पीलिंग स्किन सिंड्रोम (त्वचा का छिलना) - Peeling Skin Syndrome in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

December 07, 2019

March 06, 2020

पीलिंग स्किन सिंड्रोम
पीलिंग स्किन सिंड्रोम

पीलिंग स्किन सिंड्रोम एक दुर्लभ त्वचा विकारों का समूह होता है, जिसमें बिना किसी दर्द के त्वचा लगातार छिलती रहती है, ऐसा त्वचा के एपिडर्मिस (सबसे ऊपरी त्वचा) की सबसे बाहरी परत के अलग होने के कारण होता है।

इस रोग में त्वचा पर फोड़ा विकसित हो जाता है और/या त्वचा पर लालिमा व खुजली भी हो सकती है। यह लक्षण जन्म से ही दिखने लगते हैं या फिर बचपन के शुरुआती दिनों में हो सकते हैं। त्वचा का कितना हिस्सा प्रभावित हुआ है, उसके आधार पर इस रोग की दो रूपों की पहचान की गई है, जेनरलाइज्ड और एक्रल। जनरलाइज्ड यानि सामान्यीकृत जिसमें संपूर्ण त्वचा प्रभावित होती है और एक्रल जिसमें त्वचा के कुछ विशेष हिस्से प्रभावित होते हैं, ज्यादातर हाथ व पैर। जेनरलाइज्ड पीलिंग स्किन सिंड्रोम कुछ मामलों में क्लीनिकली नेथर्टन सिंड्रोम के साथ विकसित हो सकता है।

पीलिंग स्किन सिंड्रोम के लक्षण

पीलिंग स्किन सिंड्रोम, कंजेनिटल इचिथियोसिस (जन्म से होने वाला एक त्वचा रोग जिसमें त्वचा की बाहरी परत सूखी और खुदरी रहती है) के साथ ऑटोसोमल रिसेसिव इनहेरिटेंस का रूप है। इचिथियोसिस डर्मटोलॉजिकल डिसऑर्डर का ही एक समूह है, जिसमें शरीर के पूरे या अधिकतम भाग पर सूखी, मोटी व परतदार त्वचा बन जाती है।

पीलिंग स्किन सिंड्रोम में पीड़ित व्यक्ति की बाहरी त्वचा आजीवन झड़ती व छिलती रहती है, लेकिन इसमें व्यक्ति को कोई दर्द महसूस नहीं होता है। प्रभावित व्यक्ति अपनी खराब त्वचा की परत को खुद या किसी की मदद से बार-बार हटा सकता है। 

यह डिसऑर्डर त्वचा की सबसे बाहरी परत की सतह के अलग होने के कारण होता है। जेनरलाइज्ड पीलिंग स्किन सिंड्रोम को आगे दो भागों में बांटा गया है, एक नॉन-इंफ्लामेटरी और दूसरा इंफ्लामेटरी। 

कुछ लोगों में यह स्थिति केवल हाथों और टांगों (एक्रल एक्सट्रेमिटीज़) तक ही सीमित रहती है, जिसे एक्रल पीलिंग स्किन सिंड्रोम के नाम से पहचाना जाता है। एक्रल में जन्म या बचपन से ही अधिकतर रोगियों के हाथों और टांगों पर फोड़े और फफोले बनने लग जाते हैं।

पीलिंग स्किन सिंड्रोम के कारण

पीलिंग स्किन सिंड्रोम त्वचा की कई सूजन से संबंधित स्थितियों और त्वचा को नुकसान पहुंचने के कारण होता है। सनबर्न (धूप से जली त्वचा) इसका एक श्रेष्ठ उदाहरण है, लेकिन अन्य स्थितियों में पीलिंग स्किन के कई रूप होते हैं, जिनमें डर्माटाइटिस, एक्जिमा और कुछ संक्रमण मौजूद हैं। 

कुछ प्रकार की दवाएं जिन्हें मुंहासों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जैसे टोपिकल रेटिनॉइड्स, उनसे भी त्वचा छिल जाती है। त्वचा के किसी भी हिस्से पर फफोला होने से उस हिस्से पर पीलिंग स्किन विकसित होने लगती है। हालांकि पीलिंग स्किन किसी चकत्ते के कारण नहीं होती लेकिन पीलिंग स्किन के कारण त्वचा पर कुछ रैशेज हो सकते हैं। इसका इलाज नीचे बताए गए कारणों पर निर्भर करता है।

पीलिंग स्किन के अन्य कारण

पीलिंग स्किन सिंड्रोम के इलाज

पीलिंग स्किन सिंड्रोम के इलाज के लिए त्वचा को मुलायम बनाने वाली  मलहम लगाई जाती है, खासतौर से नहाने के बाद जब त्वचा नम होती है। इसमें डॉक्टर प्लेन पेट्रोलियम जैली या वैसेलिन का उपयोग करने की सलाह देते हैं। कोई भी कोर्टिकोस्टेरॉयड या सिस्टमिक रेटिनॉइड्स (विटामिन ए से बनी) दवा प्रभावी नहीं होती बल्कि इनसे कई गंभीर दुष्प्रभाव विकसित हो सकते हैं।