही रह सकती हैं या कुछ मामलों में बढ़ सकती हैं। यह जानकारी महिलाओं को IUD के संभावित साइड इफेक्ट्स के बारे में जागरूक करने और समयपूर्व हटाने से बचाने में मदद कर सकती है।

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कॉपर टी का प्राइस उसकी गुणवत्ता के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। इसके अलावा कॉपर टी की अधिकतम समय सीमा के अनुसार भी इसके मूल्यों में भिन्नता हो सकती है। वैसे सामान्य तौर पर यह 300 से 500 रूपये में मिल जाती है। आप किसी भी मेडिकल स्टोर से इसको ले सकती हैं या इसको लेने के लिए अपने डॉक्टर से भी सलाह ले सकती हैं।

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कॉपर टी, जिसे आईयूडी (इंट्रायूटेरिन डिवाइस) भी कहा जाता है, एक प्रभावी गर्भनिरोधक साधन है। यह एक छोटा, टी-आकार का उपकरण है जिसे डॉक्टर द्वारा महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। कॉपर टी तांबे से बनी होती है, जो शुक्राणु को निष्क्रिय करने और अंडाणु को निषेचित होने से रोकने का कार्य करती है।

इसके कई फायदे हैं, जैसे यह दीर्घकालिक गर्भनिरोध प्रदान करता है (5-10 साल तक) और इसका प्रभाव तुरंत शुरू हो जाता है। इसे हटाने पर तुरंत प्रजनन क्षमता वापस आ जाती है। हालांकि, इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे प्रारंभिक कुछ महीनों में मासिक धर्म में भारी रक्तस्राव और ऐंठन । कुल मिलाकर, कॉपर टी एक सुरक्षित और प्रभावी गर्भनिरोधक विकल्प है, लेकिन इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।

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