हम और आप सभी जानते हैं कि शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसके बावजूद हममें से कई लोग पार्टी और मस्ती के लिए इसका सेवन करते हैं। कुछ लोग शराब पीने का शौक भी रखते हैं और अपनी पीने की क्षमता का जमकर बखान भी करते हैं।

शराब का अत्यधिक और बेतरतीब सेवन हृदय संबंधी रोगों को बढ़ावा देता है। शराब के सेवन से खून में बायोमार्कर्स का स्तर बढ़ जाता है। बायोमार्कर हार्ट टिशू को प्रभावित करने वाले घातक सूचक हैं। शराब किस लेवल तक रोगी के अंगों को खराब कर चुकी है इसका पता खून में बायोमार्कर्स के स्तर से लगाया जाता है।

हाल ही में ‘जर्नल ऑफ दी अमेरिकन हार्ट ऐसोसिएशन’ ने एक रिसर्च पब्लिश की है जो इस बात की पुष्टि करती है कि ज्यादा शराब पीने वालों के हार्ट टिशू जल्दी खराब हो जाते हैं।

शराब से होने वाली बीमारियों पर पहले भी कई शोध किए गए थे। जिनसे पता चला है कि शराब की वजह से एल्कोल्हिक कार्डियोमायोपैथी यानी हार्ट फेल, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं और इन सबके चलते मौत भी हो सकती है।

इस रिसर्च को आधार मानकर शोधकर्ताओं ने शराब पीने वालों की एक लिस्ट बनाई। इस लिस्ट में शराब की लत से ग्रस्त हर तरह के व्यक्ति को शामिल किया गया था -

  • किन्हीं खास मौकों पर छह और छह से ज्यादा ड्रिंक्स लेने वाले लोग
  • हमेशा ही हैंगओवर और नशे में रहने वाले लोग
  • वो लोग जिनकी सुबह ही शराब से शुरू होती है
  • पीने की वजह से जिनका पारिवारिक माहौल बिगड़ गया है और घर में हमेशा ही कलेश होता रहता है।

शराब के आदी ऐसे लोगों के परिवार के सदस्य इनकी पीने की आदत से परेशान रहते हैं। इनकी लत पर रोक लगाने के लिए वो हर संभव कोशिश करते रहते हैं। अगर आप भी अपने आसपास के शराब का सेवन करने वाले लोगों में इसी तरह के लक्षण देख रहे हैं तो वे हृदय रोगी हो सकते हैं।

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इस स्टडी की प्रमुख रिसर्चकर्ता ओलेना लाकुनचेकोवा (आर्कटिक यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्वे) के अनुसार कई बार रोगी में किसी भी तरह के लक्षण दिखने से पहले ही हार्ट डैमेज हो जाता है, इसे सबक्लिनिकल डिजीज कहा जाता है। खून में कुछ मोलिक्यूल्स की मात्रा की जांच से इसका समय रहते पता लगाया जा सकता है। रिसर्च से ये भी सामने आया है कि ज्यादा शराब पीने वाले ही सबक्लिनिकल हार्ट डैमेज के शिकार होते हैं।

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शराब का हार्ट पर क्या प्रभाव पड़ता है इसके लिए 2015 से 2018 के बीच 35 से 69 आयुवर्ग के 2,525 व्यस्कों के ब्लड सैंपल लिए गए। शोधकर्ताओं के अनुसार 2,479 प्रतिभागी उत्तर पश्चिमी रूस के एक शहर आर्खांगल्क से लिए गए थे। इनमें से 278 मरीज जिन्हें इस रिसर्च में लिया गया उनका शराब की लत के कारण आर्खांगल्क रिजनल साइकाइट्रिक अस्पताल में इलाज चल रहा था।

शोधकर्ताओं ने व्यस्कों को उनकी शराब पीने की आदत के अनुसार अलग-अलग कैटेगरी में बांटा। इस कैटेगरी में शराब पीने और न पीने वाले सभी व्यस्क शामिल थे। ऐसे लोग भी थे जो शराब तो पीते थे, लेकिन उनमें शराब के बुरे प्रभाव नहीं दिख रहे थे। जबकि कुछ लोगों में वो लक्षण एकदम साफ थे। इन सब लोगों के खून के सैंपल्स लिए गए। ऐसे रोगियों के खून सैंपल्स में तीन तरह के बायोमार्कर पाए जाते हैं -

  1. ज्यादा मात्रा में कार्डिएक ट्रोपोनिन, जो हार्ट इंजरी को दर्शाता है।
  2. एन- टर्मिनल प्रो-बी-टाइप नेचर्युरेटिक पेप्टाइड, जिसका खून में होना कार्डियक वॉल पर पड़ रहे प्रेशर और स्ट्रैच का सूचक है।
  3. हाई सेंसिटिव सी रिएक्टिव प्रोटीन, जो दिल में सूजन को दर्शाता है।

रिसर्च से पता चला कि अस्पताल में ज्यादा शराब पीने वाले मरीजों में ये तीनों बायोमार्कर्स पाए गए। अस्पताल के इन रोगियों में हार्ट इंजरी 10.3 प्रतिशत, कार्डियाक वॉल स्ट्रैच 46.7 प्रतिशत और सूजन 69.2 प्रतिशत ज्यादा थी। जब सामान्य लोगों से इस डाटा की तुलना की गई तो पाया गया कि सामान्य लोगों में कार्डियाक वॉल स्ट्रैच के सिर्फ 31.5 प्रतिशत मामले ही थे।

रिसर्च के रिजल्ट से ये पता चलता है कि जो लोग ज्यादा शराब पीते हैं उनके शरीर में सामान्य से ज्यादा सूजन देखी गई। इस सूजन की वजह से वो गंभीर बीमारियों से जूझते हैं, जिनमें से हृदय रोग एक है।

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