मोच - Sprain in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

November 21, 2017

February 01, 2024

मोच
मोच

मोच होना क्या है?

मोच एक सामान्य समस्या होती है। लिगामेंट में किसी प्रकार की चोट आदि को मोच कहा जाता है, लिगामेंट्स कठोर, लचीले और रेशेदार ऊतक होते हैं, जो जोड़ों में दो हड्डियों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं। मोच के दौरान लिगामेंट में थोड़ी बहुत चोट भी लग सकती है या ये पूरी तरह अलग भी हो सकते हैं। 

इस लेख में आगे पढ़िए मोच आने के लक्षण, कारण और इलाज। साथ ही यह आप मोच लगने से बचने के तरीके भी जानेंगे।

मोच के लक्षण - Sprain Symptoms in Hindi

मोच के लक्षण व संकेत क्या हो सकेत हैं?

1) मोच -

जब एक या उससे ज्यादा लिगामेंट्स को खींचा, मरोड़ा या उखाड़ा जाता है तो उस स्थिति को मोच कहा जाता है, अक्सर यह तब होती है जब किसी जोड़ पर अत्याधिक दबाव या प्रभाव पड़ता है। लिगामेंट्स ऊतकों के मजबूत बैंड होते हैं, जो जोड़ों के आस-पास होते हैं और हड्डियों को एक दूसरे से जोड़कर रखते हैं।

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मोच सामान्य रूप से घुटने, टखने, कलाई और अंगूठे आदि में आती है और इसके लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • प्रभावित जोड़ के आस-पास दर्द होना।
  • सामान्य रूप से जोड़ का उपयोग करने या उस पर वजन डालने में असमर्थता।
  • सूजन व नीला पड़ना और छूने पर दर्द महसूस होना।
  • त्वचा जहां से लाल व सूजन ग्रस्त है, वहा से गर्म होना।

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चोट लगने के बाद सूजन जल्दी दिखाई देने लगती है, लेकिन त्वचा में नीलापन कई बार काफी देर में दिखाई पड़ता है, तो कभी-कभी दिखाई भी नहीं देता।

नीलापन कई बार प्रभावित जोड़ से दूर बनता है, ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि प्रभावित मांसपेशियों में से खून का प्रवाह ना हो पाने के कारण खून त्वचा के ऊपर की तरफ आने लगता है और स्पष्ट दिखाई देने लगता है।

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2) खिंचाव -

यह तब होता है, जब मांसपेशियों के रेशे (Fibres) फट या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या उनमें खिंचाव आ जाता है। आम तौर पर यह मांसपेशियों का अपनी सीमा से अधिक खिंचाव होने या तेजी से सिंकुड़ने या खुलने के परिणाम से हो सकता है। मांसपेशियों में खिंचाव विशेष रूप से टांगों और पीठ में होता है, जैसे हैमस्ट्रिंग (जांघ) और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियां।

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खिंचाव के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं-

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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

अगर आपको निम्न समस्याओं का अनुभव हो रहा हो, तो डॉक्टर को दिखाएं जैसे:

