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निफा वायरस संक्रमण क्या है?

"निफा वायरस इन्फेक्शन" या "निपाह वायरस संक्रमण" एक नयी बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है। इससे होने वाली बीमारी काफी गंभीर होती है, जिसका वर्तमान में कोई इलाज नहीं है। इससे बचने के लिए कोई वैक्सीन भी इजात नहीं की गई है। हालांकि, इलाज के लिए दवा और बचाव के लिए वैक्सीन, दोनों पर ही काम जारी है। 

"निफा वायरस" की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के "काम्पुंग सुंगई निफा" इलाके में की गई थी। इसलिए इस वायरस का नाम "निप्स वायरस" रखा गया। मलेशिया में जब निफा वायरस संक्रमण फैला था, तब ये वायरस इंसानों में सूअरों से पहुंचा था। इसके बाद के कुछ मामलों में, इस बात की पहचान नहीं की जा सकीय थी कि ये वायरस इंसानों तक पहुंचा कैसे। 

2004 में बांग्लादेश में निपा वायरस संक्रमण एक तरह के चमगादड़ द्वारा संक्रमित खजूर की ताड़ी (date palm sap) पीने से फैला था। दूसरी ओर भारत में कुछ ऐसे मामले दर्ज किये गए थे जब ये संक्रमण इंसानों से इंसानों में फैला था।

निपाह वायरस संक्रमण कैसे फैलता है - How does Nipah Virus Infection spread in Hindi

निपाह वायरस किसी भी इंसान के शारीर में संक्रमित चमगादड़, संक्रमित सूअर और किसी भी संक्रमित इंसान के संपर्क में आने से फेलता है।
 
मलेशिया और सिंगापुर में यह देखा गया है कि संक्रमित सूअरों के करीब संपर्क में आने से इंसानों के शारीर में निपाह वायरस फैल गया था। इस प्रकोप में देखा गया कि पहले संक्रमित चमगादड़ से निपाह वायरस सूअर में फेला, उसके बाद निपाह वायरस संक्रमित सूअर से उसके आस-पास के सभी सूअरों में फैला। फिर संक्रमित सूअरों के संपर्क में आने के बाद इंसानों में भी यह वायरस फैल गया।
अब बांग्लादेश और भारत में भी निपाह वायरस से इंसानों के संक्रमित होने की खबर आ रही है। यह आमतौर पर निपाह वायरस से संक्रमित मरीजों के परिवार और हॉस्पिटल में मोजूद देखभाल करने वालों में देखा जाता है। बांग्लादेश और भारत में निपाह वायरस फैलने का सबसे बड़ा कारण यह है कि संक्रमित चमगादड़ ताड़ या खजूर की ताड़ी को निकलते समय ही जूठा कर देते हैं। उस ताड़ी को जब कोई व्यक्ति पीता है तो यह इन्फेक्शन आसानी से पीने वाले के शारीर में चला जाता है।
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निपाह वायरस संक्रमण के लक्षण - Nipah Virus Infection Symptoms in Hindi

निपाह वायरस संक्रमण के लक्षण क्या होते हैं?

निपाह वायरस का संक्रमण इन्सेफेलाइटिस (encephalitis: दिमागी बुखार) से संबंधित होता है। निपाह वायरस से संक्रमित होने के बाद इसके लक्षण 5 से 14 दिन में दिखने शुरू होते हैं। ये लक्षण इस प्रकार होते हैं - 

ये लक्षण 24 से 48 घंटों के भीतर बढ़कर "कोमा" (coma) का कारण बन सकते हैं।

इस संक्रमण के शुरुआती दौर में कुछ रोगियों को सांस संबंधी समस्या होती हैं। इसके अलावा जिन रोगियों को तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित लक्षण होते हैं, उनमें से करीब 50 प्रतिशत को फेफड़ों की समस्या भी हो सकती है।

वर्ष 1998 से 1999 के दौरान करीब 265 रोगी निपाह वायरस से संक्रमित पाए गए थे। इनमें से जिन रोगियों को तंत्रिका संबंधी समस्या हो गयी थी, उनमें से करीब 40 प्रतिशत रोगियों की अस्पताल में ही मृत्यु हो गई थी।

निपाह वायरस संक्रमण के कारण - Nipah Virus Infection Causes in Hindi

निपाह वायरस संक्रमण क्यों होता है?

