नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से फैली कोविड-19 महामारी ने दुनियाभर एक लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे तीन गुना से भी ज्यादा मरीजों ने कोविड-19 को मात दी है। आंकड़े बताते हैं कि कुल 17 लाख मरीजों में से एक लाख 2,789 मारे गए हैं, तो तीन लाख 76,796 ठीक भी हुए हैं। इनमें बीमारी से रिकवर हुए और डिस्चार्ज किए गए मरीज शामिल हैं। मौजूदा स्वास्थ्य संकट से जुड़े इस सकारात्मक पहलू को ध्यान में रखते हुए, आइए जानते हैं कि कोविड-19 के मरीज को कब डिस्चार्ज किया जाता है और दुनियाभर में इस बारे में क्या प्रोटोकोल अपनाए जा रहे हैं।

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चीन में क्या है प्रोटोकोल?
कोरोना वायरस के सबसे पहले केंद्र चीन में कोविड-19 के रोगी को तब ठीक माना जाता है, जब लगातार तीन दिनों तक उसमें बीमारी से जुड़ी उत्तेजना (बुखार के लक्षण) दिखाई नहीं देती, श्वसन संबंधी समस्या में सुधार होता और लगातार दो टेस्ट रिपोर्ट (श्वसन रोग संबंधी एसिड टेस्ट) नेगेटिव पाई जाती हैं। इन सबके बाद मरीज को ठीक करार दिया जाता है। हालांकि अस्पताल से छुट्टी दिए जाने के बाद भी उसे घर पर आइसोलेट रहने की सलाह दी जाती है। इस दौरान मरीज को मास्क पहनकर अलग कमरे में रहना होता है। उसका खाना-पीना भी उसी कमरे में होता है और बाहरी गतिविधियों से उसे पूरी तरह दूरी बना कर रखनी होती है। साथ ही हर दूसरे और चौथे हफ्ते में अस्पताल जाकर अपने स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी साझा करनी होती है।

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हालांकि, चीन ने दो दिन पहले ही डिस्चार्ज संबंधी प्रोटोकोल में बदलाव किया है। ट्रायल के तहत अब मरीजों की दोबारा से टेस्टिंग की जाएगी। इसके तहत अब ठीक हुए लोगों को 14 दिन के लिए आइसोलेशन में रहना होगा। इस दौरान वे अपना ख्याल खुद रखेंगे और शारीरिक तापमान और अन्य श्वसन संबंधी लक्षणों को नोट करेंगे। हाल में ऐसी रिपोर्टें आई हैं, जिनके मुताबिक कोविड-19 के ठीक हुए मरीजों में संक्रमण के फिर से एक्टिव होने की आशंका रहती है। इसीलिए चीन ने अपने प्रोटोकोल में बदलाव किया है।

बाकी देशों में कैसे प्रोटोकोल अपनाए जाते हैं?
इटली:
यहां कोविड-19 से ठीक हुए रोगी को संक्रमण मुक्त घोषित करने से पहले 24 घंटे के अंदर दो टेस्ट किए जाते है। अगर दोनों टेस्ट नेगेटिव आते हैं तो मरीज को ठीक घोषित किया जा सकता है। हालांकि यह भी हो सकता है कि उसे अतिरिक्त सात दिनों के लिए आइसोलेशन की अलग व्यवस्था के तहत रखा जाए ताकि इस दौरान उस पर नजर रखी जा सके। इसके बाद अंतिम स्वास्थ्य रिपोर्ट के बाद ही मरीज को घर जाने की अनुमति होती है। वहीं, जो लोग घर पर ही 14 दिन के लिए क्वारंटीन होते हैं, उन्हें नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद वायरस से मुक्त मान लिया जाता है।

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सिंगापुर: इस देश में कोविड-19 रोगियों को छुट्टी तब दी जाती है, जब वे कम से कम 24 घंटों में बुखार और श्वसन संबंधी दो टेस्टों में नेगेटिव पाए जाते हैं। हालांकि तब भी उन्हें छह दिन के लिए क्वारंटीन या आइसोलेशन में रखा जाता है। इसके बाद मरीज को डिस्चार्ज किया जाता है। घर पर रहकर उन्हें फोन से अपने दैनिक स्वास्थ्य सुधार की जानकारी देनी होती है।

अमेरिका: यहां कोरोना संक्रमित मरीज को डिस्चार्ज करने का अलग प्रोटोकोल है। अमेरिकी सरकारी एजेंसी 'सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल' (सीडीसी) हर मामले का अलग-अलग तरह से ध्यान रखती है। रिपोर्टों के मुताबिक, संक्रमण से उबरे अधिकतर मरीजों को आरआरटी-पीसीआर टेस्ट के तहत दो बार नैसोफेरेजियल (नाक का पिछला हिस्सा) और गले की सूजन की जांच से गुजरना पड़ता है। अगर रिपोर्ट नेगेटिव आए तो उसे मरीज के स्वास्थ्य में सुधार कहा जा सकता है। इसके बाद बुखार और बीमारी के अन्य लक्षणों में सुधार की पुष्टि के लिए 24 घंटे में कम से कम चार नकारात्मक टेस्ट रिपोर्ट आनी जरूरी हैं। वहीं, यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ईसीडीपीसी) मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले यह ध्यान रखता है कि अधिकारियों ने मरीज के लैब टेस्ट और अन्य डायग्नोसिस जैसे कारकों को ध्यान में रखा है या नहीं।

भारत: अगर हमारे देश की बात की जाए तो यहां भी मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्च किए जाने की प्रक्रिया अन्य देशों से भिन्न है। यहां स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी कानूनी संस्था ‘नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल’ (एनसीडीसी) के अनुसार, अगर किसी संदिग्ध व्यक्ति की टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आती है, तब भी उसे 14 दिन के लिए क्वारंटीन किया जाता है। हर मरीज को डिस्चार्ज करने का फैसला अलग-अलग क्लिनिकल कंडीशन पर निर्भर करता है। क्वारंटीन के दौरान मरीज के स्वास्थ्य की निगरानी की जाती है। डिस्चार्ज यानी अस्पताल से घर भेजने से पहले उसके सीने की रेडियोग्राफिक जांच की जाती है और सांस संबंधी जांच से जुड़ा वायरल क्लीयरेंस लिया जाता है। अगर 24 घंटे के अंदर दोनों टेस्ट नेगेटिव आते हैं तो मरीज को छुट्टी दे दी जाती है।


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