कोविड-19 मरीजों की जांच प्रक्रिया को तेज करने के लिए कुछ दिनों पहले भारत ने चीन से लाखों रैपिड टेस्ट किट खरीदी थीं। लेकिन इन टेस्टिंग किट में खामी होने की कई शिकायतें आ चुकी हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने अहम फैसला लिया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, सरकार ने कहा है कि वह अब इन किटों को वापस भेजेगी। गौरतलब है कि राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने इन रैपिड टेस्टिंग किट से किए गए परीक्षणों से गलत नतीजे आने की शिकायत की थी। इसके बाद आईसीएमआर ने इन किटों से कोविड-19 की टेस्टिंग पर रोक लगा दी थी।

(और पढ़ें- भारत में कोरोना वायरस के साढ़े 24 हजार मरीजों की पुष्टि, महाराष्ट्र में कोविड-19 से 300 मौतें)

खबरों के मुताबिक, इसी के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि अब इन खराब टेस्ट किटों को संबंधित देशों को वापस किया जाएगा, भले वे चीन से मंगवाई गई हों या किसी अन्य देश से। बता दें कि जिन किट्स को लेकर शिकायतें आई हैं, वे चीन की ही दो कंपनियों से खरीदी गई थीं। बहरहाल, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बताया कि इन किट से हर जगह अलग-अलग परिमाण आ रहे हैं, ऐसे में इनकी गुणवत्ता पर भरोसा नहीं किया जा सकता। फिलहाल आईसीएमआर खुद अपनी लैब में इन किटों की गुणवता की जांच कर रहा है।

मास्क की गुणवत्ता को लेकर स्वास्थ्यकर्मियों की शिकायत
उधर, कोविड-19 के खिलाफ सबसे आगे की पंक्ति में लड़ रहे डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी अभी भी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। खबरें हैं कि वे भी खराब मास्क की समस्या से जूझ रहे हैं। दरअसल डॉक्टरों ने कहा है कि संक्रमण से बचाव के लिए उन्हें जो कवर (मास्क) दिए गए हैं, उनमें सांस लेना मुश्किल है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को जो मास्क (कवरलॉज) दिए गए हैं, उन्हें वे 15 मिनट से ज्यादा नहीं पहन पा रहे। उनकी मानें तो इससे ज्यादा समय तक मास्क पहनने पर उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है।

(और पढ़ें- कोविड-19: दिल्ली में आगे बढ़ाया जा सकता है लॉकडाउन, गृह मंत्रालय ने शर्तों के साथ स्थानीय दुकानों को खोलने की अनुमति दी)

इस बारे में जानकारी देते हुए एक डॉक्टर ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘इस मास्क को पहनने से एसी (वातानुकूलित) कमरे में परेशानी हो रही है। मास्क काफी गर्म हो जाता है और सांस लेने में मुश्किल होने लगती है। हमें इस मास्क को पहनने के बाद गर्मी लग रही है।’ उधर, इस शिकायत को को लेकर मास्क निर्माता कंपनियों का कहना है कि भारत में वायरल बैरियर सूट बनाने की सामग्री नहीं है, जिसके चलते डॉक्टर सहज महसूस नहीं कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सामग्री नहीं होने के चलते कंपनियां मास्क पर पट्टी चढ़ा रही हैं, जिसके चलते मास्क पहनने के बाद स्वास्थ्यकर्मियों को असुविधा हो रही है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: केंद्र सरकार खराब टेस्ट किटों को वापस भेजेगी, डॉक्टरों ने मास्क की गुणवत्ता को लेकर की शिकायत है

ऐप पर पढ़ें