वैज्ञानिकों ने शरीर में जिंक की मात्रा कम होने को कोविड-19 से होने वाली मौतों का एक संभावित कारण बताया है। यूरोपियन सोसायटी ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इन्फेक्शियस डिसीजेज द्वारा आयोजित एक हालिया ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन आधारित जानकारी दी है। यह पिछले अध्ययनों में भी कहा गया है कि शरीर की कोशिकाओं में पोषक तत्व के रूप में जिंक का उचित मात्रा में होना कई प्रकार के वायरसों को अपनी संख्या बढ़ाने से रोक सकता है। इन विषाणुओं में कोरोना वायरस परिवार के भी कुछ विषाणु शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, हाल में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि क्या प्लाज्मा में जिंक का उचित स्तर पर होना कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी हो सकता है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से ग्रस्त 611 मरीजों को स्टडी में शामिल किया। इन लोगों की औसत उम्र 63 वर्ष थी, जिन्हें स्पेन के बार्सिलोना स्थित एक यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में 15 मार्च से 30 अप्रैल के बीच एडमिट किया गया था। हालांकि स्पेन में कोविड-19 की दूसरी लहर के आने के चलते शोधकर्ता केवल 249 मरीजों की जांच-पड़ताल कर पाए, क्योंकि लॉकडाउन संबंधी पाबंदियों के चलते सभी का सैंपल आधारित डेटा इकट्ठा करना मुश्किल हो गया था।

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बहरहाल, बाकी मरीजों की जांच कर वैज्ञानिकों ने कुछ संक्रमितों के पहले से अन्य बीमारियों से ग्रस्त होने की पुष्टि की। अध्ययन से जुड़े दस्तावेज में यह भी बताया गया कि अस्पताल में भर्ती होते समय किस मरीज की हालत कितनी कम या ज्यादा गंभीर थी। इसके अलावा मरीजों में जिंक का स्तर पता करने के लिए उन सभी के प्लाज्मा सैंपल लिए गए। इसके बाद कंप्यूटर मॉडलिंग और सांख्यिकीय विश्लेषण का इस्तेमाल कर यह पता लगाया गया कि बीमारी के दौरान इन मरीजों के लिए इनके जिंक के स्तर ने क्या भूमिका निभाई।

इस विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने जाना कि 249 मरीजों में जिंक लेवल की बेसलाइन 61 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर (एमसीजी/डीएल) थी। अध्ययन के अंत तक 21 मरीजों की मौत हो गई थी। पता चला कि उनका जिंक लेवल जिंदा बचे मरीजों के मुकाबले कम था। इन पीड़ितों के प्लाज्मा में जिंक का स्तर 43 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर था। वहीं, कोविड-19 को मात देने वाले मरीजों में जिंक का स्तर 63.1 एमसीजी/डीएल के आसपास था, यानी निर्धारित बेसलाइन से ज्यादा। इसके अलावा, यह भी जानने में आया कि जिन मरीजों का जिंक लेवल ज्यादा था, उनके शरीर में इन्फ्लेमेटरी सेल्स की संख्या भी कम थी।

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अध्ययन में अन्य फैक्टर्स, जैसे आयु, लिंग, रोग गंभीरता, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का सेवन आदि, को ध्यान में रखते हुए निष्कर्ष के तौर पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि ह्यूमन प्लाज्मा में जिंक के हाई लेवल पर मौजूद रहने से कोविड-19 के मरीजों के अस्पताल में मरने की दर सात प्रतिशत तक कम हो गई। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि जिन कोरोना संक्रमितों का जिंक लेवल 50 एमसीजी/डीएल से कम है, उनके अस्पताल में मरने का खतरा उन मरीजों से 2.3 गुना ज्यादा है, जिनका जिंक लेवल 50 एमसीजी/डीएल या इससे अधिक है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 से मौत होने के खतरे को बढ़ा सकती है शरीर में जिंक की कमी: वैज्ञानिक है

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