देश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित शहर मुंबई में इस बीमारी के चलते एक नया स्वास्थ्य संकट खड़ा होता दिख रहा है। अंग्रेजी अखबार 'इनकॉमिक टाइम्स' (ईटी) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि मुंबई के सरकारी और प्राइवेट अस्पताल कोविड-19 के मरीजों से भर चुके हैं, आईसीयू तक में जगह नहीं बची है, जिसके चलते कम से कम 400 डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की कमी महसूस की जा रही है। अखबार के मुताबिक, इससे मुंबई की स्थिति खतरनाक होती दिख रही है।

लॉकडाउन के बावजूद अकेले मुंबई में प्रतिदिन औसतन 400 नए कोविड-19 मरीज सामने आ रहे हैं। ऐसे में शहर के स्वास्थ्यगत ढांचे लिए सभी की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है। हालात ऐसे हैं कि कई लोगों को भर्ती होने से पहले काफी देर तक सड़कों पर ही इंतजार करना पड़ रहा है। ईटी ने बताया है कि करीब दो करोड़ की आबादी वाले मुंबई शहर में सामान्य बेड, आईसीयू बेड और डॉक्टरों की कमी हो गई है। सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों के बेड भी कोविड-19 के मरीजों से भर गए हैं।

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उधर, गैर-कोविड-19 मरीजों को भी भर्ती होने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। वहीं, कोविड-19 पेशंटों की हालत और खराब है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ लोगों को तो अस्पताल में शिफ्ट होने के लिए तीन-तीन दिन इंतजार करना पड़ा है। ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि लगभग सभी आईसीयू सुविधाएं खत्म हो गई हैं। सरकारी और निजी दोनों तरह के अस्पतालों में एक जैसी स्थिति है। 

हालांकि महाराष्ट्र सरकार और बृहन्मुंबई महानगरपालिका मरीजों के लिए ज्यादा से ज्यादा स्पेस बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि उन्हें 400 और डॉक्टरों तथा स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'ज्यादा बेड बढ़ा लेना फ्रैक्चर हुए हाथ में बैंडेड लगाने जैसा है। नए मरीजों को संभालने के लिए हमारे पास मेडिकलकर्मी, डॉक्टर्स और नर्स नहीं हैं।' वहीं, बीएमसी के एक डॉक्टर ने कहा, 'ज्यादा बेड कोई समाधान नहीं है। हमें और हेल्थकेयर वर्कर्स की जरूरत है।'

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गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कोविड-19 से अब तक 15,525 लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें से 617 की मौत हो गई है। ये दोनों ही आंकड़े देश के किसी भी राज्य में कोविड-19 के मरीजों और मृतकों की संख्या से ज्यादा हैं। हालांकि मरीजों को बचाने के मामले में भी महाराष्ट्र फिलहाल सबसे आगे हैं। यहां अब तक 2,819 मरीजों की जान बचाई गई है। लेकिन प्रतिशत के लिहाज से देखें तो यह आंकड़ा संतोषजनक नहीं है। महाराष्ट्र में अभी तक जितने लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाया गया है, वे यहां के कुल मरीजों का केवल 18 प्रतिशत हैं, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 27 प्रतिशत से ज्यादा है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोरोना वायरस: मुंबई के सरकारी और निजी अस्पताल कोविड-19 के मरीजों से भरे, महसूस हो रही सैकड़ों डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है

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