भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने अपने एक अध्ययन में कहा है कि गार्गल लेवेज यानी गरारे करने के बाद मुंह से निकाले जाने वाला पानी कोविड-19 के टेस्ट का एक अच्छा विकल्प हो सकता है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, आईसीएमआर के इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस को डिटेक्ट करने के उचित सैंपल के रूप में गार्गल लेवेज और स्वैब की जांच और आंकलन करना था। दूसरा मकसद यह जानना था कि कोविड-19 के मरीज इस टू सैंपलिंग मेथड के लिए राजी होंगे या नहीं। अध्ययन के लिए एम्स अस्पताल में आईसीएमआर के शीर्ष शोधकर्ताओं ने जांच व विश्लेषण का काम शुरू किया।

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इस बारे में अध्ययन में कहा गया है, 'हवा से ट्रांसमिशन के खतरे को कम करने और सैंपल कलेक्शन के इस मेथड के फायदों को बढ़ाने के लिए यह सबसे उचित होगा कि सैंपल घर में ही कलेक्ट कर लिए जाएं। हालांकि, गंभीर मरीजों के साथ-साथ युवा बच्चों/मरीजों पर इस मेथड को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे शायद निर्देशों का सही पालन न कर पाएं या ठीक से गरारे न करें।' आगे कहा गया है, 'अध्ययन के शुरुआती परिणाम बताते हैं कि सार्स-सीओवी-2 को डिटेक्ट करने के मकसद से स्वैब सैंपल कलेक्शन के लिए गार्गल लेवेज एक विकल्प हो सकता है। यह कई मायनों में प्रभावी होगा। सैंपल खुद से ही कलेक्ट किया जाएगा, स्वास्थ्यकर्मियों को राहत मिलेगी और लागत कम करने में भी फायदा होगा, क्योंकि स्वैब लेने के लिए पीपीई की जरूरत नहीं होगी।' आईसीएमआर की मानें तो अध्ययन के दौरान जितने भी गार्गल सैंपल लिए गए वे सभी जांच में पॉजिटिव निकले हैं।

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देश की सर्वोच्च मेडिकल रिसर्च एजेंसी ने यह जानकारी ऐसे समय में दी है जब भारत की कोविड-19 टेस्टिंग क्षमता प्रतिदिन दस लाख टेस्ट करने की हो गई है। आईसीएमआर द्वारा शनिवार सुबह जारी की गई अपडेट के मुताबिक, शुक्रवार को देशभर में दस लाख से ज्यादा टेस्ट कर उसने यह लक्ष्य पूरा कर लिया। इतना ही नहीं, टेस्टों की संख्या के मामले में उसने रूस को भी पीछे छोड़ दिया है। बीते 24 घंटों में देशभर में दस लाख 23 हजार 836 कोविड-19 टेस्ट किए गए हैं। इससे कोरोना वायरस के मरीजों की पहचान करने के लिए अब तक किए गए परीक्षणों की कुल संख्या तीन करोड़ 44 लाख 91 हजार 73 हो गई है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: गरारे वाले पानी को कोरोना वायरस की टेस्टिंग में बतौर सैंपल इस्तेमाल किया जा सकता है- आईसीएमआर है

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