ग्रोइन में चोट लगने पर इसे ठीक करना काफी मुश्किल होता है। मरीज और डॉक्‍टर दोनों को ही इस चोट का इलाज करने में दिक्‍कत आती है। ग्रोइन वाले हिस्‍से में पेल्विस के निचले हिस्‍से में कई मांसपेशियां होती हैं।

वैसे तो किसी को भी ग्रोइन में चोट लग सकती है लेकिन रनर या ऐसा स्‍पोर्ट जिसमें बहुत भागना या कूदना पड़ता है, उनमें यह चोट लगने की संभावना ज्‍यादा होती है। क्रिकेटरों, हॉकी खिलाडियों, फुटबॉलर और एथलीटों जो कूदतें और किक मारते हैं, उनके जिस पैर का ज्‍यादा इस्‍तेमाल होता है, उस पैर की मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ता है।

ग्रोइन में खिंचाव आने पर दर्द हो सकता है और कुछ समय के लिए पैर को हिलाने में भी दिक्‍कत हो सकती है। हालांकि, गंभीर खिंचाव की स्थिति में 6 हफ्ते लग सकते हैं या अगर आप स्‍पोर्ट्स खेलते हैं या ऐसा काम करते हैं जिसमें भारी सामान उठाना पड़ता है या मुश्किल भरा ट्रैवल करना पड़ता है तो डॉक्‍टर आपको कुछ समय के लिए आराम करने की सलाह दे सकते हैं।

कुछ मामलों में ट्रेंड प्रोफेशनल द्वारा फिजिकल थेरेपी और एक्‍सरसाइज करवाई जाती है। ज्‍यादातर मामलों में ग्रोइन में चोट लगने पर दर्द को कम करने के लिए डॉक्‍टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवा से भी आराम मिल सकता है।

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  1. ग्रोइन में चोट लगना या खिंचाव आना क्‍या होता है - What is a groin pull or groin strain in Hindi
  2. ग्रोइन में चोट लगने के प्रकार क्‍या हैं - Types of groin strain and groin strain pain in Hindi
  3. ग्रोइन में चोट लगने के कारण - Groin strain causes in Hindi
  4. ग्रोइन में चोट लगने के लक्षण - Groin strain symptoms in Hindi
  5. ग्रोइन में चोट लगने का निदान - Groin pull diagnosis in Hindi
  6. ग्रोइन में चोट लगने का इलाज क्‍या है - Groin strain treatment in Hindi
  7. ग्रोइन में चोट लगने के जोखिम कारक - Risk factors in Hindi
  8. ग्रोइन में चोट लगने से कैसे बचें - How to prevent groin strain in Hindi
ग्रोइन में चोट के डॉक्टर

ग्रोइन में पांच मांसपेशियां होती हैं जो हिप एडक्‍शन के लिए जिम्‍मेदार होती हैं। इन मांसपेशियों में एडक्‍टर लोंगस, एडक्‍टर मैगनस, एडक्‍टर ब्रेविस जो कि टांगों को कूल्‍हों के हिस्‍से से जोड़ती है और अंदरूनी जांघों में ग्रेसिलिस और पेक्टिनिअस मांसपेशियां होती हैं। इनमे से किसी भी मांसपे‍शी के छिलने पर दर्द और असहजता हो सकती है। इस स्थिति को ग्रोइन में खिंचाव आना या ग्रोइन स्‍ट्रेन कहते हैं।

इन पांच में से किसी भी मांसपेशी में खिंचाव आ सकता है या ये छिल सकती हैं। ज्‍यादातर चोट एडक्‍टर लोंगस में भी लगती हैं।

ज्‍यादातर बार ग्रोइन में अचानक से गंभीर चोट लग जाती है। हालांकि, समय के साथ टेंडिनोपैथी या टेंडोनाइटिस हो सकता है। एडक्‍टर टेंडोनाइटिस एक प्रकार की ग्रोइन की चोट है।

ग्रोइन का प्रमुख काम टांगों को शरीर के केंद्र की तरफ खींचकर रखना और कूल्‍हों के जोड़ को संतुलित रखना होता है। अमेरिकन जरनल ऑफ स्‍पोर्ट्स मेडिसिन की साल 2004 में की गई रिसर्च में पाया गया कि स्‍वीडन के आइस हॉकी के 10 फीसदी खिलाड़ी ग्रोइन में चोट लगने से ग्रसित थे।

वहीं इंटरनेशन जरनल ऑफ स्‍पोर्ट्स मेडिसिन की स्‍टडी में देखा गया कि एक साल के अंदर सॉसर के 180 मेल खिलाड़ी ग्रोइन में चोट लगने की समस्‍या से ग्रस्‍त हुए। महिलाओं से ज्‍यादा पुरुषों में यह समस्‍या होती है।

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किसी में ग्रोइन की चोट का मामला कम तो किसी में ज्‍यादा गंभीर हो सकता है। चोट लगने पर कितना दर्द होता है, इस पर चोट की गंभीरता निर्भर करती है। इस आधार पर ग्रोइन की चोट को 3 भागों में बांटा जा सकता है :