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  • दर्द, सूजन या जकड़न का 2 या 3 दिन तक ठीक ना हो पाना।
  • अगर आपकी कोई हड्डी टूटी हुई हो, तो संबंधित जोड़ को हिला न पाना या वजन ना उठा पाना।
  • अगर हड्डी का कोई जोड़ क्षतिग्रस्त हुआ है, तो उसका दूसरी हड्डी के साथ ठीक से काम ना कर पाना। जैसे हड्डियों को आपस में जोड़ने वाले लिगामेंट्स का फट या उखड़ जाना, जिसे सर्जरी की जरूरत हो।
  • क्षतिग्रस्त मांसपेशी को बिलकुल भी ना हिला पाना, क्योंकि ऐसे में मांसपेशी अंदर से पूरी तरह से फट जाती है और उसे तुरंत मेडिकल देखभाल की जरूरत पड़ती है।
  • बार-बार मोच आना।
  • यदि आपको बुखार है या क्षतिग्रस्त क्षेत्र लाल या गर्म हो गया है, तो शायद आपको संक्रमण हो सकता है।
  • अगर ग्रसित टांग वजन उठाने में असमर्थ महसूस कर रही है, घुटना अस्थिर या सुन्न हो रहा है, या आप घुटने का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं, तो हो सकता है कि लिगामेंट पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया हो।
  • अगर आपको सीधे हड्डी या जोड़ में दर्द का अनुभव हो रहा हो।
  • अगर आपको उसी जगह पर फिर से चोट लगी है, जहां पर पहले भी कई बार लग चुकी है।
  • अगर आपको गंभीर मोच आई हुई है, तो देर से या अधूरा उपचार लंबे समय तक जोड़ में अस्थिरता का कारण बन सकता है।
  • जोड़ के आस पास झुनझुनी या सुन्नपन महसूस होना।

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मोच के कारण और जोखिम कारक - Sprain Causes and Risk Factors in Hindi

मोच क्यों आती है?

मोच अक्सर स्पोर्ट्स गतिविधियों या अन्य दुर्घटनाओं के दौरान होती है, जिनमें टक्कर लगना या गिरना आदि शामिल होता है। मोच तब लगती है जब आप

  • क्षमता से ज्यादा काम करते हैं।
  • अचानक से दिशा या गति बदल देते है।
  • गिरते हैं या गलत तरीके से उतरते हैं। (और पढ़ें - चोट की सूजन का इलाज)
  • आपकी किसी वस्तु या व्यक्ति के साथ टक्कर लगना।
  • अगर आप अचानक से अपने पैर के अगले हिस्से में वजन डालते हैं, तो आपके टखने में मोच आ सकती है। अगर पूरे शरीर का वजन अचानक से टखने पर आ जाता है, तो टखने में मोच आ सकता है। टखने में मोच अक्सर उबड़-खाबड़ या असमतल जगह पर चलने या दौड़ने से भी आ सकती है।
  • मोच अक्सर स्पोर्ट्स खेलते समय भी आ जाती है, जिसमें अचानक से तेज और कम गति होना शामिल होता है।
  • जब कोई व्यक्ति पहली बार स्पोर्ट्स में हिस्सा लेता है, तो उसकी मोच आने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं, क्योंकि उसकी मांसपेशियों नें पहले इतना तनाव महसूस नहीं किया होता।
  • अनुभवी एथलीटों को भी ये समस्या हो सकती है, जब वे अपनी मांसपेशियों को सीमा से अधिक इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि उनकी मांसपेशियों के इस्तेमाल की बढ़ती मांग अचानक उनमें मोच का कारण बन सकती है।
  • जो बच्चे स्पोर्ट्स में हिस्सा ले रहे होते हैं, उनमें भी मोच आदि आने की संभावनाएं अधिक होती हैं, क्योंकि वे शारीरिक रूप से विकसित हो रहे होते हैं।

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मोच के जोखिम कारक क्या हो सकते हैं?

ऐसे बहुत से जोखिम कारक हैं, जो खेलने या अन्य गतिविधियां करने के दौरान मोच आने की संभावनाओं को बढ़ा देते हैं। इनमें निम्न भी शामिल हो सकते है:

  • नियमित व्यायाम में कमी होना, अगर आप नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते तो आपके जोड़ व मांसपेशियां कमजोर व कम लचीली हो सकती है, जिससे उनमें मोच की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। (और पढ़ें - व्यायाम छोड़ने के नुकसान)
  • चलने और दौड़ने के दौरान अपना वजन टांगों पर छोड़ने का तरीका और कूदने के बाद आपके नीचे उतरने का तरीका आपके टखने या घुटने को चोट पहुंचा सकता है।
  • व्यायाम करने से पहले वार्म-अप (धीरे-धीरे शुरू करने की प्रक्रिया) करना, आपकी मांसपेशियों को और अधिक लचीला बनाता है तथा जोड़ों के मुड़ने व खुलने की सीमा को भी बढ़ाता है, जिसके चलते लिगामेंट संबंधी समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है। ठीक से वार्म-अप ना करने से इन समस्याओं की संभावनाएं और अधिक बढ़ जाती है। (और पढ़ें - वार्म अप कैसे करें)
  • जब मांसपेशियां थक जाती है तो जोड़ों को पूरा समर्थन देने की आपकी संभावनाएं कम हो जाती हैं और जब खुद आप थक जाते हैं, तो शरीर की गतिविधियों को पूरी तरह से नियंत्रित करने में आपको कठिनाई अनुभव होने लगती है।

