कोरोना वायरस संकट से संघर्ष करते हुए भारत की टेस्टिंग क्षमता शुक्रवार को एक और लैंडमार्क पर पहुंच गई। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर ने शनिवार को अपडेट जारी कर बताया कि शुक्रवार को कोविड-19 के मरीजों की पहचान करने के लिए देशभर में चार लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए हैं। आईसीएमआर की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, बीते 24 घंटों में पूरे देश में चार लाख 20 हजार 898 परीक्षण किए गए हैं। भारत में कोविड-19 महामारी के इतिहास में यह पहली बार है जब एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में टेस्ट अंजाम दिए गए हैं। इससे अभी तक किए गए कोविड-19 टेस्टों की संख्या एक करोड़ 58 लाख 49 हजार 68 हो गई है।
आंकड़े बतातें है कि कुछ महीने पहले भारत में प्रति दस लाख लोगों पर 200 से भी कम टेस्ट हो रहे थे। लेकिन आज इतनी ही आबादी पर 11 हजार से ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं। अपनी टेस्टिंग क्षमता में इजाफा करने के लिए आईसीएमआर ने तेजी से निजी और प्राइवेट लैबों को जरूरी लाइसेंस देने के साथ-साथ उनकी इक्वपमेंट क्षमता में भी बढ़ोतरी की है। देश की सर्वोच्च मेडिकल अनुसंधान एजेंसी के मुताबिक, इस समय देशभर में 1,300 से अधिक टेस्टिंग लैब सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। इनमें 902 सरकारी और 399 निजी लैब हैं। 657 लैबों में आरटी-पीसीआर टेस्टिंग की जा रही है। 537 प्रयोगशालाएं ट्रूनेट टेस्ट कर रही हैं और 107 लैबों में सीबीएनएएटी टेस्ट हो रहे हैं।
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नीचे दी गई सूची से यह पता चलता है कि किस राज्य में टेस्टिंग की स्थिति क्या है और कौन संख्या और आबादी के लिहाज से ज्यादा टेस्ट करने में आगे है। गौरतलब है कि टेस्टिंग के मामले में कुछ छोटे राज्यों और शहरों ने बड़े राज्यों को भी पीछे छोड़ रखा है।
राज्य | जनसंख्या | टेस्ट | प्रतिशत |
तमिलनाडु | 7,56,95,000 | 22,23,019 | 2.9 |
महाराष्ट्र | 12,21,53,000 | 17,90,000 | 1.4 |
उत्तर प्रदेश | 22,49,79,000 | 17,62,416 | 0.7 |
आंध्र प्रदेश | 5,22,21,000 | 15,41,993 | 2.9 |
राजस्थान | 7,72,64,000 | 13,49,544 | 1.7 |
कर्नाटक | 6,57,98,000 | 11,09,568 | 1.6 |
दिल्ली | 1,98,14,000 | 9,08,735 | 4.5 |
पश्चिम बंगाल | 9,69,06,000 | 7,73,512 | 0.7 |
असम | 3,42,93,000 | 7,39,465 | 2.1 |
मध्य प्रदेश | 8,22,32,000 | 6,70,155 | 0.8 |
केरल | 3,51,25,000 | 6,35,272 | 1.8 |
गुजरात | 6,79,36,000 | 6,06,718 | 0.8 |
हरियाणा | 2,86,72,000 | 5,05,220 | 1.7 |
बिहार | 11,95,20,000 | 4,29,664 | 0.3 |
तेलंगाना | 3,72,20,000 | 3,37,771 | 0.9 |
ऊपर दी गई तालिका से पता चलता है कि परीक्षणों की संख्या के लिहाज से तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान सबसे आगे हैं। लेकिन जैसे ही टेस्टों की तुलना जनसंख्या के लिहाज से की जाती है तो दिल्ली देश में सबसे आगे नजर आती है। वहीं, सबसे खराब टेस्टिंग वाले राज्यों में बिहार, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य असम, केरल और हरियाणा जैसे छोटे राज्यों से पिछड़े नजर आते हैं। इनमें गुजरात का प्रदर्शन विशेष तौर पर निराशाजनक नजर आता है, जो आर्थिक रूप से सबसे समृद्ध भारतीय राज्यों में शामिल है, बावजूद इसके यहां केवल छह लाख से कुछ ज्यादा ही टेस्ट हो पाए हैं, जो कि राज्य की कुल आबादी के मात्र एक प्रतिशत भी नहीं है। मध्य प्रदेश ने भी इस मामले में निराश ही किया है। इसी हफ्ते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कह रहे थे कि कोरोना वायरस संकट में उनके राज्य की स्थिति अन्य राज्यों से बेहतर है। लेकिन सच्चाई यह है कि मध्य प्रदेश में इसकी आबादी के केवल 0.8 प्रतिशत हिस्से की ही टेस्टिंग हो पाई है। गौरतलब है कि सीएम चौहान आज खुद कोविड-19 के टेस्ट में पाए गए हैं।