अगर किसी के कान में दर्द हो रहा हो, तो ये कान में इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है. चिड़चिड़ापन, बुखार, कान को रगड़ना, सोने में कठिनाई व कान में खुजली आदि कान में इंफेक्शन के लक्षण हो सकते हैं. इतना ही नहीं इस स्थिति में कान के परदे के पीछे भी तेज दर्द महसूस हो सकता है. कान का इंफेक्शन बैक्टीरिया या वायरस की वजह से हो सकता है. इसलिए, इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. वयस्कों की तुलना में बच्चों में कान का संक्रमण होना आम है. आमतौर पर कान का इंफेक्शन 3 दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन अगर दर्द में आराम न मिलें, तो इसका इलाज करवाना जरूरी हो जाता है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि कान में इंफेक्शन होने पर कौन-सी दवा लेनी चाहिए -

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  1. कान के इंफेक्शन में फायदेमंद दवा
  2. कान के इंफेक्शन से कैसे बचें?
  3. सारांश
  4. कान में इंफेक्शन की दवा के डॉक्टर

कान में दर्द या खुजली होने पर डॉक्टर कान की जांच करके इंफेक्शन का पता लगाते हैं. साथ ही परदे की भी जांच कर सकते हैं. इसके बाद डॉक्टर कुछ दवाइयां या ड्रॉप आदि लिख सकते हैं. कान में इंफेक्शन का इलाज इस प्रकार से किया जा सकता है -

  1. एंटीबायोटिक दवाइयां
  2. पेन किलर
  3. इयर ड्रॉप
  4. सर्जरी

एंटीबायोटिक दवाइयां

कई बार कान का इंफेक्शन अपने आप ठीक हो जाता है, ऐसे में एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं पड़ती है. वहीं, अगर इंफेक्शन 2-3 दिन से ज्यादा समय तक रहता है, तो एंटीबायोटिक दवाइयों की जरूरत पड़ती है. वहीं, अगर वायरस की वजह से कान में इंफेक्शन होता है, तो इस स्थिति में एंटीबायोटिक्स प्रभावी नहीं होती हैं.

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पेन किलर

अगर किसी बच्चे को कान में इंफेक्शन है, तो डॉक्टर कुछ दवाएं दे सकते हैं, जिससे कान का दर्द कुछ कम हो सकता है -

  • 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को इंफेक्शन के कारण कान में होने वाले दर्द को कम करने के लिए एसिटामिनोफेन टेबलेट दी जा सकती है. 
  • वहीं, जिन बच्चों की उम्र 6 माह से अधिक है, उन्हें एसिटामिनोपेन या इबुप्रोफेन दी जा सकती है.
  • बच्चे को कभी भी एस्पिरिन न दें. इससे रेये सिंड्रोम होने का जोखिम बढ़ सकता है. यह एक गंभीर बीमारी है, जो लिवर और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकती है.

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इयर ड्रॉप

कान के इंफेक्शन के लक्षणों को कम करने के लिए एनेस्थेटिक ड्रॉप का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. डॉक्टर की सलाह पर प्रभावित कान में एनेस्थेटिक ड्रॉप की 2-2 बूंद डालें. इससे दर्द को दूर करने में मदद मिल सकती है. वहीं, अगर कान में छेद है या फिर मवाद निकल रहा है, तो इसका उपयोग करने से बचना चाहिए.

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सर्जरी

जब दवाइयों से कान का इंफेक्शन ठीक नहीं होता है, तो इस स्थिति में डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह दे सकते हैं. यह कान के इंफेक्शन को दूर करने का एक विकल्प हो सकता है. सर्जरी के दौरान डॉक्टर इयर ट्यूब के जरिए कान से सारा तरल पदार्थ बाहर निकाल लेते हैं. इससे कान के दर्द में आराम मिल सकता है. सर्जरी का दर्द और चीरा कुछ दिनों में ठीक हो जाता है. जिन लोगों को बार-बार कान का संक्रमण परेशान करता है, वो भी सर्जरी का विकल्प चुन सकते हैं.

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कान में किसी भी तरह का इंफेक्शन या दर्द न हो उसके लिए निम्न बातों पर ध्यान देना जरूरी है -

  • बार-बार हाथ धोएं और कान में उंगली न डालें.
  • भीड़भाड़ वाले एरिया में जाने से बचना चाहिए.
  • बच्चे को सही तरीके से स्तनपान करवाएं.
  • अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं.
  • कान में पानी बिल्कुल न जाने दें. 
  • कान को बार-बार साफ न करें.
  • कान में कोई भी चीज डालने से बचें.

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बड़ों की तुलना में बच्चों को कान का संक्रमण होना आम बात है. आमतौर पर कान का इंफेक्शन कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में इसे संपूर्ण इलाज या सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है. अगर कान का संक्रमण 2-3 दिन में ठीक न हो, तो डॉक्टर से जरूर मिलें. साथ ही अगर कान से मवाद या पीला तरल पदार्थ निकल रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. बच्चों को होने वाले कान के संक्रमण को कभी भी नजरअंदाज न करें.

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अस्वीकरण: ये लेख केवल जानकारी के लिए है. myUpchar किसी भी विशिष्ट दवा या इलाज की सलाह नहीं देता है. उचित इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श लें.

Dr. Manish Gudeniya

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