मलेशिया और सिंगापुर में यह संक्रमण निपाह वायरस से संक्रमित सूअरों के संपर्क में आने से जुड़ा हुआ पाया गया।

बांग्लादेश और भारत में निपाह संक्रमण चमगादड़ों द्वारा संक्रमित खजूर की ताड़ी पीने वाले लोगों में पाया गया है। इसके अलावा निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना भी आपके लिए जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि यह वायरस इंसान से इंसान में भी फैल सकता है।

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निपाह वायरस संक्रमण से बचाव के उपाय - Prevention of Nipah Virus Infection in Hindi

निपाह वायरस संक्रमण फैलने से कैसे रोकें?

वर्तमान में निपाह वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कोई वैक्सीन मौजूद नहीं है।

निपाह वायरस के संक्रमण से बचने के लिए आपको इससे संक्रमित सूअरों और चमगादडों के संपर्क नहीं आना चाहिए और खजूर की ताड़ी नहीं पीनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति संक्रमित है तो उसके करीबी संपर्क में न आएं।

संक्रमण के इंसान-से-इंसान में फैलने को रोकने के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है और अस्पतालों में भी इस संक्रमण के बारे में डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों को जागरूक करना जरूरी है।

निपाह वायरस संक्रमण का निदान - Diagnosis of Nipah Virus Infection in Hindi

निपाह वायरस संक्रमण का परीक्षण कैसे किया जाता है?

निपाह वायरस संक्रमण का लेबोरेट्री परीक्षण कुछ टेस्टों का संयोजन करके किया जाता है।

यह टेस्ट रोग के शुरुआती चरण के दौरान किया जाना चाहिए। रोग के प्राथमिक चरणों में "सेरिब्रोस्पाइनल फ्लूइड", मूत्र, खून, और नाक व गले से तरल पदार्थ के नमूने लेकर कुछ खास टेस्ट किये जाते हैं। यह खास टेस्ट हैं 

  • "वायरस आईसोलेशन" (Virus Isolation Test)
  • "रियल टाइम पोलीमर्स चेन रिएक्शन" टेस्ट (RT-PCR Test)

बाद में "एलिसा टेस्ट" (ELISA Test) के द्वारा शरीर में "एंटीबॉडी" की जांच की जाती है।

कुछ मामलों में जिनमें रोगी की मृत्यु हो जाती है, उनमें शव परीक्षण के दौरान ऊतकों का सेंपल लेकर उन पर "इम्यूनोहिस्टोकैमिस्ट्री" (Immunohistochemistry) जांच करना ही निपाह वायरस संक्रमण की पहचान करने का एक मात्र रास्ता होता है।

निपाह वायरस इन्फेक्शन का इलाज - Nipah Virus Infection Treatment in Hindi

निपाह वायरस संक्रमण का इलाज क्या है?

निपाह वायरस संक्रमण का वर्तमान में कोई इलाज नहीं है। इससे पीड़ित रोगी के उपचार में केवल लक्षणों को तुरंत ठीक करने की कोशिश की जाती है।

क्योंकि निपाह वायरस व्यक्ति से व्यक्ति में फैल सकता है, इसलिए अस्पताल में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए सारी सावधानियां बरती जानी चाहिए।

लैब परिक्षण में "रिबैवीरिन" (Ribavarin) दवा निपाह वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है। लेकिन अभी तक मनुष्यों के लिए इसकी उपयुक्ता सिद्ध नहीं हुई है।

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