  • ग्रेड 1 : किसी एक ग्रोइन मांसपेशी का छिलना या हल्‍का-सा खिंचाव आने के साथ हल्‍का दर्द होना।
  • ग्रेड 2 : इसमें मॉडरेट दर्द होता है। इस प्रकार की ग्रोइन में चोट की वजह से चलने में दिक्‍कत हो सकती है और कुछ ऊतकों में चोट लग सकती है। इसमें ठीक होने में 6 हफ्तों का समय लग सकता है।
  • ग्रेड 3 : तेज दर्द और चलने में दिक्‍कत के साथ जांघ के अंदरूनी हिस्‍सा पूरी तरह से छिल सकता है और मांसपेशी में नील पड़ सकती है।

ग्रोइन के किस हिस्‍से में चोट लगी है जैसे कि मांसपेशी, लिगामेंट या टेंडन, इसके आधार पर ग्रोइन में चोट लगने को तीन भागों में बांटा जा सकता है :

  • ग्रोइन में खिंचाव : ग्रोइन की किसी मांसपेशी का छिलना या खिंचना।
  • एडक्‍टर टेंडोनाइटिस : टेंडनों में सूजन का संबंध हिप एडक्‍टर मांसपेशियों से पेल्विक हड्डी, जांघ के अंदरूनी और जांघ के ऊपरी हिस्‍से से होता है।
  • गिलमोर ग्रोइन : इसमें इंगुइनल लिगामेंट के पास ऊतक को नुकसान पहुंचता है। इंगुइनल लिगामेंट वो हिस्‍सा होता है जहां टांगें धड़ से मिलती हैं।

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छोटी-मोटी मोच आराम करने पर अपने आप ठीक हो सकती हैं लेकिन गंभीर चोट लगने पर कमजोरी हो सकती है और ठीक होने में ज्‍यादा समय लग सकता है। ऐसी ज्‍यादातर चोटें खेल के मैदान में ही लगती है और ग्रोइन में चोट लगने के कई कारण हो सकते हैं :

  • मांसपेशियों को उनकी लिमिट से ज्‍यादा स्‍ट्रेच कर लेना
  • गिरने
  • वार्म-अप या स्‍ट्रेचिंग किए बिना मुश्किल एक्‍सरसाइज करना
  • भागते हुए अचानक से मुड़ना या रूक जाना
  • भारी सामान उठाना जैसे कि डेडलिफ्ट के दौरान
  • ग्रोइन में चोट लगने से मांसपेशीय फाइबरों और ऊतकों को नुकसान पहुंच सकता है
  • रेसिस्‍टेंस बैंड और ट्यूबों के साथ ट्रेनिंग लेने की वजह से एक्‍सरसाइज के दौरान मांसपेशी के खिंचने या छिलने की संभावना बढ़ सकती है।

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ग्रोइन में चोट लगाने पर आसानी से पता चल जाता है। इसमें चलने में दिक्‍कत आती है जिससे चोट लगने का पता चल जाता है। लेकिन इसके और भी लक्षण हैं, जैसे कि :

  • छिलने की स्थिति में व्‍यक्‍ति को चोट लगने पर चटकने की आवाज आ सकती है।
  • पैर के ऊपरी हिस्‍से को हिलाने पर, चलने पर घुटने को उठाने पर दर्द होना।
  • ग्रोइन के हिस्‍से में छूने पर दर्द होना।
  • प्रभावित जांघ के अंदरूनी हिस्‍से में सूजन।
  • ये सभी लक्षण ग्रोइन में चोट लगने के लक्षण हैं और कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनके लक्षण कूल्‍हे में बर्साइटिस, पेल्विस में स्‍ट्रेस फ्रैक्‍चर या फेमुर बोन या कूल्‍हे में चोट लगने जैसे होते हैं।

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कुछ मामलों में मरीज को कोई स्‍पोर्ट खेलते समय या भागते समय ग्रोइन में तेज दर्द के साथ चटकने की आवाज आ सकती है। आमतौर पर यह मांसपेशी के छिलने पर होता है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं।

कुछ अन्‍य मामलों में ग्रोइन में दर्द कम तेज हो सकता है या कुछ एक्टिविटी करने जैसे कि भागने पर ही होता है। बेहतर होगा कि आप डॉक्‍टर को दिखाएं।

निदान के लिए डॉक्‍टर निम्‍न सवाल पूछ सकते हैं :

  • डॉक्‍टर आपसे पूछेंगे कि आपको कहां दर्द हो रहा है और चोट कैसे लगी।
  • इसके बाद डॉक्‍टर देखेंगे कि आप अपनी टांग को कितना हिला पा रहे हैं और इस दौरान कितना दर्द हो रहा है।
  • ज्‍यादा गंभीर मामलों में डॉक्‍टर फ्रैक्‍चर का पता लगाने के लिए एक्‍स-रे करवाने की सलाह देंगे।
  • चोट कहां और कितनी लगी है, इसकी सटीक जानकारी के लिए एमआरआई स्‍कैन करवाया जा सकता है।

