लोगों के बीच टीकाकरण की अहमियत को प्रोत्साहित करने के लिए हम विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाते हैं। इसकी शुरुआत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की थी। इस साल टीकाकरण जागरुकता सप्ताह 24 अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल 2019 तक मनाया जाएगा। एक तरफ दुनिया पूर्ण टीकाकरण की दिशा में आगे बढ़ी है तो वहीं दूसरी तरफ खसरा, दिमागी बुखार, गले का रोग, पोलियो, हेपेटाइटिस बी और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (एचआईबी) जैसी बीमारियों में अभी भी पूरी तरह और नियमित अंतराल पर टीकाकरण की आवश्यकता है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के हालिया आंकड़े दिखाते हैं कि अमेरिका, यूरोपीय इलाके और पश्चिमी प्रांत क्षेत्र में 2017 के मुकाबले खसरे के मामलों में इजाफा हुआ है। दुनियाभर में 9 अगस्त 2018 तक 1,29,239 खसरों के मामलों की पुष्टि की गई जोकि 2017 में 1,49,142 थे। खसरा एक संक्रामक बीमारी है जो बलगम और छींकने से फैलती है। दुनिया ने 2020 तक खसरे का उन्मूलन करने का लक्ष्य रखा है।

वहीं भारत में जुलाई 2017 और जून 2018 के बीच खसरे के सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे। यह इजाफा ऐसे समय में हुआ है जब दुनिया व्यापक स्तर पर टीकाकरण पर जोर दे रही है। भारत में खसरे का टीका 1985 में वैश्विक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत लाया गया था। इस कार्यक्रम को और आगे बढ़ाने के लिए 2010 में इसके दूसरे टीके को शुरू किया गया था।

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भारत में अभी भी खसरे का साया
हाल ही में मुंबई में खसरे के 40 ताजा मामले सामने आए हैं। वहीं, अब बॉम्बे म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (बीएमसी) केंद्रीय मुंबई में खसरे के एक ताजा मामले की जांच कर रही है। यह मामले उन इलाकों से सामने आए हैं जहां पर ज्यादातर लोगों ने हाल ही में इसका टीकाकरण कराने से इंकार कर दिया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, जनवरी से लेकर अब तक 8 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें खसरे का शक है। एक ही इलाके में कम से कम पांच मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों को एक व्यक्ति की मौत के पीछे खसरे का शक है।

खसरा एक संक्रामक रोग है जो तेजी से फैलता है। इसे रुबेला के नाम से भी जाना जाता है। यह एक देशज बीमारी है, जिसका मतलब यह हुआ कि इसका वायरस लगातार किसी विशेष इलाके या समुदाय के बीच मौजूद रह सकता है। खसरा होने पर आप आमतौर पर 7 से 10 दिन के भीतर बिना इलाज के रह सकते हैं। खसरे के एक बाउट के बाद, कोई भी व्यक्ति अपने जीवन के बाकी हिस्से के लिए रोगरोधी ताकत हासिल कर लेता है। उसको दूसरी बार खसरा होने की संभावन बेहद कम रहती है।

संक्रमित व्यक्ति के बलगम या छींकने से खसरे का वायरस हवा में फैलता है। इसकी शुरुआत बलगम, नाक बहने, लाल आंखों और बुखार से होती है। इसके बाद हल्का दाद, लाल धब्बे आना शुरू हो जाते हैं। इनकी शुरुआत सिर से होती है और फिर यह पूरे शरीर में फैल जाते हैं।

खसरे का टीका रख सकता है आपको सुरक्षित
खसरे को एमएमआर टीके से रोका जा सकता है। यह टीका तीन तरह की बीमारियों से बचाता है, जिसमें खसरा, दिमागी बुखार और रूबेला शामिल हैं। सेंटर फोर डीजीज कंंट्रोल (सीडीसी) बच्चों को एमएमआर के दो टीके लगाने की सलाह देता है। पहला टीका 12 से 15 महीने की उम्र में कभी भी लगाया जा सकता है। दूसरा टीका 4-6 वर्ष की उम्र तक लगाया जा सकता है। एमएमआर टीका काफी सुरक्षित और कारगर साबित होता है।

एमएमआर के दो टीके 97 प्रतिशत खसरे से बचाव में कारगर होते हैं। इसका एक टीका 93 प्रतिशत कारगर साबित होता है। इसका टीका खसरे, दिमागी बुखार, रूबेला और चिकनपॉक्स से सुरक्षित रखते हैं। यह टीका सिर्फ उन बच्चों को लगाने के लिए दिया जाता है, जिनकी उम्र 12 महीने से लेकर 12 साल है। अमेरिका में 1963 में खसरा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने से पहले करीब 30 से 40 लाख लोगों को हर साल खसरा होता था।

इनमें से करीब 5 लाख मामलों की सूचना प्रत्येक वर्ष सीडीसी को दी जाती थी, इनमें से 400 से 500 लोगों की मौत हो जाती थी। करीब 48,000 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया जाता था और 1,000 लोगों के दिमाग में सूजन आ जाती थी। तब से खसरे का टीका प्रचलन में आने से टीकाकरण अवधि से पहले के समय के मुकाबले में खसरे के मामलों में 99 प्रतिशत कमी आई है। हालांकि, अभी भी कई देशों में खसरा सामान्य बना हुआ।

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