अमेरिका की वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के मैसी कैंसर सेंटर ने एक एक्सपेरिमेंटल कैंसर ड्रग से नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 को फैलने से रोकने का दावा किया है। कैंसर की इस प्रयोगात्मक दवा का नाम एआर-12 है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ट्रायल में यह ड्रग कोरोना वायरस को कोशिकाओं को संक्रमित करने और अपनी कॉपियां बनाने से रोकने में कामयाब रहा है। यह महत्वपूर्ण जानकारी जानी-मानी मेडिकल पत्रिका बायोकेमिकल फार्माकोलॉजी में प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआती परीक्षणों में मिली सफलता के बाद इस ड्रग को कोविड-19 के बतौर नए संभावित ओरल ट्रीटमेंट के रूप में आजमाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए क्लिनिकल ट्रायल आधारित टेस्टिंग की योजना बनाई गई है।

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खबर के मुताबिक, एआर-12 ड्रग पर पहले से एंटी-कैंसर और एंटी-वायरल दवा के रूप में अध्ययन में किए गए हैं। इन अध्ययनों में यह दवा जीका, खसरा, चिकनगुनिया, इन्फ्लूएंजा आदि वायरस संबंधी बीमारियों के खिलाफ किसी न किसी प्रकार से प्रभावी साबित हुई है। हाल में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ अलाबामा के पीएचडी स्कॉलर जॉनथन रेनर और एक अन्य विज्ञानी पॉल डेंट्स की लैब के शोधकर्ता लॉरेंस बूथ ने सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ भी एआर-12 का प्रयोग करना शुरू किया था।

इस संबंध में पॉल डेंट का कहना है, 'एआर-12 अलग तरीके से काम करता है। अन्य किसी भी प्रकार के ड्रग के विपरीत यह वायरस के सेल्युलर शैपरोन (सहचरी) को रोकने का काम करता है, जो वायरल प्रोटीन के सही 3डी शेप को बनाए रखने के लिए जरूरी प्रोटीन होते हैं। संक्रमण फैलाने और संख्या बढ़ाने के लिए वायरस का इस शेप में रहना काफी जरूरी होता है।' अध्ययन से जुड़ी रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे ही एक सेल्युलर शैपरोन का नाम है जीआरपी78 जो सभी विषाणुओं के रीप्रॉडक्शन के लिए अहम प्रोटीन माना जाता है। सभी स्तनधारी विषाणुओं के जीवनकाल के लिए यह प्रोटीन आवश्यक है, जो उनमें एक प्रकार के सेल्युलर स्ट्रेस सेंसर की तरह काम करता है।

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मैसी कैंसर सेंटर के मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट एंड्रयू पोक्लेपोविक एआर-12 ड्रग के क्लिनिकल ट्रायल से जुड़ी योजना का नेतृत्व कर रहे हैं। इस ड्रग को लेकर उनका कहना है, 'एआर-12 एक ओरल थेरेपी है जो शुरुआती क्लिनिकल ट्रायल में सहनीय दवा साबित हुई है। इससे हम आश्वस्त हैं कि यह सुरक्षित है और इसे सहा जा सकता है। ज्यादातर कोविड-19 ड्रग्स को नसों के जरिये दिया जाता है। यानी यह (एआर-12) एक विशेष थेरप्यूटिक विकल्प होगा। यह दवा एक आउटपेशंट (यानी अस्पताल में भर्ती हुए बिना) थेरेपी हो सकती है, बिल्कुल किसी एंटीबायोटिक की तरह।'

एआर-12 की क्षमता से प्रभावित ये वैज्ञानिक अब क्लिनिकल ट्रायल के लिए एफडीए अप्रूवल लेने की तैयारी करने की योजना बना रहे हैं। साथ ही, दवा के उत्पादन के लिए एक स्थानीय फार्मा कंपनी से भी बातचीत चल रही है। इस काम में शामिल मैसी कैंसर सेंटर के डेवलेपमेंटल थेरप्यूटिक्स प्रोग्राम के एसोसिएट डायरेक्ट सैड सेब्ती कहते हैं, 'हम (ट्रायल के लिए जरूरी) एफडीए की मंजूरी लेने के लिए जरूरी जानकारी सबमिट करने पर काम कर रहे हैं। क्लिनिकल ट्रायल के लिए स्थानीय फार्मा कंपनी से भी बातचीत चल रही है। हमें उम्मीद है कि एआर-12 कोविड-19 के मरीजों के एक वैकल्पिक उपचार के रूप में सामने आएगी, जिससे अंततः जिंदगियां बचाई जा सकेंगी और इस वैश्विक महामारी का समाधान निकल सकेगा।'

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: कैंसर के एक्सपेरिमेंटल ड्रग एआर-12 में कोरोना वायरस को रोकने की क्षमता दिखी- अध्ययन है

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