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ग्रोइन में चोट लगने पर हिलने-डुलने में परेशानी आ सकती है। कम चोट लगने पर भी आपको चलने में दिक्‍कत हो सकती है और ठीक होने में कई हफ्ते लग सकते हैं। ग्रोइन में खिंचाव आने पर कुछ आम तरीकों से इलाज किया जाता है :

  • रिकवरी के लिए पहला कदम RICE थेरेपी होती है। रेस्‍ट, आईस, कंप्रेशन और एलिवेशन से चोट से होने वाली सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। पीठ के निचले हिस्‍से के नीचे कुशन लगाकर ग्रोइन को थोड़ा ऊपर उठाकर रखने से आराम मिलता है।
  • इबूप्रोफेन जैसी दर्द निवारक दवा लेने से दर्द और सूजन दोनों कम हो सकते हैं।
  • ग्रेड 1 की ग्रोइन चोट के इलाज में ज्‍यादातर ऊपर बताए गए दो तरीके ही उपयोग किए जाते हैं। ज्‍यादा गंभीर मामलों में फिजिकल थेरेपी और हल्‍की एक्‍सरसाइज से आराम मिल सकता है।
  • बैंडेज या चोट लगने वाली मांसपेशियों को सहारा देने के लिए थाई रैप से कुछ हद तक दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है और जल्‍दी रिकवरी हो सकती है।
  • ऐसी हल्‍की एक्‍सरसाइज से शुरुआत करें जो चलने, स्‍ट्रेच करने और मजबूती पाने में मदद करें।
  • टेंडन के छिलने पर सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।

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किसी को भी किसी भी समय चोट लग सकती है। अपने शरीर पर ध्‍यान देने और हेल्‍दी रहने से किसी भी तरह की बीमारी और चोट से बचा जा सकता है। कुछ ऐसे काम हैं जिनमें ग्रोइन में चोट लगने का जोखिम बढ़ सकता है :

  • फुटबॉल, क्रिकेट, बास्‍केटबॉल, टेनिस या बैडमिंटन जैसे खेल खेलने पर अचानक दिशा बदलने, कूदने या इसमें शामिल टांग में खिंचाव आने पर।
  • ट्रेनिंग सेशन या गेम से पहले ठीक तरह से वार्म अप या स्‍ट्रेचिंग न करना।
  • जो वेट ट्रेनिंग या स्‍ट्रेंथ ट्रेनिंग करते हैं और पर्याप्‍त फ्लेक्सिबिलिटी एक्‍सरसाइज नहीं करते हैं, उनकी मांसपेशियों में अकड़न आ सकती है जिससे चोट लग सकती है।
  • अगर आपको पहले भी ग्रोइन में चोट लग चुकी है, तो इसके दोबारा होने की संभावना हो सकती है। वहीं अगर आप चोट के ठीक होने का इंतजार नहीं करते और जल्‍दी काम करना शुरू कर देते हैं, तो भी ऐसा हो सकता है।

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ग्रोइन में चोट लगने पर ठीक होने में ज्‍यादा समय लग सकता है। इसकी वजह से काम, एक्‍सरसाइज और दोस्‍त सब छूट जाता है। बेहतर होगा कि कुछ तरीकों से आप इस तरह की चोट से बचे रहें।

  • कोई भी वर्कआउट या स्‍पोर्ट खेलने से पहले मांसपेशियों को स्‍ट्रेच और वार्मअप कर लें। मांसपेशियों का ठंडा होना इस चोट का सबसे आम कारण है।
  • ग्रोइन को बनाने वाली जांघ की अंदरूनी मांसपेशियों को मजबूत करने पर काम करें। अगर आप रनिंग करते हैं, तो कूल्‍हों और जांघों की मांसपेशियों को लचीला बनाने पर काम करें और वेट वाली एक्‍सरसाइज से इन्‍हें मजबूत करें। योगा से कूल्‍हों को खोलने और अंदरूनी जांघ को मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
  • ग्रोइन में किसी भी तरह की असहजता महसूस होने पर रूक जाएं और आराम करें।
  • अलग-अलग स्‍पोर्ट्स खेलें जो शरीर के भिन्‍न हिस्‍सों पर काम करें न कि एक ही तरह की एक्‍सरसाइज करें।
  • जब आप बिलकुल ठीक हो जाएं तो चोट के ठीक होने के तुरंत बाद काम पर न लौटें। कुछ समय के लिए हल्‍की एक्‍सरसाइज या स्‍पोर्ट खेलें।
  • ज्‍यादातर मस्‍कुलोस्‍केलेटल विकारों की तरह ग्रोइन में चोट अचानक ही लगती है और एक बार चोट लगने पर दोबारा होने का खतरा रहता है। समय पर निदान और इलाज करने और आराम करने से जल्‍दी ठीक हो सकते हैं।

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Siddhartha Vatsa

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