आमतौर पर एंटीऑक्सिडेंट्स को अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं या सेहत से जुड़े मुद्दों के एकमात्र समाधान के रूप में जाना जाता है। दरअसल, एंटीऑक्सिडेंट्स फ्री रैडिकल्स से लड़ते हैं और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को रोकने में मदद करते है जिससे एजिंग यानी बढ़ती उम्र की प्रक्रिया को धीमा करने, लंबे समय तक चलने वाली पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने और यहां तक ​​कि शरीर को कैंसर से भी लड़ने में मदद करता है। कुल मिलाकर हम ये कह सकते हैं कि एंटीऑक्सिडेंट्स बहुत अच्छा है और हमारी सेहत के लिए फायदेमंद भी।

अच्छी चीज हमेशा अच्छी हो ये जरूरी नहीं
हालांकि, अब एक नई रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि बहुत ज्यादा अच्छी चीज भी जरूरी नहीं कि उतनी अच्छी हो। कुछ ऐसी ही स्थिति एंटीऑक्सिडेंट्स की भी है खासकर खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स के मामले में। हीब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरुसेलम के लॉटेनबर्ग सेंटर फॉर इम्यूनोलॉजी एंड कैंसर रिसर्च ने एंटीऑक्सिडेंट्स को लेकर एक नई रिसर्च की है। इसमें कहा गया है कि गॉलिक एसिड, एक खास तरह का एंटीऑक्सिडेंट जो चाय, चॉकलेट, वाइन और बेरीज जैसे फूड आइटम्स में पाया जाता है और जिसका निर्माण गट माइक्रोबायोटा यानी आंत में मौजूद सूक्ष्मजीव करते हैं, वे संभावित कैंसर प्रोटीन को धक्का देते हैं ताकि वे कोलोन में ट्यूमर का कारण बन सकें। स्टडी के नतीजों को नेचर मैग्जीन में प्रकाशित किया गया है।

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पी53 प्रोटीन और कैंसर के बीच लिंक
हमारे शरीर में मौजूद हर एक कोशिका में एक जीन होता है जिसे टीपी53 कहते हैं और यह जीन एक प्रोटीन उत्पन्न करता है जिसे पी53 कहते हैं। यह प्रोटीन सेल साइकल यानी शरीर की कोशिकाओं की वृद्धि को नियंत्रित करता है और उन्हें ट्यूमर बनने से भी बचाता है। इसलिए इस प्रोटीन को जीनोम यानी जीन समूहों का संरक्षक कहा जाता है क्योंकि यह संभावित हानिकारक कोशिकाओं की प्रतिकृति को रोकता है। ऐसे में अगर पी53 में किसी भी तरह का म्यूटेशन या रूप परिवर्तन हो जाए तो यह कैंसर का कारण बन सकता है।

कोलोन कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी 
इजरायली अनुसंधानकर्ताओं द्वारा की गई यह स्टडी कथित तौर पर यह पता लगाने के लिए की गई थी कि आंतों में होने वाला लगभग 98 प्रतिशत कैंसर कोलोन में क्यों शुरू होता है और सिर्फ 2 प्रतिशत कैंसर ही छोटी आंत में। इस सवाल का जवाब खोजने के लिए हीब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरूसेलम (एचयूजेआई) के एक अनुसंधानकर्ता डॉ एलिरैन काडोश के नेतृत्व में एक रिसर्च टीम ने पी53 के म्यूटेड वर्जन को एक चूहे में डाला जिसमें पी53 जीन को हटा देने की वजह से आंत का कैंसर था। 