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मोच से बचाव - Preventiing Sprain in Hindi

मोच की रोकथाम कैसे की जा सकती है?

  • मोच से रोकथाम रखने के लिए हर रोज व्यायाम से पहले वॉर्म-अप करना चाहिए और उचित जूते पहनने चाहिए। (और पढ़ें - जॉगिंग करना कैसे शुरू करें)
  • आप घर, ऑफिस पर हों या खेल के मैदान में हमेशा ऐसे जूते पहनें जो आपके पैरों और टखनों को सुरक्षा प्रदान करे। यह भी सुनिश्चित कर लें कि आपके जूते सही हालत में हैं और जो गतिविधियां आप करने जा रहे हैं, उसके लिए ये उपयुक्त हैं। उदाहरण के लिए ऐसे जूते नहीं पहननें चाहिए जिनकी एड़ियां एक तरफ से घिसी हुई हों, क्योंकि वे मोच की संभावनाएं बढ़ाती हैं। अगर आप ऊंची एड़ियों वाले जूते पहनते हैं, तो टखने में मोच आने की संभावनाएं और अधिक बढ़ सकती हैं।
  • अगर आप थके हुऐ हैं, तो व्यायाम न करें और ना ही खेल आदि खेंलें।
  • गिरने जैसे दुर्घटनाओं से बचें और सीढ़ीयों, गार्डन, पैदल व गाड़ी के रास्तों को हड़बड़ी मुक्त व व्यवस्थित रखें।
  • जहां तक संभव हो, असमतल जगहों पर चलने व दौड़ने से बचें।
  • अपनी मांसपेशियों और जोड़ों को मजबूत रखने के लिए स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन करें। (और पढ़ें - भोजन कब करना चाहिए)
  • विश्राम करें, अधिक देर तक खड़ा या बैठे रहना या एक ही मोशन में बार-बार कोई गतिविधि करना मोच आने की संभावना बढ़ा सकती है। नियमित रूप से विश्राम और मांसपेशियों को स्ट्रेच करते रहें। 

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मोच की जांच - Diagnosis of Sprain in Hindi

मोच का निदान कैसे किया जाता है?

  • डॉक्टर अक्सर लक्षणों के अन्य कारणों को छोड़कर मोच का निदान करते हैं, एक संक्षिप्त शारीरिक परिक्षण के बाद, डॉक्टर एक्स-रे का अनुरोध भी कर सकते हैं।
  • एक्स-रे की मदद से किसी भी प्रकार की टूट-फूट या फ्रैक्चर का पता लगाया जा सकता है। अगर एक्स-रे से निश्चित ना हो, तो डॉक्टर एमआरआई (MRI) जैसे अन्य टेस्ट का अनुरोध कर सकते हैं।
  • एमआरआई की मदद से डॉक्टरों को एक विस्तृत जानकारी वाली तस्वीर मिल सकती है। एमआरआई की मदद से एक बहुत छोटी और पतली टूट-फूट भी दिख जाती है,जो कि एक्स-रे में नहीं दिख पाती है। (और पढ़ें - लैब टेस्ट लिस्ट)
  • अगर एक्स-रे और एमआरआई की मदद से हड्डी में कोई टूट-फूट या चोट ना मिले, तो मोच का निदान मान लिया जाता है।

(और पढ़ें - हड्डी टूटने का इलाज)

मोच का इलाज - Sprain Treatment in Hindi

मोच का उपचार कैसे किया जाता है?

