कोविड-19 से फैली महामारी अभी खत्म नहीं हुई कि वैज्ञानिकों ने चमगादड़ में छह नए कोरोना वायरस का पता लगाया है। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका ‘प्लोस वन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने कुछ साल पहले म्यांमार में चमगादड़ों पर अध्ययन करना शुरू किया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016 और 2018 के बीच चमगादड़ों में इन वायरसों का पता लगाया गया। हालांकि ऐसा मानना है कि कोरोना वायरस परिवार से संबंधित होने के बावजूद नए कोरोना वायरसों का संबंध सार्स-सीओवी-2 या इससे पहले आए सार्स-सीओवी-1 और मर्स-सीओवी से नहीं है।

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चमगादड़ की अलग-अलग प्रजातियों पर रिसर्च
रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने 11 अलग-अलग प्रजातियों के 464 चमगादड़ों की लार और उनके मल से जुड़े 750 से अधिक नमूने इकट्ठे किए। बताया गया कि 11 में से तीन चमगादड़ प्रजातियों में ये सभी छह नए कोरोना वायरस पाए गए। इन तीनों 'ग्रेटर एशियाटिक येलो हाउस बैट', 'रिंकल-लैप्ड फ्री टेल्ड बैट' और 'हॉर्सफील्ड लीफ-नोज्ड बैट' नाम की प्रजातियों के चमगादड़ हैं।

एक अन्य पत्रिका ‘लाइव साइंस’ के अनुसार, इन छह नए कोरोना वायरस को फिलहाल एक विशेष सीक्वेंस के तहत अलग-अलग नाम दिए गए हैं, जैसे पीआरईडीआईसीटी-सीओवी-90 या प्रेडिक्ट-सीओवी-90 (जो एशियाटिक येलो हाउस चमगादड़ में पाया गया) प्रेडिक्ट-सीओवी-47, प्रेडिक्ट-सीओवी-82 (जो बिना पूंछ वाले चमगादड़ में मिले) प्रेडिक्ट-सीओवी-92, 93 और 96 (जो पत्ती जैसी नाक वाले चमगादड़ में पाए गए)। प्लोस वन में प्रकाशित शोध की मानें तो इनमें से तीन अल्फा-कोरोना वायरस और तीन बेटा-कोरोना वायरस श्रेणी के विषाणु हैं।

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भारत में भी चमगादड़ की दो प्रजातियों में मिला वायरस
उधर, भारत में भी चमगादड़ों में कोरोना वायरस पाए जाने की खबर है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में चमगादड़ों पर किए गए शोध के दौरान चार राज्यों में दो चमगादड़ प्रजातियों में कोरोना वायरस होने का पता चला है। शोध के लिए कई राज्यों में चमगादड़ों के गले के सैंपल लिए गए थे। इनमें से केरल, हिमाचल प्रदेश, पुदुचेरी और तमिलनाडु से मिले नमूने पॉजिटिव पाए गए। वहीं, कर्नाटक, चंडीगढ़, गुजरात, ओडिशा, पंजाब और तेलंगाना के नमूने नेगेटिव निकले।

विशेषज्ञों की क्या है राय?
पत्रिका के मुताबिक, शोधकर्ता मार्क वाल्टिट्टो का कहना है कि वायरल महामारी से हमें पता चलता है कि वन्यजीवन और पर्यावरण के स्वास्थ्य के साथ मानव स्वास्थ्य कितना जुड़ा है। आज दुनियाभर में लोग जानवरों के साथ बड़ी तेजी के साथ जुड़ रहे हैं। इसलिए हमें इन जानवरों से फैलने वाले वायरसों को जानना जरूरी है। यही विकल्प है जिससे हम महामारी के संकट को कम कर सकते हैं। वहीं, अध्ययन के सह-लेखक सुजान मरे ने कहा कि अधिकतर कोरोना वायरस लोगों के लिए खतरा पैदा नहीं कर सकते, लेकिन अगर हम जानवरों में इन बीमारियों की पहचान पहले ही कर लें तो इससे हमें संभावित खतरे का पता लगाने का अच्छा मौका मिल सकता है। चमगादड़ों में मिले इन नए कोरोना वायरसों को लेकर सुजान का कहना है कि यह पता लगाना होगा कि ये अन्य प्रजातियों में फैलने की क्षमता रखते हैं या नहीं।

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बता दें कि कोरोना वायरस के लिए चमगादड़ को जिम्मेदार माना जाता है। इसके इन्सानों के संपर्क में आने की वजह से कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका होती है। हालांकि जिस सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस ने इस समय पूरी दुनिया में खलबली मचाई हुई है, उसे लेकर यह स्पष्ट नहीं है कि वह चमगादड़ से इन्सानों में फैला या मैंगोलिन से। हालांकि इन नए कोरोना वायरसों के मिलने के बाद इस अनुमान को और बल मिल सकता है कि सार्स-सीओवी-2 के भी चमगादड़ों से ही इन्सानों में फैला है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 महामारी के बीच म्यांमार में चमगादड़ों में मिले छह और नए कोरोना वायरस, भारत में भी चमगादड़ की दो प्रजातियों में मिले ये विषाणु है

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