एक नए शोध में कोविड-19 और कैंसर की बीमारी से संबंधित नई जानकारी सामने आई है। ब्रिटेन स्थित किंग्स कॉलेज लंदन और सैंट थॉमस फाउंडेशन ट्रस्ट के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस शोध में यह पता चला है कि कैंसर के जिन लोगों को कैंसर बीमारी से पीड़ित होने का पता चले 24 महीनों से ज्यादा समय हो चुका है, उनके लिए कोविड-19 का संक्रमण ज्यादा गंभीर है। इसके अलावा एशियाई मूल के मरीजों या ऐसे लोग जिन्हें किसी बीमारी की पीड़ा कम करने वाला इलाज (पैलिएटिव ट्रीटमेंट) दिया जा रहा हो, उनके लिए भी कोविड-19 ज्यादा घातक और जानलेवा हो सकती है।

बुधवार को फ्रंटियर्स इन ऑन्कोलॉजी नाम पत्रिका में प्रकाशित हुए इस शोध में कैंसर के ऐसे 156 मरीजों का विश्लेषण किया गया था, जो 29 फरवरी से 12 मई के बीच कोविड-19 से पीड़ित पाए गए थे। इन सभी मरीजों में 82 प्रतिशत मामूली या मध्यम रूप से कोरोना वायरस से संक्रमित थे। गंभीर रूप से संक्रमण की चपेट में आए कैंसर मरीजों की संख्या केवल 18 प्रतिशत थी। शोधकर्ताओं ने उन्नत सांख्यिकीय प्रणाली यानी एडवांस स्टेटिस्टिकल मेथड्स की मदद से मरीजों के कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार होने या मारे जाने को उनकी डेमोग्राफिक और क्लिनिकल विशिष्टताओं से जोड़ कर देखा।

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पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, शोध के तहत 37 दिनों के फॉलोअप के दौरान 22 प्रतिशत कोरोना मरीजों की मौत हो गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि एशियाई मूल के मरीजों, पैलिएटिव ट्रीटमेंट वाले पेशंट और ऐसे मरीज जिनके कैंसर का पता चले दो साल से ज्यादा समय बीत चुका है, उनमें गंभीर कोविड-19 और उससे मरने के लक्षण ज्यादा दिखाई दिए। इसके अलावा, जिन मरीजों को सांस फूलने की समस्या थी या जिनका सीआरपी (कॉमन ब्लड मार्कर ऑफ इनफ्लेमेशन) लेवल ज्यादा था, उनके भी कोविड-19 से मरने की आशंका अधिक थी।

वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष के तौर पर यह पाया कि जिन संक्रमितों में बुखार, डिस्प्नीया, गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल (आंत संबंधी) से जुड़े लक्षण थे या जो 24 महीने से ज्यादा समय पहले कैंसर की चपेट में आ चुके थे, उनके कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना अधिक थी। शोध में शामिल ज्यादातर मरीज पुरुष थे। उनका आर्थिक और सामाजिक बैकग्राउंट निम्न स्तर का था। आधे मरीज श्वेत थे। 22 प्रतिशत अश्वेत और चार प्रतिशत मरीज एशियाई मूल के थे।

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गौरतलब है कि कोविड-19 ऐसे लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक और जानलेवा है, जिनकी उम्र 60 साल या उससे ज्यादा हो या जो पहले से किसी ऐसी बीमारी से गंभीर हों, जिससे उनकी इम्यूनिटी पहले से कमजोर हो। इन बीमारियों में हाइपरटेंशन, डायबिटीज, फेफड़ों की बीमारी, हृदयरोग के अलावा कैंसर भी शामिल है। नया अध्ययन इसकी पुष्टि करता है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं करता कि यदि कोई व्यक्ति हाल ही में कुछ महीनों पहले ही कैंसर का शिकार हुआ है और उसे इसके अलावा पहले से कोई और बीमारी नहीं थी, तो उसके लिए कोरोना वायरस की चपेट में आना कितना खतरनाक हो सकता है। संभवतः भविष्य में इस सवाल से जुड़ा कोई नया अध्ययन या शोध सामने आए।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 24 महीनों से ज्यादा समय से कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए ज्यादा घातक और जानलेवा: शोध है

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