भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मामलों की संख्या करीब 76 लाख हो चुकी है। हर दिन हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं, जिसके आधार पर शोधकर्ताओं ने एक बड़ी आशंका व्यक्त की है। दरअसल केंद्रीय सरकार के पैनल ने एक रिपोर्ट के तहत अनुमान लगाया है कि अगले साल यानी फरवरी 2021 तक भारत की आधी आबादी (50 प्रतिशत लोग) कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकती है। इस रिपोर्ट के आधार पर कहा जाए तो देश की 130 करोड़ आबादी का 50 प्रतिशत हिस्सा (65 करोड़ लोग) कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते सोमवार को केंद्रीय सरकार समिति के एक सदस्य ने अनुमानों से जुड़ी एक रिपोर्ट पेश की। 

(और पढ़ें - कोविड-19: नए मरीजों की संख्या तीन महीनों के बाद 50 हजार से कम, अब तक 75.97 लाख मामलों की पुष्टि, 1.15 लाख संक्रमितों की मौत)

वर्तमान में 30 प्रतिशत आबादी संक्रमित होने का अनुमान
हालांकि, आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो बीते कुछ दिन में देश में संक्रमितों की संख्या में पहले के मुकाबले कमी दर्ज की गई है। सितंबर के मध्य के बाद अब प्रतिदिन औसतन 61,390 नए मामले सामने आ रहे हैं। बावजूद इसके सरकारी पैनल ने एक बड़ा अंदेशा जताया है। कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के प्रोफेसर और समिति के सदस्य मनिंद्र अग्रवाल ने समाचार एजेंसी रायटर को बताया, "हमारे मैथमेटिकल मॉडल का अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 30 प्रतिशत आबादी संक्रमित है और फरवरी तक यह आंकड़ा 50 प्रतिशत तक जा सकता है।"

वायरस के मौजूदा प्रसार को लेकर समिति का अनुमान है कि यह आंकड़ा केंद्र सरकार के सीरोलॉजिकल सर्वे की तुलना में बहुत अधिक है। चूंकि सीरो सर्वे के जरिए सितंबर तक केवल 14 प्रतिशत आबादी को संक्रमित बताया था, जबकि समिति का कहना है कि वर्तमान में 30 प्रतिशत आबादी संक्रमित है। मनिंद्र अग्रवाल का कहना है कि सीरो सर्वे का नमूना सही नहीं हो सकता क्योंकि वो जिस आबादी का सर्वे कर रहे थे, उसके आकार की वजह से सैंपल बिल्कुल सही नहीं है। शायद यही वजह है कि वायरोलॉजिस्ट, वैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों की समिति, जिनकी रिपोर्ट रविवार को सार्वजनिक की गई थी उन्होंने भी मैथमेटिकल मॉडल पर भरोसा जताया है।

(और पढ़ें - ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों बनाई रैपिड कोविड-19 टेस्ट किट, 5 मिनट से भी कम में होगी कोरोना वायरस की पहचान)

सावधानियों का पालन जरूरी
मनिंद्र अग्रवाल कहते हैं, "हमने एक नया मॉडल विकसित किया है जो स्पष्ट रूप से उन मामलों पर केंद्रित है जो कोविड-19 के मामले रिपोर्ट नहीं हुए हैं। इसलिए हम संक्रमित लोगों को दो श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं। इसमें पहले वो मामले हैं जिन्हें रिपोर्ट किया गया और दूसरे वो संक्रमित मामले जिन्हें रिपोर्ट ही नहीं किया गया।" इस आधार पर समिति ने चेतावनी दी कि अगर सावधानियों का पालन नहीं किया गया, तो संक्रमितों की संख्या को रोकना मुश्किल होगा। इसके अलावा शारीरिक दूरी और मास्क पहनने जैसे उपायों का पालन करना भी जरूरी है, नहीं तो एक महीने में ही कोरोना संक्रमण से जुड़े साढ़े 20 लाख से अधिक (2.6 मिलियन) मामले सामने आ सकते हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दुर्गा पूजा और दिवाली के त्योहारों के चलते इस महीने और नवंबर के मध्य में संक्रमण बढ़ सकता है।

दिल्ली कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है - दिल्ली सरकार
शोधकर्ताओं की इस रिपोर्ट से अलग दिल्ली सरकार ने प्रदेश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन को लेकर बड़ा बयान दिया है। दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन के मुताबिक "राजधानी में कोरोना संक्रमण तीसरे चरण (सामुदायिक प्रसार) में प्रवेश कर चुका है। लेकिन केंद्र सरकार अब तक इस बात को मानने से इनकार कर रही है, जबकि केंद्र को स्पष्ट रूप से स्वीकार करना चाहिए।" दरअसल दिल्ली सरकार पिछले कुछ महीनों से कह रही है कि दिल्ली में कोविड-19 का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है, लेकिन इसे स्वीकार करने के लिए वो केंद्र सरकार पर निर्भर है।

(और पढ़ें - कोविड-19: दिल्ली में मृतकों का आंकड़ा 6,000 के पार, महज 28 दिनों में करीब एक हजार और मरीजों की मौत)

गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बीते रविवार यह बताया था कुछ राज्यों के सीमित जिलों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन के सबूत जरूर मिले हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि पूरे देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। हालांकि, इस पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि जब देश में मामलों की संख्या लाखों में थी और तब भी अगर इसे कम्युनिटी ट्रांसमिशन के रूप में स्वीकार नहीं किया गया, तो इसे कब कम्युनिटी ट्रांसमिशन माना जाएगा।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: फरवरी 2021 तक भारत की आधी आबादी हो सकती है कोरोना से संक्रमित - पैनल रिपोर्ट है

ऐप पर पढ़ें