कुछ विशेष प्रकार के माउथवॉश और ओरल एंटीसेप्टिक ह्यूमन कोरोना वायरस को असक्रिय और सार्स-सीओवी-2 को फैलने से रोकने में मदद कर सकते हैं। जर्नल ऑफ मेडिकल वाइरोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात कही गई है। इसके मुताबिक, बाजार में उपलब्ध माउथवॉश और ओरल एंटीसेप्टिक में से कुछ में कोरोना वायरस के वायरल लोड को कम करने की क्षमता हो सकती है। अमेरिका के पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन में हुए इस अध्ययन में वैज्ञानिकों न सार्स-सीओवी-2 से मिलते-जुलते ह्यूमन कोरोना वायरसों पर इन माउथवॉशों और ओरल एंटीसेप्टिक को आजमाया था। लैबोरेटरी में किए गए परीक्षण में इनकी ह्यूमन कोरोना वायरस को इनएक्टिव करने की क्षमता की जांच की गई थी।

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खबर के मुताबिक, रिसर्च टीम को पता चला है कि कई नेजल और ओरल रिंसेज में ह्यूमन कोरोना वायरस को न्यूट्रलाइज करने की काफी ज्यादा क्षमता है। इस आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि इन उत्पादों में कोविड-19 बीमारी की वजह बने कोरोना वायरस की मात्रा को भी कम करने की क्षमता हो सकती है। परिणामों पर पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर क्रेग मेयर्स कहते हैं, 'जब तक हम वैक्सीन के बनने का इंतजार कर रहे हैं, तब तक ट्रांसमिशन को कम करने के दूसरे उपायों की जरूरत है। हमनें जिन उत्पादों का परीक्षण किया वे पहले से उपलब्ध हैं और लोगों अपने दैनिक जीवन में उनका इस्तेमाल करते रहते हैं।'

शोधकर्ताओं ने एक टेस्ट के जरिये यह जानने की कोशिश की कि नेजल और ओरल कैविटी में माउथवॉश और रिंसेज के साथ वायरस किसी तरह इंटरेक्ट करता है। उन्होंने 30 सेकेंड, एक मिनट और दो मिनट की अलग-अलग टाइमिंग के साथ सलूशन को वायरस से इंटरेक्ट करने दिया। प्रोफेसर मेयर्स के अनुसर ह्यूमन कोरोना वायरस और सार्स-सीओवी-2 वायरस का बाहरी आवरण आनुवंशिक रूप से एक जैसा होता है। इस आधार पर रिसर्च टीम ने अनुमान लगाया कि माउथवॉश और रिंसेज सलूशन से जितना ह्यूमन कोरोना वायरस इनएक्टिव हुआ, उतना ही सार्स-सीओवी-2 को भी असक्रिया किया जा सकता है। 

यह जानने के लिए उन्होंने डाइल्यूटेड सलूशन को लैब में तैयारी की मानव कोशिकाओं में डाला। कुछ दिनों बाद उन्होंने जिंदा बची कोशिकाओं की गिनती की और प्राप्त संख्या का इस्तेमाल माउथवॉश या ओरल रिंसेज के टेस्ट में असक्रिय हुए ह्यूमन कोरोना वायरस से गणना करने के लिए किया। परिणाम में पता चला कि एक प्रतिशत बेबी शैंपू सलूशन ने 99.9 प्रतिशत ह्यूमन कोरोना वायरस को दो मिनट के कॉन्टैक्ट टाइम में इनएक्टिवेट कर दिया था। शोधकर्ताओं के मुताबिक, टेस्ट में कई माउथवॉश और गार्गल प्रॉडक्ट्स भी ऐसा करने में सक्षम पाए गए हैं। ज्यादातर ने वायरस को 99.9 प्रतिशत तक इनएक्टिवेटर कर दिया था, वह भी मात्रा 30 सेकंड के अंदर।

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जर्मनी में हुए अध्ययन में भी मिले थे समान परिणाम
गौरतलब है कि कुछ इसी तरह के दावे अगस्त महीने में प्रकाशित हुए एक अन्य अध्यय में भी किए गए थे। तब जर्मनी के कई शिक्षा संस्थानों के वैज्ञानिकों ने बकायदा लैब में किए गए प्रयोगों के परिणामों के आधार पर यह जानकारी दी थी कि नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 को बाजार में उपलब्ध कुछ विशेष माउथवॉशों से निष्क्रिय किया जा सकता है। बताया गया था कि चूंकि ओरल कैविटी और गले में वायरस को ज्यादा वायरल लोड के साथ डिटेक्ट किया जा सकता है, ऐसे में अगर विशेष परिस्थितियों में वायरस के खिलाफ प्रभावी माउथवॉशों का इस्तेमाल किया जाए तो इससे न सिर्फ संबंधित व्यक्ति के वायरल लोड को कम किया जा सकता है, बल्कि वायरस को कम समय में ही ट्रांसमिट होने से रोका जा सकता है। हालांकि यह स्पष्ट किया गया है कि माउथवॉश सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण का इलाज करने में उपयुक्त नहीं हैं और न ही इनसे किसी व्यक्ति को वायरस की चपेट में आने से रोका जा सकता है।

यह अध्ययन इनफेक्शियस डिसीजेज नामक पत्रिका में ऑनलाइन प्रकाशित हुआ था। इसके परिणामों की व्याख्या करते हुए प्रोफेसर टोनी मेस्टर, स्टेफनी फैंडर और आइक स्टेनमैन ने बाजार में मौजूद अलग-अलग सामग्री से बने आठ माउथवॉशों का जिक्र किया था। उन्होंने बताया कि अध्ययन के तहत उन्होंने हरेक माउथवॉश को सार्स-सीओवी-2 वायरस पार्टिकल्स के साथ मिक्स किया था। इसमें एक दूसरे तत्व को भी मिलाया गया, जिससे मुंह में सलाइवा जैसा प्रभाव पैदा किया जा सके। इसके बाद इस मिश्रण को 30 सेकंड तक गरारे की तरह हिलाया गया। इसके बाद ई6 नामक कोशिकाओं पर वायरस को आजमाया गया, जो इससे संक्रमित हो सकती हैं। इसके अलावा वायरस के खिलाफ माउथवॉशों की क्षमता का पता करने के लिए उन्होंने लैब में तैयार की गई कोशिकाओं पर इन्हें आजमाने से पहले उनका अलग से उपचार किया। परिणाम में यह सामने आया कि माउथवॉशों से शुरुआती वायरल लोड कम हो गया। तीन माउथवॉशों ने तो वायरस की मात्रा इतनी कम कर दी कि बाद में उसे डिटेक्ट ही नहीं किया जा सका।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: माउथवॉश में ह्यूमन कोरोना वायरस को असक्रिय करने की क्षमता होने का दावा, सार्स-सीओवी-2 पर भी प्रभावी होने का अनुमान है

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