रिसर्च की सबसे दिलचस्प बात यह रही इस दौरान यह पाया गया कि पी53 म्यूटेशन आंतों के सभी हिस्सों में एक समान रूप से कार्य नहीं करता है और आंत में मौजूद सूक्ष्मजीव (गट माइक्रोबायोम) की इसमें भूमिका हो सकती है। कोलोन में, पी53 के म्यूटेटेड रूप की वजह से कैंसर को बढ़ावा देने वाला अपेक्षित प्रभाव देखने को मिला। हालांकि, छोटी आंत में, म्यूटेशन के बावजूद किसी तरह का कोई कैंसर नहीं हुआ। म्यूटेटेड पी53 में अब भी छोटी आंत में ट्यूमर को दबाने वाला प्रभाव था और उन्होंने आंत के इस क्षेत्र में असामान्य कोशिकाओं को कम करने में मदद की।

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आंत के सूक्ष्मजीव और गॉलिक एसिड
आंत में मौजूद सूक्ष्मजीव ही कोलोन में पी53 के ट्यूमर को दबाने वाले प्रभाव को समाप्त करने के लिए जिम्मेदार थे। हालांकि, स्टडी में इस बात की ओर भी इशारा किया गया कि आंत में मौजूद सभी सूक्ष्मजीव नहीं बल्कि उनका सिर्फ एक छोटा सा अणु- गॉलिक एसिड -था जो रूप परिवर्तित पी53 के कैंसर की मदद करने वाले प्रभाव के लिए जिम्मेदार था। इसके अलावा जब रूप परिवर्तित पी53 को ऐसे चूहों में डाला गया जिनकी आंत में किसी भी तरह का सूक्ष्मजीव मौजूद नहीं था और उन्हें पूरक के तौर पर एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर डायट दी गई तो प्रोटीन ने ट्यूमर को बढ़ने में मदद की। चूहे को एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे- ब्लैक टी, नट्स, चॉकलेट्स, बेरीज आदि दिया गया और उसमें आंत के सूक्ष्मजीव विकसित हो गए जिन्होंने गॉलिक एसिड का निर्माण किया और बड़ी आंत (कोलोन) में कैंसर के खतरे को बढ़ाया।  

छोटी आंत में कैंसर को रोकता है और कोलोन में बढ़ावा देता है गट बैक्टीरिया
हीब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरुसेलम के प्रफेसर और इस स्टडी के ऑथर डॉ यिनोन बेन-नेरिया ने एक न्यूज रिलीज में कहा, 'आंतों में मौजूद गट बैक्टीरिया का रूप परिवर्तित पी53 प्रोटीन पर जेकिल एंड हाइड इफेक्ट (कोई ऐसा व्यक्ति या सामान जो कभी-कभी अच्छा होता है लेकिन अन्य समय में अप्रिय होता है, इस तरह का असर) देखने को मिला। एक तरफ जहां छोटी आंत में गट बैक्टीरिया ने अपनी कार्यप्रणाली बदल दी और कैंसरकारी कोशिकाओं पर हमला करने लगा, वहीं, कोलोन में इन्हीं गट बैक्टीरिया ने कैंसर को बढ़ावा देने में मदद की।'

इस नई स्टडी में यह दिखाया गया कि एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर फूड आइटम्स और आंत के सूक्ष्मजीव (गट माइक्रोब्स) दोनों ही कैंसर के जोखिम में अहम रोल निभाते हैं। साथ ही छोटी आंत तुलनात्मक रूप से कैंसर से सुरक्षित रहती है जबकी बड़ी आंत या कोलोन में कैंसर का खतरा अधिक होता है।

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पी53 म्यूटेशन कोलोरेक्टल कैंसर के सबसे प्रबल कारकों में से एक
इसके अलावा स्टडी के ऑथर्स का यह भी सुझाव है कि उनकी यह नई खोज उन लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकती है जिनके परिवार में किसी न किसी को कोलोरेक्टल कैंसर की समस्या रही हो। पी53 म्यूटेशन कोलोरेक्टल कैंसर के लिए सबसे कॉमन और प्रबल कारकों में से एक है और साथ ही इसे कोलोन कैंसर के लिए किसी व्यक्ति की आनुवांशिक संवेदनशीलता के लिए भी संभावित जोखिम कारकों में से एक माना जाता है।

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