अगर आप या आपके परिवार का कोई सदस्य डायबिटीज का मरीज हो खासकर टाइप 2 डायबिटीज का तो उनके लिए अपने तनाव यानी स्ट्रेस को कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि तनाव की वजह से सिर्फ ब्लड प्रेशर ही नहीं, बल्कि ब्लड शुगर भी बढ़ता है। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि एक मेडिकल रिसर्च में यह बात सामने आई है।

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि डायबिटीज, स्ट्रेस हार्मोन और ब्लड शुगर के बीच क्या संबंध है -

  1. तनाव और हाई ब्लड शुगर लेवल के बीच स्पष्ट लिंक
  2. तनाव और डिप्रेशन कोर्टिसोल बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं
  3. तेजी से बढ़ रही है टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों की संख्या
  4. कोर्टिसोल का प्रोफाइल बढ़ने पर ग्लूकोज का लेवल भी अधिक
  5. डायबिटीज के मरीजों के लिए तनाव को मैनेज करना भी जरूरी है
  6. सारांश

अमेरिका के ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी वेक्सनर मेडिकल सेंटर और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन के अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी इस स्टडी में पाया है कि डायबिटीज को मैनेज करने और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने के लिए तनाव में कमी करना बेहद जरूरी है। अनुसंधानकर्ताओं ने स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल और हाई ब्लड शुगर लेवल के बीच स्पष्ट संबंध पाया है, खासकर उन लोगों में जो टाइप 2 डायबिटीज के मरीज हैं। इस नई स्टडी को साइकोन्यूरोएन्डोक्रिनोलॉजी नाम की पत्रिका में ऑनलाइन प्रकाशित किया गया है।

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कोर्टिसोल एक ग्लूकोकोर्टिकॉयड है जो किडनी के ठीक ऊपर स्थित दो अधिवृक्क ग्रंथियों में (ऐड्रिनल ग्लैंड) कोलेस्ट्रॉल से उत्पन्न होता है। कोर्टिसोल, सामान्य रूप से घटनाओं और परिस्थितियों की प्रतिक्रिया के जवाब में रिलीज होता है जैसे कि सुबह उठना, व्यायाम करना या अत्यधिक तनाव लेना। इससे पहले हो चुके कई अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि तनाव (स्ट्रेस) और अवसाद (डिप्रेशन), कोर्टिसोल प्रोफाइल को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने वाले 2 प्रमुख कारण हैं। स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल का ये निरंतर बढ़ता स्तर ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और डायबिटीज की बीमारी को मैनेज करने के लिए और अधिक कठिन बना देता है। यही कारण है कि टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए तनाव कम करने के तरीके खोजना बेहद जरूरी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO द्वारा जारी किए गए आंकड़ों की मानें तो साल 2015 तक भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या करीब 7 करोड़ थी और यह बीमारी जिस तेजी से बढ़ रही है उसे देखते हुए यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि 2030 तक भारत में सिर्फ टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़कर 9 करोड़ 80 लाख हो जाएगी। अगर किसी व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज की बीमारी हो जाए तो उस मरीज का शरीर ठीक तरह से इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता है। कुछ लोग जहां अपने ब्लड शुगर लेवल को स्वस्थ भोजन और व्यायाम के जरिए बेहतर तरीके से मैनेज कर पाते हैं वहीं अन्य लोगों को अपनी टाइप 2 डायबिटीज की बीमारी को मैनेज करने के लिए दवा या इंसुलिन की जरूरत पड़ती है।

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ओहियो स्टेट वेक्सनर मेडिकल सेंटर के डायबिटीज एंड मेटाबॉलिज्म रिसर्च सेंटर के अनुसंधानकर्ता और एन्डोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ जोशूआ जे जोसेफ कहते हैं, 'स्वस्थ लोगों में कोर्टिसोल का लेवल दिनभर में प्राकृतिक रूप से घटता-बढ़ता रहता है। खासकर सुबह के समय यह बढ़ जाता है और रात के समय घट जाता है। लेकिन स्टडी में शामिल वैसे प्रतिभागी जिन्हें टाइप 2 डायबिटीज की समस्या थी उनमें दिनभर में जब भी कोर्टिसोल का प्रोफाइल बढ़ा उनमें ग्लूकोज का लेवल भी बहुत अधिक पाया गया।'

ब्लड शुगर के लेवल के साथ कोर्टिसोल का संबंध केवल डायबिटीज के मरीजों में ही देखा गया था। हालांकि, डॉ जोसेफ और उनकी टीम का मानना ​​है कि स्ट्रेस हार्मोन डायबिटीज की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वे और उनकी टीम कोर्टिसोल और डायबिटीज और हृदय रोग के विकास के बीच संबंध पर शोध करना जारी रखेंगे।

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डॉ जोसेफ आगे कहते हैं, 'टाइप 2 डायबिटीज के ज्यादातर मरीज नियमित रूप से व्यायाम करनास्वस्थ और संतुलित भोजन का सेवन करना और खूब सारा आराम करने के महत्व को तो अच्छी तरह से समझते हैं और इसका पालन भी करते हैं। लेकिन तनाव से राहत डायबिटीज को मैनेज करने का एक महत्वपूर्ण घटक है जिसे अक्सर लोग भूल जाते हैं। फिर चाहे योग करेंवॉक करें, कोई किताब पढ़ें या फिर जो आपको पसंद वो करें। अपने बढते तनाव के लेवल को कम करने के तरीके खोजना सभी की सेहत को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है खासकर उन लोगों के लिए टाइप 2 डायबिटीज के मरीज हैं।'

तनाव ऐसी समस्या है, जिसके चलते कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए, डायबिटीज से ग्रस्त मरीज के लिए तनाव संकट का कारण बन सकता है। ऐसे में जरूरी है कि डायबिटीज का मरीज तनाव से जितना संभव हो दूर रहे। तनाव को दूर करने के लिए नियमित रूप से व्यायाम, योग व मेडिटेशन करने से फायदा हो सकता है।

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