विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और मशहूर पत्रिका द लांसेट ने भले ही कोविड-19 के खतरे को कम करने में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) के रोगनिरोधी फायदों पर आशंका व्यक्त की हो। लेकिन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) अब भी इस बात पर जोर दे रहा है कि एंटी-मलेरिया दवा एचसीक्यू में, स्वास्थ्यकर्मियों में नए कोरोना वायरस के खतरे को कम करने की क्षमता है। खासकर तब जब इसका इस्तेमाल पीपीई के साथ मिलाकर किया जाए।

क्या कहती है आईसीएमआर की स्टडी?
आईसीएमआर जिस नतीजे पर पहुंचा है वह आईसीएमआर की एक केस-कंट्रोल्ड स्टडी के आधार पर है जिसके नतीजों को इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च नाम की पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इस स्टडी के लिए आईसीएमआर द्वारा मेंटेन किए गए नैशनल लेवल के कोविड-19 टेस्टिंग डेटा पोर्टल से बिना किसी क्रम के प्रतिभागियों को चुना गया जिसमें से कुछ तो कोविड-19 पॉजिटिव थे और बाकी प्रतिभागी एक नियंत्रित समूह का हिस्सा थे। इस दौरान प्रतिभागियों को एक प्रश्नावली दी गई थी यह समझने के लिए कि वे सभी लोग किस तरह की चिकित्सीय पद्धति में शामिल हैं। साथ ही उनके पीपीई के इस्तेमाल और एचसीक्यू के सेवन के बारे में भी जानकारी हासिल की गई।

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स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ कि एक तरफ तो वैसे स्वास्थ्यकर्मी जो मुंह या नाक के जरिए मरीज के विंडपाइप में ट्यूब लगाने का काम करते हैं, (मेडिकल भाषा में इसे इंडोट्रैचियल इन्ट्यूबेशन कहते हैं) उन्हें सार्स-सीओवी-2 वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 संक्रमण होने का खतरा सबसे अधिक था और सिर्फ हाइड्रोक्सोक्लोरोक्वीन के सेवन से यह खतरा कम होने वाला नहीं था। वहीं, दूसरी तरफ, स्टडी में यह बात भी सामने आयी कि एचसीक्यू के 4 या इससे अधिक संरक्षित डोज लेने पर संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।

लिहाजा यह रिसर्च इस मुख्य तथ्य को भी रेखांकित करती है कि दवा की डोज और उसकी प्रतिक्रिया के बीच संबंध है। इसे साधारण शब्दों में समझें तो एचसीक्यू दवा की प्रतिक्रिया उसके डोज पर निर्भर करती है। इसके अलावा स्टडी के नतीजे यह भी दिखाते हैं कि पीपीई का इस्तेमाल, स्वतंत्र रूप से सार्स-सीओवी-वायरस से संक्रमित होने के खतरे को कम करने के साथ जुड़ा था।

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स्टडी में स्वास्थ्यकर्मियों के लिए क्या था?
अब इस स्टडी के बारे में पढ़कर अगर आप सोच रहे हैं कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के 4 या अधिक लगातार डोज का सेवन करने और सही तरीके से पीपीई का इस्तेमाल करने से आम लोगों के बीच भी कोविड-19 का संक्रमण कम हो जाएगा तो आप गलत हैं। आईसीएमआर की यह स्टडी इस बात का सुझाव नहीं देती है। स्टडी के नतीजे उन स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षित रखने के लिए हैं जो कोविड-19 को रोकने के लिए अग्रिम पंक्ति में सबसे आगे खड़े हैं।

यह रिसर्च साफतौर पर इस बात का संकेत देती है कि स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा एचसीक्यू का सेवन संक्रमण की चपेट में आने से पहले ही शुरू कर देना चाहिए और नैशनल टास्क फोर्स द्वारा अनुशंसित डोज का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की मानें तो स्वास्थ्यकर्मियों के लिए यह अनुशंसित डोज है, 'पहले दिन 400 मिलिग्राम दिन में 2 बार, इसके बाद अगले 7 हफ्तों तक, हफ्ते में एक बार 400 मिलिग्राम।' रिपोर्ट्स की मानें तो अगर यह अनुशंसित डोज और पीपीई का इस्तेमाल एक साथ किया जाए तो कोविड-19 इंफेक्शन से संक्रमित होने का खतरा चौथे हफ्ते से कम होने लगता है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पीपीई साथ इस्तेमाल करने से स्वास्थ्यकर्मियों में कम होगा कोरोना वायरस का खतरा, आईसीएमआर की स्टडी है

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