हल्की मोच का उपचार एक ही जैसी तकनीक से किया जा सकता है, जिनमें निम्न कदम उठाए जाते हैं:

  • आराम – अपने प्रभावित जोड़ को आराम दें और कोशिश करें की ठीक होने तक आप इसको इस्तेमाल ना करें। ऐसे में जोड़ को ठीक होने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।
  • बर्फ – इसकी मदद से सूजन व जलन आदि कम की जा सकती है। बर्फ को कभी त्वचा पर सीधे ना लगाएं, उसे किसी पतले तौलिया या कपड़े में लपेट लें। प्रभावित जगह पर लगातार 20 मिनट तक बर्फ लगाकर रखें और फिर 20 मिनट तक हटा कर रखें। पहले 24 से 48 घंटों के भीतर आप जितना हो सके इसको बार-बार दोहराते रहें। (और पढ़ें - त्वचा पर बर्फ लगाने के अद्भुत फायदे)
  • दबाव – इसकी मदद से भी सूजन को कम किया जा सकता है। प्रभावित जोड़ को किसी पट्टी के साथ अच्छे से कसकर लपेटने से सूजन को कम किया जा सकता है। लेकिन बहुत अधिक कसकर ना लपेंटे, क्योंकि उससे खून की सप्लाई भी बंद हो सकती है।
  • हृदय से ऊंचाई पर रखना – अपने प्रभावित जोड़ को अपने हृद्य के स्तर से ऊंचाई में रखने की कोशिश करें, इसकी मदद से भी सूजन को कम किया जा सकता है। अगर चोट आपके घुटने या टखने में लगी है, तो  चोट लगने के 2 दिन बाद तक आपको बेड या सोफे पर लेटने की आवश्यकता है।

(और पढ़ें - पैरों में सूजन के घरेलू उपाय)

चोट लगने के 24 से 48 घंटों के भीतर उपरोक्त उपचार आपको अच्छा आराम महसूस करवा सकते हैं और आपके लक्षणों को भी कम कर सकते हैं। अगर मोच अधिक गंभीर है, तो क्षतिग्रस्त लिगामेट्स, टेंडन्स और मासंपेशियों को ठीक करने के लिए सर्जरी की जरूरत भी पड़ सकती है।

(और पढ़ें - कंधे की आर्थोस्कोपी)

मोच में परहेज़ - What to avoid during Sprain in Hindi?

मोच में क्या परहेज होते हैं?

मोच आने के 72 घंटे तक, निम्न चीजों से परहेज करना चाहिए:

  • तापमान – जैसे गर्म पानी में नहाना या सेंकना (और पढें - गर्म पानी से नहाने के फायदे)
  • शराब – शराब पीने से ग्रसित जगहों पर सूजन बढ़ती है और ज्यादा खून निकलता है और साथ ही ठीक होने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। (और पढ़ें - शराब छुड़ाने के घरेलू उपाय)
  • दौड़ना – या अन्य प्रकार के व्यायाम जो इसे और क्षतिग्रस्त बना सकते हैं। (और पढ़ें - दौड़ने के फायदे)
  • मसाज या मालिश – इससे खून ज्यादा निकल सकता है और सूजन भी बढ़ सकती है।

(और पढ़ें - बच्चे की तेल मालिश करते समय रखें ध्यान)



संदर्भ

  1. National Institute of Arthritirs and Musculoskeletal and Skin Disease. [Internet]. U.S. Department of Health & Human Services; Is there a test for sprains and strains?
  2. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Sprains and Strains.
  3. Orthoinfo [internet]. American Academy of Orthopaedic Surgeons, Rosemont IL. Sprained Ankle.
  4. Hospital for Special Surgery [Internet]: New York, USA; Ankle Sprain Types and Treatments.
  5. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Sprains.

मोच की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Sprain in Hindi

मोच के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।