आज 'खसरा प्रतिरक्षण दिवस' है। खसरे की रोकथाम के लिए हर साल 16 मार्च के दिन इस दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बच्चों में इस बीमारी को फैलने से रोकना है। बता दें कि खसरे की बीमारी छोटे बच्चों की मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। मेडिकल जानकारों के मुताबिक, खसरे के लिए कोई विशेष इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाया है। ऐसे में बचपन में ही इससे बचाव के लिए बच्चों को वैक्सीन दी जाती है। जिन बच्चों को खसरा प्रतिरक्षण की वैक्सीन या टीका नहीं लगता, उनमें इस रोग से पीड़ित होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर ऐसा हो जाए तो बीमारी में बच्चों को गंभीर समस्या से जूझना पड़ सकता है। कई मामलों में बच्चों की मौत तक हो जाती है। इस कारण लोगों को जागरूक करने के लिए खसरा प्रतिरक्षण दिवस मनाया जाता है।

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क्या है खसरे के बीमारी?
खसरा बचपन में संक्रमण से होने वाला रोग है, जो संक्रमित बलगम और लार के संपर्क के कारण फैलता है। खसरे का वायरस कई घंटों के लिए सतह पर रह सकता है। वहीं, संक्रमित कणों के हवा में फैलने के चलते निकटता वाले व्यक्ति संक्रमित हो सकते हैं। खसरा वायरस वैक्सीन (टीका) से इसे रोकने के प्रयास आज भी जारी हैं।

कैसे और कब दी जाती है वैक्सीन
बच्चों को इसकी पहली खुराक पैदा होने के नौ से 12 महीनों के दौरान दी जाती है। दूसरी खुराक 16 से 24 महीने के बीच दी जाती है। भारत सरकार के नेशनल हेल्थ पोर्टल के मुताबिक, साल 2017 में विश्व के 85 प्रतिशत बच्चों को नियमित स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से उनके पहले जन्मदिन पर खसरे की पहली खुराक दी गई। वहीं, 67 प्रतिशत बच्चों को खसरा प्रतिरक्षण की दूसरी खुराक दी गई।

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चौकाने वाले हैं आंकड़े
साल 2018 में दुनियाभर में खसरे के करीब एक करोड़ मामले सामने आए। इनमें से एक लाख 42,000 मरीजों की मौत हो गई थी। उल्लेखनीय है कि यह आंकड़े डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की ओर से जारी किए गए उन आंकड़ों से कहीं ज्यादा थे, जो उन्हें अलग-अलग देशों से प्राप्त हुए थे। उनके आधार पर डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ ने बताया था कि 2018 में पूरी दुनिया में खसरे के केवल तीन लाख 53 हजार मामले सामने आए थे, जबकि अन्य रिपोर्टों में हालात कहीं ज्यादा खराब थे।

भारत में कितना गंभीर है खसरा?
स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी एक पत्रिका के मुताबिक, भारत उन देशों की सूची में दूसरे नंबर पर है, जहां खसरे का प्रकोप विश्व में सबसे अधिक है। आंकड़े बताते हैं कि हमारे देश में 23 लाख बच्चे ऐसे हैं जिन्हें खसरे का टीका ही नहीं मिलता है। वहीं, 24 लाख बच्चों की संख्या के साथ अफ्रीकी देश नाइजीरिया इस लिस्ट में पहले पायदान पर है। रिपोर्टों के मुताबिक, साल 2018 में भारत में खसरे के लगभग 70,000 मामले थे, जो दुनिया में इस बीमारी से जुड़े मामलों की तीसरी सबसे बड़ी संख्या थी।

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खसरा रोग में आनी वाली समस्याएं
एनएचपी के अनुसार, आमतौर पर खसरे का पहला लक्षण तेज बुखार होता है। मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोग बताते हैं कि वायरस के संपर्क में आने के बाद 10 से 12 दिनों में मरीज में खांसी, सर्दी, आंखों का लाल होना आदि समस्याएं आती हैं। वहीं, खसरे से जुड़ी गंभीर समस्याओं में अंधापन, इन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन), गंभीर डायरिया, निमोनिया आदि आती हैं, जिनसे पीड़ित की मृत्यु तक हो सकती है। कम पोषण, विटामिन ए की कमी और एचआईवी/एड्स की स्थिति में खसरे की गंभीरता अधिक बढ़ जाती है।

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