भारत में कोविड-19 संकट बढ़ने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चिंता जाहिर की है। उसने कहा है कि यह महामारी भारत के ग्रामीण इलाकों में फैल रही है, जहां का स्वास्थ्यगत ढांचा पहले से कमजोर है और जो कोविड-19 के आने से पूरी तरह विफल हो सकता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप भारत में कोविड-19 की मृत्यु दर में बढ़ोतरी हो सकती है। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ में आपातकालीन मामलों के प्रमुख माइक रेयान ने कहा है कि भारत में कोविड-19 बीमारी युवा उम्र के लोगों की तरफ बढ़ती दिख रही है। उन्होंने कहा, 'जहां तक बीमारी का संबंध है भारत साफ तौर पर चुनौती का सामना कर रहा है। बीते हफ्ते वहां मरीजों की संख्या में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और मौतों की संख्या 25 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी है।'
वहीं, भारत की टेस्टिंग क्षमता को लेकर माइक रेयान ने कहा, 'भारत अपनी टेस्टिंग क्षमता में बढ़ोतरी करने की काफी कोशिश कर रहा है। उसका उद्देश्य एक दिन में दस लाख टेस्ट करने का है। यह बहुत बड़ी संख्या है, लेकिन इसकी रफ्तार वहां काफी धीमी है। इसका चिंताजनक पहलू यह है कि इससे बीमारी का पॉजिटिविट रेट बढ़ रहा है। इससे यह साफ होता है कि बीमारी तेजी से सर्कुलेट हो रही है।'
डब्ल्यूएचओ भारत में हो रही टेस्टिंग से पूरी तरह संतुष्ट न हो, लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं कि भारत ने अपनी टेस्टिंग क्षमता में काफी इजाफा किया है। हालांकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी होने के चलते यहां प्रति दस लाख लोगों पर 14 हजार टेस्ट ही हो पा रहे हैं, जबकि यहां कोरोना संक्रमण से ग्रस्त लोगों की पहचान करने के लिए दो करोड़ से भी ज्यादा टेस्ट किए गए हैं।
बहरहाल, भारत में सार्स-सीओवी- वायरस के विस्तार को लेकर हाल में मुंबई और दिल्ली में किए गए सेरो सर्वे के परिणाम इस हफ्ते डब्ल्यूएचओ के सामने रखे जाएंगे। एजेंसी की कोविड-19 टेक्निकल प्रमुख मारिया वैन खेरकोव ने यह बात कही है। उन्होंने कहा, 'ये दोनों स्टडी काफी दिलचस्प हैं। हमें इससे जुड़ी कुछ बातों पर गौर करना है, जैसे कितनी जनसंख्या पर अध्ययन किया गया, क्या ये किसी विशेष आबादी पर किए गए थे और क्या ये अध्ययन बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह भी समझना होगा कि जिन इलाकों में अध्ययन (सर्वे) किए गए वहां कोरोना वायरस किस प्रकार के सर्कुलेशन में फैल रहा था।'