भारत में कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए वैज्ञानिक नए-नए विकल्पों की तलाश में जुटे हैं। इसी के तहत देश की चर्चित यूनिवर्सिटी जामिया मिलिया इस्लामिया के वैज्ञानिकों ने एक नया कोविड-19 टेस्ट विकसित किया है। इसके निर्माताओं का दावा है कि यह तकनीक कोरोना वायरस संक्रमण की जांच में सहायक होगी और सटीक परिणाम के लिए आरटी-पीसीआर टेस्टिंग की निर्भरता को भी कम करेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जामिया के वैज्ञानिकों ने इस सलाइवा आधारित टेस्ट को कुछ इस तरह से विकसित किया है कि कोई भी व्यक्ति घर बैठे-बैठे खुद ही कोविड-19 संक्रमण की जांच कर सकेगा। इसकी यह विशेषता इसे भारत का पहला आरएनए एक्सट्रैक्शन फ्री वर्कफ्लो आधारित टेस्ट बनाती है, जिसे कैसपिट (सीएएस-13 एसोसिएटिड सलाइवा बेस्ड एंड स्मार्टफोन इंटिग्रेटिंग टेस्टिंग) नाम दिया गया है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि इस तकनीक की मदद से आरटी-पीसीआर की निर्भरता कम हो सकती है, क्योंकि इस नए मेथड के जरिए मात्र एक घंटे में ही जांच से जुड़े नतीजे सामने आ जाते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में सोमवार को प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, इस किट को जामिया के मल्टीडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च एंड स्टडीज (एमसीएआरएस) के सहायक प्रोफेसरों की एक टीम ने विकसित किया है। इस टीम में प्रोफेसर तनवीर अहमद, मोहन जोशी और के जावेद इकबाल शामिल हैं।
इस किट की मदद से संक्रमण की जांच के लिए व्यक्ति को अपने सलाइवा यानी लार को इकट्ठा कर एक ट्यूब (या शीशी) में डालना होगा। इसके बाद उसमें एक रासायनिक पदार्थ मिलाया जाएगा जो एक प्रतिक्रिया करेगा। इसके बाद एक पेपर स्ट्रीप की सहायता से पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं।
टेस्ट को लेकर शोधकर्ता अहमद का कहना है, 'यह किट टेस्टिंग की एक नॉन-इनवेसिव पद्धति है जिसमें व्यक्ति को सिर्फ अपनी लार को इकट्ठा कर उसमें डालना है। इसके लिए किसी प्रकार की विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है। कोविड-19 की जांच में आरटी-पीसीआर टेस्ट को गोल्डन स्टैंडर्ड का दर्जा प्राप्त है। लेकिन इससे भी कभी-कभी गलत नतीजे आ जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें एक स्वैब की मदद से नाक के जरिए सैंपल इकट्ठा करना पड़ता है।' लेकिन कैसपिट के मामले में ऐसा नहीं है। अहमद ने बताया कि एमसीएआरएस के शोधकर्ता पिछले कुछ सालों से लार आधारित टेस्टिंग प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि कैसपिट मेथड व्यक्ति को खुद टेस्ट करने का मौका देता है।
भारत में यह अपनी तरह का पहला टेस्ट है, जिसमें लोग घर बैठे खुद अपनी कोरोना जांच कर सकते हैं। इससे पहले अमेरिका में ऐसे ही एक टेस्ट को लेकर खासी चर्चा हुई थी, जिसे वहां की शीर्ष ड्रग एजेंसी एफडीए ने मंजूरी दी है। लुकायरा कोविड-19 ऑल-इन-वन टेस्ट किट नाम के इस टेस्ट को 14 वर्ष या उससे अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति खुद कर सकता है। उसे केवल नेजल स्वैब लेकर उसे शीशी में डालना होता है, जिसमें पहले से एक विशेष रासायनिक घोल मिला होता है। इसके बाद उस व्यक्ति कुछ नहीं करना होता, केवल अपना सैंपल एक हेल्थकेयर प्रोवाइडर को देना होता है। वह प्रोवाइडर सैंपल को यूनिट में रखकर 30 मिनट के अंदर परिणाम संबंधित व्यक्ति से साझा कर लेता है।
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